राज शेखर आज अपने अंधे इश्क पर लानत भेज रहा है. दरिया किनारे बैठा इस सोच में डूबा है कि अब किधर जाऊं? क्या उस पत्नी के पास जिसे मैं ने बिना किसी गुनाह के सजा दी या उस धोखेबाज लड़की के पास जिस के साथ बिना शादी के पतिपत्नी की तरह रहा, जिस पर अपना सबकुछ लुटा दिया?

मगर मैं ने तो खुद अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारी है, मेरा तो कुछ न रहा. न पत्नी न परिवार. अंधे इश्क ने सब बरबाद कर दिया, मेरा अंधा इश्क मुझे ले डूबा. जी हां. राजशेखर की 2 पत्नियां हैं. 2 पत्नियों से अर्थ यह नहीं कि उस ने 2 शादियां की हैं, 2 पत्नियों का अर्थ एक से शादी की और दूसरी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह रहा था.

आइए, आप को उन दोनों से मिलाते हैं…पहली पत्नी मातापिता ने अच्छे खानदान में रिश्ता तय किया. लड़की सान्या जो पढ़ीलिखी होने के साथसाथ घरेलू भी है, जो जानती है कि परिवार को कैसे प्यार की डोर से बांध कर रखा जा सकता है और दूसरी (पत्नी कहें या लड़की या रखैल, बेशक आजकल लिव इन रिलेशनशिप को लोग गलत नहीं मानते, लेकिन पहले ऐसे रिश्तों को हिराकत की नजर से देखा जाता था और ऐसी स्त्रियों को रखैल कहा जाता था) तो वह दूसरी है साक्षी जो उसी बैंक में कार्यरत है.

आइए, पहले आप को पहली पत्नी अर्थात सान्या से मिलाते हैं… मुंबई शहर के ऐक्सिस बैंक में मैनेजर की पोस्ट पर कार्यरत राजशेखर की अच्छीखासी गृहस्थी चल रही है. शादी के 1 साल बाद ही एक प्यारा सा बेटा दिया कुदरत ने जिस का नाम रोहन रखा.सान्या हमेशा यही कहती, ‘‘मातापिता के कदमों में मेरा स्वर्ग, राजशेखर मेरा दिल और रोहन मेरी धड़कन. और मुझे क्या चाहिए, कुदरत ने सबकुछ तो दे दिया.’’

राजशेखर अकसर उस से ठिठोली करता, ‘‘सान्या अगर कभी मु?ो कुछ हो गया न तो तुम फिर से अपना घर बसा लेना. मगर हां इतना ध्यान रखना, तुम चुनाव सोचसम?ा कर करना. ऐसा शख्स चुनना जो हमारी इस धड़कन को अपने दिल में बसा ले.’’ सान्या उस के मुंह पर हाथ रखते हुए कहती, ‘‘ऐसी बातें क्यों करते हो?

मैं आप के हाथों इस संसार से विदा लूं ये मेरा सौभाग्य है. हां, आप जरूर ऐसा जीवनसाथी चुनना जो हमारी इस धड़कन को अपने दिल में बसा ले.’’ ‘‘अरे उस की तुम फिक्र न करो. मैं तो सोचता हूं कि तुम्हारे सामने ही शादी कर लूं ताकि तुम भी देखपरख लो,’’ इस तरह से हंसते हुए उसे छेड़ता और मां चप्पल ले कर पीछे भागती, ‘‘आ… आ मैं कराती हूं तेरी शादी. इस चप्पल से मारमार कर तेरा थोबड़ा न बिगाड़ दिया तो,’’ और नन्हा लगभग 3-4 साल का रोहन ताली बजाबजा कर खुश होता.

मगर कहते हैं न कि जो भी बोलो सोच कर बोलो न जाने कब जबां पर मां सरस्वती वास कर ले और कही बात सत्य साबित हो जाए. वही हुआ… राजशेखर के ही बैंक के स्टाफ में एक नई लड़की साक्षी आई. देखने में बला की खूबसूरत. ऊंचालंबा कद, गोरा रंग, तीखे नैननक्श, सुराहीदार गरदन, गदराया बदन, उभार कामदेव को आमंत्रित करते. इंद्रलोक की कोई अप्सरा हो जैसे. बैंक के कर्मचारी उस पर मर मिटे, हरकोई उस के पास आने, उस से बात करने के लिए लालायित रहता. हरकोई उस के साथ दो पल बिताने को तरसता.

 

मगर साक्षी का अधिकतर समय राजशेखर के कैबिन में ही बीतता क्योंकि वह जूनियर मैनेजर होने के साथसाथ दिमाग की भी बहुत तेज थी. बड़ेबड़े हिसाबकिताब तो जितनी देर में राजशेखर कैलकुलेटर निकालता उतनी देर में तो वह टोटल बना कर बता देती. किसी खास विषय पर भी यदि कोई राय लेनी हो तो राजशेखर उसी की मदद लेता.

