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निधि भागतेभागते थक चुकी थी. उस की सांसें बारबार उखड़ रही थीं. कपड़े झाडि़यों में उलझ कर कई जगह से फट गए थे. शुक्र है उस ने पैरों में स्पोर्ट्स शूज पहन रखे थे, वरना पांव तो कभी भी बेवफाई कर सकते थे. मगर शरीर तो आखिर शरीर ही है, उस की सहन करने की एक सीमा होती है. अब तो हिम्मत भी आगे बढ़ने से इनकार कर रही थी. मगर ‘नहीं, अभी कुछ देर और साथ दो मेरा…’ अपनी इच्छाशक्ति से रिक्वैस्ट करती हुई निधि ने अपनी अंदरूनी ताकत को जिंदगी का लालच दिया और एक बार फिर से अपना हौसला बढ़ा कर तेजी से भागने लगी उसी दिशा में आगे की ओर.

मगर इस बार हिम्मत उस की बातों में नहीं आई और उस ने आखिर दम तोड़ ही दिया. निधि ने एक पल ठहर कर भयभीत हिरणी की तरह इधरउधर देखा और पूरी तसल्ली करने के बाद एक पेड़ से अपनी पीठ टिका कर उखड़ी हुई सांसों को संयत करने लगी.

‘शायद सुबह होेने में अब ज्यादा देर नहीं है. मुझे सूरज निकलने से पहले ही कोई सुरक्षित ठिकाना तलाशना होगा वरना पता नहीं मैं फिर किसी सूरज का उगना देख भी सकूंगी या नहीं,’ मन ही मन यह सोचते हुए उस ने अंधेरे में देखने की कोशिश की तो उसे दूर कुछ रोशनी गुजरती हुई सी दिखाई दी. ‘शायद कोई सड़क है. मुझे किसी भी तरह वहां तक तो पहुंचना ही होगा, तभी किसी तरह की मदद की कोई उम्मीद जगेगी,’ सोचती हुई निधि ने फिर अपना सफर शुरू किया.

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निधि का अनुमान सही निकला. यह सड़क ही थी. हरियाणा और राजस्थान को आपस में जोड़ता एक स्टेट हाईवे, कुछ ही दूरी पर एक छोटा सा टोल नाका भी बना हुआ था. निधि किसी तरह अपनेआप को ठेलती हुई वहां तक ले कर गई, मगर कुछ बोल पाती, इस से पहले ही गिर कर अचेत हो गई.

टोल कर्मचारियों ने उसे देखा तो वे घबरा गए. उस की हालत देख कर उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचित करना ही उचित समझा. कुछ ही देर में ऐंबुलैंस सहित पुलिस की गाड़ी वहां आ गई और महिला पुलिस की निगरानी में निधि को सिटी हौस्पिटल ले जाया गया.

डाक्टरों के थोड़े से प्रयास के बाद ही निधि को होश आ गया. खुद को पुलिस की निगरानी में पा कर निधि के मन में दबे हुए गुबार को शब्द मिले और वह महिला कौंस्टेबल से लिपट कर फूटफूट कर रो पड़ी. इंस्पैक्टर सरोज ने उस की पीठ पर हाथ रखते हुए उसे भरोसे का एहसास दिलाया और कहा, ‘‘देखो, तुम हमारे पास पूरी तरह सुरक्षित हो. और तुम्हें घबराने या किसी से डरने की जरूरत नहीं है. तुम बेखौफ हो कर अपने साथ हुए हादसे के बारे में हमें बताओ. हम तुम्हारी मदद करने की पूरी कोशिश करेंगे.’’

