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जिस शालू ने घर वालों के विरोध के बावजूद विनय से शादी करने में उस का पूरा साथ दिया, वही बहन आज उसे विनय के कारण जान से मारने की साजिश में शामिल हो गई. निधि को इस बात पर अब भी यकीन नहीं हो रहा था.

‘‘क्या आप ठीक महसूस कर रही हैं?’’ ड्यूटी पर तैनात डाक्टर ने आ कर पूछा तो निधि ने आंखें खोल दीं.

‘‘जी,’’ उस ने संक्षिप्त सा जवाब दिया और उठ कर बैड पर बैठ गई. उसे बैठा देख कर कौंस्टेबल ने इंस्पैक्टर सरोज को फोन कर दिया और 15 मिनट में वे भी वहां पहुंच गईं.

‘‘क्या आप अपने बारे में कुछ बताएंगी?’’ सरोज ने पूछा. निधि ने एक बार फिर चुप्पी साध ली. क्या बताती वह उन्हें कि वह अपनों की ही साजिश का शिकार हुई है. उसे जन्म देने वाले ही उसे मौत की नींद सुला देना चाहते हैं.

‘‘जी, मैं मुंबई की रहने वाली हूं. यहां किसी दोस्त से मिलने आई थी, मगर एक हादसे का शिकार हो गई. कुछ गुंडों ने मुझ पर हमला कर दिया था. मेरा बैग और मोबाइल छीन लिया. शायद किसी बुरी नीयत से वे मेरा पीछा कर रहे थे. मगर मैं किसी तरह उन के चंगुल से बच कर यहां तक आ गई,’’ निधि ने असली बात छिपा ली.

‘‘देखिए, आप हम से कुछ भी छिपाने की कोशिश न करें और न ही डरें. हम आप की मदद करना चाहते हैं. आप चाहें तो उन गुंडों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवा सकती हैं,’’ सरोज ने उसे कुरेदा. मगर निधि ने एक बार फिर से चुप्पी साध ली और अपनी आंखें बंद कर के अपने दर्द को दिल के भीतर ही समेटने की कोशिश करने लगी.

रात हो चली थी. हौस्पिटल में भरती लगभग सभी मरीज नींद की आगोश में जा चुके थे. हां, कभीकभी कोई मरीज दर्द से कराह उठता था तो अवश्य ही वार्ड की शांति भंग हो जाती थी. ड्यूटी पर तैनात नर्स और कंपाउंडर भी उबासियां ले रहे थे मगर निधि की आंखों में दूरदूर तक नींद का नामोनिशान नहीं था.

वह उस वक्त को कोस रही थी जब उस ने शालू की बातों में आ कर घर लौटने का मन बनाया था. मौका भी तो कुछ ऐसा ही था. वह चाह कर भी इनकार नहीं कर सकी थी. उस की छुटकी की शादी जो तय हो गई थी. शालू ने जब चहकते हुए बताया था कि मम्मीपापा उसे विनय सहित अपनाने को राजी हो गए हैं तो उस के सिर से भी मांबाप की मरजी के खिलाफ जा कर शादी करने के अपराधबोध का भारी बोझा उतर गया था जिसे वह इतने सालों से ढो रही थी.

इधर, विनय को भी 2 महीने के लिए ट्रेनिंग पर आस्ट्रेलिया जाना था. निधि ने सोचा, एक पंथ दो काज हो जाएंगे. विनय के बिना यहां अकेले मुंबई में रहना किसी सजा से कम नहीं था. इसलिए उस ने कंपनी से एक महीने की लंबी छुट््टी ले ली और अपने पैतृक गांव सिरसा आ गई.

मां तो निधि को देखते ही उस से लिपट गई थी. पापा ने भी कलेजे से लगा लिया था अपनी लाड़ो को. राज शादी के किसी काम के सिलसिले में शहर गया हुआ था. शालू ने उसे बांहों में भींचा तो फिर छोड़ा ही नहीं…न जाने कितने गिलेशिकवे थे जिन्हें वह शब्दों में बयां नहीं कर सकी थी. बस, आंखों से आंसू बहे जा रहे थे. निधि के आने से शादी वाले घर में एक अलग ही रौनक आ गई थी.

