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पिछला भाग- ज़िंदगी-एक पहेली: भाग-8

देहारादून आकर अविरल 5-6 दिनों में 1 बार निशि से बात करता . दोनों काफी देर तक एक-दूसरे से बात करते. निशि को अविरल बहुत मानने लगा था. निशि भी अविरल की सारी बातें ध्यान से सुनती और बड़ी बहन की तरह समझाती.

इधर अविरल ने सुमि से मिलना कम कर दिया. यह अविरल के लिए बहुत कठिन था क्योंकि  अनु के बाद वह सुमि को सबसे ज्यादा मानता था. लेकिन अब उसे एक फैसला करना था, या तो सुमि का साथ या फिर अपने पापा के सपनों को पूरा करना.

एक दिन अविरल सुमि से मिला और बोला कि तुम आसू को छोड़ दो, हालांकि अविरल को भी पता था कि अब आसू– सुमि अलग नहीं हो सकते. थोड़ी देर तो सुमि शांत रही और फिर ज़ोर से हंसकर बोली, तुम कब से मज़ाक करने लगे. अविरल शांत रहा फिर बोला कि या तो आसू से एक साल तक बात मत करो या तो मुझसे कभी बात मत करना. फैसला तुम्हें करना है.

सुमि को कुछ समझ नहीं आया कि अविरल ने ऐसा क्यूँ बोला. सुमि ने कुछ दिन आसू से बात नहीं की लेकिन एक दिन आसू ने सुमि को राश्ते में रोककर उससे बात की. अविरल भी वहीं से गुजर रहा था, उसने यह देख लिया और अगले दिन सुमि से मिलकर सिर्फ यह बोला की सुमि आज से मुझसे कभी बात मत करना. इससे पहले कि सुमि कुछ बोलती, अविरल वहाँ से चला गया.

सुमि ने सारी बात आसू को बताई तो आसू बहुत गुस्सा हुआ और सुमि से बोला मैं तो पहले से जानता था कि उसके मन में तुम्हारे लिए कुछ है. इसीलिए उससे तुम्हारा बात करना मुझे अच्छा नहीं लगता था. लेकिन मैं अब उसे बताऊँगा, उसने ऐसा बोला भी कैसे. लेकिन सुमि को आसू की  बात का विश्वास नहीं हो रहा था. क्योंकि वो अविरल को बहुत अच्छी तरह से जानती थी. उसने आसू को अविरल को कुछ भी बोलने के लिए मना कर दिया.

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