निधि कुछ भी नहीं बोली, बस, टकटकी लगाए छत की तरफ देखती रही. किस पर लगाए इलजाम, किसे ठहराए दोषी, किसे सजा दिलवाए, किसे भिजवाए सलाखों के पीछे. जो भी उस की इस हालत के जिम्मेदार हैं, वो उस के अपने, उस के सगे ही तो थे. वे, जिन के साथ उस का खून का रिश्ता है. हां, ये हैं उस के पापा, जो उस की एक जिद पर सारी दुनिया उस पर न्योछावर कर देते थे. ये है उस की मां, जो उस की जरा सी तकलीफ पर पूरी रात आंखों में बिता दिया करती थीं. उस का भाई राज, जो उस के लिए शहरभर से बैर मोल ले लेता था. और तो और, उस की छुटकी सी बहन शालू भी, जो सदा उस के आगेपीछे दीदीदीदी कहती घूमा करती थी. निधि के मुंह से कोई शब्द नहीं निकल पाया. बस, उस की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे.

डाक्टर ने इंस्पैक्टर सरोज से कहा, ‘‘अभी पेशेंट काफी सदमे में है, इसे नौर्मल होने दीजिए, फिर आप लोग अपनी पूछताछ कीजिएगा.’’

इंस्पैक्टर सरोज निधि को डाक्टर की निगरानी में छोड़ कर अपनी टीम के साथ लौट गईं. हां, एक महिला कौंस्टेबल को उस की सुरक्षा के लिए तैनात कर दिया गया था. सब के जाने के बाद निधि आंखें बंद कर लेट गई. रातभर भागते रहने के कारण उसे नींद आना स्वाभाविक था, मगर निधि सोना नहीं चाहती थी. वह तो यहां से भाग जाना चाहती थी अपने घर, अपने विनय के पास, उस की सुरक्षित बांहों के घेरे में जहां उसे किसी का डर नहीं, किसी की फिक्र नहीं. निधि के दिमाग में पिछले कई दिनों के घटनाक्रम चलचित्र की तरह घूमने लगे.

करीब 10 वर्षों पहले जब वह इंजीनियरिंग और एमबीए करने के बाद मुंबई में एक मल्टीनैशनल कंपनी में जौब करने लगी थी तभी उस की मुलाकात विनय से हुई थी. मजबूत और स्वस्थ शारीरिक बनावट वाला विनय अपने नाम के अनुरूप मन से बहुत ही विनय था. कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता था कि बाहर से एकदम शांत और सीधा सा दिखने वाला विनय अपने भीतर कवि हृदय भी रखता है. सब के साथ निधि को भी यह बात उस साल कंपनी की न्यू ईयर पार्टी में ही पता चली थी, जब उस ने वहां एक प्रेमगीत गाया था. उस की प्रेम कविताओं की धारा में बहतीबहती निधि कब उस के प्रेमपाश में बंध गई, उसे भान ही नहीं हुआ.

अब तो निधि जब देखो तब किसी न किसी बहाने से उस के आसपास ही बने रहने की कोशिश में लगी रहती थी. उस ने यह बात छुटकी शालू से शेयर की थी. शालू ने ही तो उसे इस रास्ते पर आगे बढ़ने का हौसला दिया था. उस ने कहा था, ‘कोई सामान्य पुरुष होता तो तुम्हारी नजदीकियों का भरपूर फायदा उठाने की कोशिश करता मगर विनय तुम से एक सम्मानजनक दूरी बनाए रखता है और उस की यही खूबी उसे सारी पुरुष जमात से अलग करती है.’

‘छुटकी की बात में दम है,’ सोच कर निधि विनय के और भी करीब होने लगी थी. निधि ने जब कंपनी के रिकौर्ड में विनय का प्रोफाइल देखा तो उसे सुखद महसूस हुआ कि वह न केवल उस की जाति से संबंध रखता है बल्कि वे दोनों तो एक ही प्रदेश से भी हैं. ‘अगर घर वालों को मानने में थोड़ी सी मेहनत की जाए तो हमारी शादी हो सकती है,’ सोच कर निधि खुद ही शरमा गई. वह अपनी सोच को बहुत आगे तक ले जा चुकी थी.

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