रात में छुटकी ने उस से चिपटते हुए पूछा, ‘जीजी, एक बार फिर से बता न, तू ने जीजाजी जैसे विश्वामित्र को आखिर कैसे रिझाया?’

‘कितनी बार सुनेगी तू? आखिर तेरा मन भरता क्यों नहीं, एक ही किस्से को बारबार सुन कर तू बोर नहीं होती?’ निधि ने झूठे गुस्से से कहा.

‘अरे, अब तक तो फोन पर ही सुनती आई थी, आमनेसामने सुनने का मौका तो आज ही हाथ लगा है, सुना न. आज तो मैं तेरे चेहरे की लाली भी देखूंगी, जब तू बोलेगी,’ शालू ने जिद की तो निधि छुटकी की जिद नहीं टाल सकी और एक बार फिर से कूद पड़ी यादों की झील में डुबकी लगाने.

‘मुंबई की बरसात तो तू जानती ही है. बादलों का कोई भरोसा नहीं, जब जी चाहे बरस पड़ते हैं. हालांकि हम मुंबई वाले इस की ज्यादा परवा नहीं करते मगर उस दिन बात कुछ और ही थी. सुबह से ही बरसात हो रही थी. दोपहर होतेहोते तो सारे शहर में पानी ही पानी हो गया था.

‘मौसम विभाग ने भारी वर्षा की चेतावनी जारी कर के लोगों को घर में ही रहने की सलाह दी. मगर जो घर से बाहर थे उन्हें तो घर लौटना ही था. मैं भी अपने औफिस में बैठी बारिश के रुकने का इंतजार कर रही थी. लगभग सभी लोग अपने घर जाने की व्यवस्था कर चुके थे. बस, मैं और विनय ही बचे थे.

‘बारिश के थोड़ा सा हलके होने के आसार दिखे तो विनय ने मुझ से कहा, ‘आप को एतराज न हो तो मैं आप को अपनी बाइक पर घर छोड़ सकता हूं.’

‘मगर बाइक पर तो हम भीग जाएंगे…’ मैं ने कहा.

‘घर ही तो जाना है, किसी पार्टी में तो नहीं? घर पहुंच कर कपड़े बदल लेना,’ विनय ने मुसकराते हुए कहा.

‘मुसकराते हुए कितना प्यारा लगता है ये, पता नहीं मुसकराता क्यों नहीं है,’ मैं ने यह मन ही मन सोचा और खुद भी मुसकरा दी. अंत में मैं ने विनय से लिफ्ट लेना तय कर लिया.

‘जैसा कि मैं ने कहा था, घर पहुंचतेपहुंचते मैं और विनय पूरी तरह से भीग चुके थे. मैं ने विनय को एक कप अदरक वाली चाय पीने का औफर देते हुए अंदर आने को कहा. पहले तो उस ने मना कर दिया मगर अचानक ही उसे तेज छींकें आने लगीं तो मैं ने ही हाथ पकड़ कर उसे भीतर खींच लिया था. उसे छूने का यह मेरा पहला अनुभव था. मैं ने महसूस किया कि विनय भी मेरे छूने से थोड़ा सा नर्वस हो गया था.

‘मैं ने कपड़े बदल कर चाय का पानी चढ़ा दिया. तभी मुझे खयाल आया कि विनय भी तो भीगा हुआ है. मगर मेरे पास उसे देने के लिए जैंट्स कपड़े तो थे ही नहीं. मैं ने गैस धीमी कर के उसे तौलिया दिया और साथ ही बदलने के लिए अपना नाइट सूट भी. यह देख कर विनय सकपका गया. मगर फिर जोर से हंस पड़ा और कपड़े बदलने चला गया.

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