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पिछला भाग- ज़िन्दगी –एक पहेली: भाग-7

अविरल अब अंदर तक टूट चुका था, पहले तो उसकी जान से भी ज्यादा प्यारी बहन उसे छोड़ गयी थी और दूसरी अनु की डायरी में लिखी बातें उसे अंदर से खोखला कर रहीं थी. उसका मन उदास सा रहने लगा. अविरल की जिंदगी में तो दोहरा आघात हुआ था. वह हर समय सोचता रहता कि काश मसूरी  जाने की जगह मैं अपनी बहन के पास आ जाता तो शायद आज वह मेरे साथ होती. अविरल का दिल भर आता और वह बाहर निकल जाता. कहीं न कहीं वह अपने आप को भी इसका दोषी मानने लगा.

अविरल की मम्मी और मौसी में बहुत प्यार था. सभी जानते थे कि अविरल की मौसी मुँह  की तो बहुत तेज हैं लेकिन दिल की बहुत अच्छी हैं. अविरल की मौसी हर समय सभी का ख्याल रखती. वह अनु के कॉलेज की बात सभी को बताना चाहती थी लेकिन उचित समय का सोचकर रुक गयी.

दिल्ली में ही अविरल की मौसी के घर के पास एक और परिवार रहता था जिनका उसकी  मौसी के घर बहुत आना जाना था. दोनों एक ही परिवार की तरह रहते थे. उस घर में एक लड़की थी जिसका नाम निशि था. अमन और निशि एक-दूसरे को पसंद भी करते थे और यह बात दोनों के घर वालों को पता भी थी. अविरल और अनु बचपन से ही उनके घर जाते और घंटों निशि के साथ खेलते रहते. निशि भी बच्चों की तरह उनके साथ खेलती. उसका सभी लोगों से बहुत लगाव था.

अनु के चले जाने के बाद निशि भी बहुत ज्यादा दुखी रहती थी . उसे तो इस बात का विश्वास ही नहीं हो रहा था. 3-4 दिन बाद अविरल अकेले ही निशि के घर पहुंचा, यह पहली बार था जब अवि अकेले वहाँ गया हो क्योंकि  हर बार अनु उसके साथ होती थी. निशि ने जैसे ही अवि को देखा, उसे रोना आ गया. दोनों ही एक दूसरे को ढाढ़स देने लगे.

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