‘‘क्या तुम मेरे एक दिन के बौयफ्रैंड बनोगे?’’ उस लड़की के कहे ये शब्द मेरे कानों में गूंज रहे थे. मैं हक्काबक्का सा उस की तरफ देखने लगा. काली, लंबी जुल्फों और मुसकराते चेहरे के बीच चमकती उस की 2 आंखें मेरे दिल को धड़का गईं. एक अजनबी लड़की के मुंह से इस तरह का प्रस्ताव सुन कर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मुझ पर क्या बीत रही होगी.

मैं अच्छे घर का होनहार लड़का हूं. प्यार और शादी को ले कर मेरे विचार बिलकुल स्पष्ट हैं. बहुत पहले एक बार प्यार में पड़ा था पर हमारी लव स्टोरी अधिक दिनों तक नहीं चल सकी. लड़की बेवफा निकली. वह न सिर्फ मुझे, बल्कि दुनिया छोड़ कर गई और मैं अकेला रह गया.

लाख चाह कर भी मैं उसे भुला नहीं सका. सोच लिया था कि अब अरेंज्ड मैरिज करूंगा. घर वाले जिसे पसंद करेंगे, उसे ही अपना जीवनसाथी मान लूंगा.

अगले महीने मेरी सगाई है. लड़की को मैं ने देखा नहीं है पर घर वालों को वह बहुत पसंद आई है. फिलहाल मैं अपने मामा के घर छुट्टियां बिताने आया हूं. मेरे घर पहुंचते ही सगाई की तैयारियां शुरू हो जाएंगी.

‘‘बोलो न, क्या तुम मेरे साथ..,’’ उस ने फिर अपना सवाल दोहराया.

‘‘मैं तो आप को जानता भी नहीं, फिर कैसे...’’ में उलझन में था.

‘‘जानते नहीं तभी तो एक दिन के लिए बना रही हूं, हमेशा के लिए नहीं,’’ लड़की ने अपनी बड़ीबड़ी आंखों को नचाया. ‘‘दरअसल,

2-4 महीनों में मेरी शादी हो जाएगी. मेरे घर

वाले बहुत रूढि़वादी हैं. बौयफ्रैंड तो दूर कभी मुझे किसी लड़के से दोस्ती भी नहीं करने दी. मैं ने अपनी जिंदगी से समझौता कर लिया है. घर

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