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अविरल अब 7 साल का हो चुका था और स्कूल भी जाता था. अविरल बहुत होशियार था . वह स्कूल में हमेशा पहले नंबर पे रहता था चाहे वह पढ़ाई हो या खेल. लेकिन वह स्वभाव से बहुत संकोची था. वह बहुत कम बोलता था. शायद इसका एक  कारण यह भी था कि जब वह बोलता था तो लोग उसका मज़ाक बनाते थे क्योंकि  वह हकलाता था. लोग उसे हकला- हकला कहकर चिढ़ाने लगते थे . यहाँ तक की अविरल के कुछ रिश्तेदार भी उसका मज़ाक बनाने से पीछे नहीं हटते थे. वो अक्सर उसे हक्कू कहकर बुलाते थे.

अविरल  के दिमाग में इसका गहरा असर पड़ने लगा. अविरल  के माता पिता भी थोड़ा परेशान हुए लेकिन उन्होने सोचा कि जैसे- जैसे अविरल  बड़ा होगा, सब ठीक हो जाएगा. अविरल के माता पिता हमेशा उसे समझाते कि सब ठीक हो जाएगा. अवि के पास लोग आते तो थे, उससे  बात भी करते थे लेकिन केवल उसका मज़ाक बनाने के लिए. अवि अब लोगो के पास जाने से डरने लगा था.

अविरल हर किसी से अपनी परेशानी बताने में डरता था .यहाँ तक की वो अपने माता-पिता से भी अपने दिल की बात नहीं कह पाता  था. एक उसकी बहन ही तो थी जिससे वो अपने मन की सारी बाते कह पाता था.उसके लिए   उसकी बहन अनु ही उसकी पूरी दुनिया बन गयी थी.

अविरल  हमेशा दुखी होकर अनु से बोलता कि दीदी मै औरों की तरह क्यों नहीं हूँ ? भगवान जी ने ऐसा क्यों किया?  वह उसे समझाती, कि मेरा भाई सबसे अच्छा है. वह अविरल को उसकी  अच्छाइयाँ बताती और बोलती कि जो मेरे भाई का मज़ाक बनाते हैं न एक  दिन मेरा भाई उन सभी से हजारों कदम आगे निकलेगा और ये लोग मुंह  देखते रह जाएंगे. अविरल  खुश हो जाता और फिर दोनों भाई बहन अपनी छोटी सी दुनिया में मशगूल हो जाते. अनु अविरल को समझा तो देती पर मन ही मन वो बहुत दुखी होती. वो बाद में  उन लोगों के पास जाती जो अविरल को चिढाते थे और उनसे झगड़ा करती लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हुआ.

कुछ सालों बाद  अविरल  के पापा ने अपना बिज़नेस देहरादून  में सेट अप किया जिससे कि बच्चों की और अच्छे से पढ़ाई-लिखाई  हो पाये.  दोनों का एड्मिशन एक जाने माने स्कूल में करा दिया गया. अनु तो तुरंत स्कूल में घुल मिल गयी लेकिन अविरल  स्कूल जाने में डरने लगा. जब भी वह स्कूल जाता, बहुत रोता. अनु उसे अपने साथ स्कूल ले जाती और अपने साथ ही बिठाये रहती. अविरल  की मम्मी  ने भी टीचर से request की  कि कुछ दिन अविरल  को अनु के साथ ही बैठने दे. अनु लगातार अविरल  को समझाती रहती जिससे कुछ समय बाद अविरल  अपनी क्लास में बैठने लगा.

लेकिन यहाँ भी अविरल  कि समस्या आगे आ गयी. अविरल  के हकलाने पर सारे बच्चे ज़ोर से हँसते. कुछ  टीचर्स  भी अविरल  के हकलाने पर हँसते और बार बार उससे ही question  पूछते . अब अविरल  ने क्लास में answer  करना ही बंद कर दिया, जिससे उसे हमेशा punish  किया जाता. अविरल  बहन को परेशान देखकर उससे यह बातें छुपाने लगा  और रोज़  पनिशमेंट सहने लगा.

लेकिन अविरल  हमेशा exam में टॉप करता. स्कूल की  प्रिन्सिपल अविरल  को बहुत पसंद करती थी. उन्होंने  अविरल  को अपने पास बुलाया  और प्यार करते हुए बोली  की  इतने सुंदर और होनहार बच्चे को ये कमी क्यूँ हो गयी.

एक बार अनु की एक सहेली ने अविरल को अपने पास बुलाकर उससे कहा की तुम मुझे ज़रा अपनी tongue दिखाओ. उसने अविरल की tongue देखी  और बोली  की तुम्हारी tongue  ज्यादा जुड़ी है. जिसकी वजह से ये problem है. अविरल ने यह बात अपने पापा से बताई और बोला की इसे नीचे से काट दो. लेकिन पापा ने समझाया की,”नहीं बेटा ऐसा कुछ भी नहीं है ,ऐसा कभी सोचना भी मत”. अविरल उस समय तो ये बात  समझ गया. लेकिन अनु की सहेली की बात उसके दिमाग में बस गयी थी.

अविरल  अब 4th क्लास में आ चुका था. उसके स्कूल का 1 टूर जाना था जिसमे भाई बहन दोनों शामिल हुए. सभी क्लास के अलग ग्रुप थे ,लेकिन अनु ने टीचर्स से request करके  अविरल  को अपने ग्रुप में रखा. टूर में अनु उसे अपने साथ रखती. भाई बहन का ऐसा प्यार देखकर सभी की आँखों में आँसू आ जाते.

अविरल  अब फिर से परेशान रहने लगा क्यूँ की उसकी बहन 5 स्टैंडर्ड में थी और स्कूल 5 के बाद coed  नहीं था. अनु को अब अलग स्कूल में जाना था. अविरल ये सोच- सोच कर  अकेले में रोता रहता. अनु भी बहुत दुखी थी लेकिन अब भाई बहन को थोड़ा अलग होना ही था.

अगले भाग में जानेंगे की अविरल आगे की चुनौतियों का कैसे सामना करता है?

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