अब भला आग और घी दूर रह सकते हैं क्या और खासतौर पर ऐसे समय में जब बीवी का अधिक ध्यान घरपरिवार और बच्चे पर हो जाए तो उस समय मर्द की इच्छाएं कई बार दब कर रह जाती हैं. ऐसे में अगर उसे बाहर स्वादिष्ठ खाना नजर आ जाए तो वह चखने क्या खाने से भी नहीं चूकता. यही हाल राजशेखर का था. उस के सामने स्वादिष्ठ व्यंजन की भरी थाली थी. (आप समझ ही गए होंगे कि यहां किस तरह की थाली की बात हो रही है) तो राजशेखर साक्षी की तरफ आकर्षित हो रहा था और राजशेखर था भी सजीला जवान, साफ रंग, भरा हुआ शरीर, छोटेछोटे बालों के साथ फ्रैंच कट दाढ़ी, आंखों पर जब चश्मा लगाता तो ऐसा लगता मानो कोई अंगरेज चला आ रहा है. महज 32-33 साल की मगर दिखने में अपनी उम्र से भी कम लगता था तो साक्षी भी उस पर मर मिटी.

आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी. नजदीकियां बढ़ती गईं और प्यार का रूप ले बैठीं. अब तो एकदूसरे के बिना एक पल भी नहीं रह सकते थे. राजशेखर जब घर पर होता तब भी साक्षी के बारे में सोचता या साक्षी से ही फोन पर बातें करता रहता. इस तरह से 2 साल बीत गए दोनों का प्यार पर्वत की चोटी तक पहुंच रहा था. मार्च की क्लोजिंग थी. काम का काफी प्रैशर था जो राजशेखर को कंप्लीट कर के अगले दिन रिपोर्ट करनी थी. लेकिन शाम के 7 बजने को आए अभी तक काम पूरा नहीं हुआ था. सारा स्टाफ भी जाने लगा तो साक्षी बोली, ‘‘सर, क्या मैं आप की मदद के लिए रुक जाऊं?’’

‘‘हां साक्षी, काम अभी बहुत ज्यादा है, अगर तुम हैल्प करोगी तो मैं भी जल्दी फ्री हो जाऊंगा.’’ दोनों को काम करतेकरते रात के 10 बज गए और दोनों थक कर चूर हो गए थे. साक्षी ने कौफी बनाई और दोनों पीने लगे. कौफी पीते हुए अचानक न जाने कैसे कौफी साक्षी के कपड़ों पर गिर गई.

तब राजशेखर ने अपनी शर्ट उतार कर दी, ‘‘साक्षी इसे पहन लो और अपनी शर्ट धो कर सुखा लो.’’राजशेखर के सिक्स पैक देख कर साक्षी उन की तारीफ करते हुए जैसे ही उन्हें छुआ राजशेखर के बदन में करंट सा प्रवाहित  हो गया. उस का दिल बेकाबू हो गया, खुद को न रोक सका और उस ने साक्षी को बांहों में भर लिया.

शायद साक्षी भी विरोध नहीं करना चाहती थी. उस के मन में भी मीठीमीठी बांसुरी बजने लगी. टूट कर बिखर गई वह राजशेखर की बांहों में. साक्षी ने राज के होंठों पर अपने नाजुक नर्म होंठ रख दिए. दोनों की सांसों से सांसें टकराने लगती. राजशेखर ने साक्षी को और जोर से कस कर बाहों में समेटना चाहा तो साक्षी के उभारों पर जोर पड़ा और उस के मुंह से हलकी सी सिसकारी निकली, ‘‘उफ राज, क्या करते हो?’’

राजशेखर ने उसे फिर से कस कर भींच लिया. साक्षी को अच्छा लग रहा था मगर वह इतराती हुई बोली, ‘‘राज… क्या करते हो?’’‘तुम्हारे मुंह से बारबार राज सुनने के लिए… आज पहली बार तुम ने मु?ो राज कहा. फिर से कहो वरना और जोर से दबाऊंगा.’’

साक्षी ने शर्म से पलकें झुका लीं. राज ने ऊंगली से उस की ठोड़ी को ऊपर उठाया और मनुहार करते हुए बोला, ‘‘प्लीज साक्षी, कहो न.’’ साक्षी राज के चेहरे पर चुंबनों की बौछार करते हुए राज, राज, राज कहने लगी. इस तरह से दोनों एकदूसरे में खो गए. और अंत वही हुआ, आग और घी का मिलन, आग की लपटों में बदल गया. झुलस गए दोनों इस आग में. मन से तो एक थे आज तन से भी एक हो गए.

प्यार का यह सिलसिला यों ही चलता रहा. जब राजशेखर कहीं मुंबई से बाहर मीटिंग के लिए जाता तो साक्षी भी साथ होती. कभी शहर से बाहर तो कभी शहर के किसी कोने में दोनों के मधुर मिलन की गाथा लिखी जाती. राजशेखर और साक्षी लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगे. राजशेखर घर से बहाना करता काम के सिलसिले में बाहर जाने का और साक्षी के साथ रहता और साक्षी से भी कोई न कोई बहाना बना कर कभी इस घर तो कभी उस घर 2 नावों में पैर रख कर सफर कर रहा था.

आखिर साक्षी भी कब तक चुप रहती. उस ने पूछताछ शुरू कर दी इधर सान्या तो बहुत प्यारी और भोली थी. वैसे भी उस के लिए पति तो परमेश्वर होता है उस की हर बात सच्ची होती है इसलिए वह उस पर शक कर ही नहीं सकती थी. मगर साक्षी के सामने राजशेखर को सच उगलना पड़ा. उसे बताना पड़ा कि वहशादीशुदा है ‘‘क्या? राज यू आर ए मैरिड मैन? तुम शादीशुदा हो और तुम ने आज तक मुझे अंधेर में रखा, तुम ने बताया क्यों नहीं कि तुम शादीशुदा हो?’’

‘‘साक्षी पहले तुम ने भी कभी इस बारे में बात नहीं की, तुम पूछती तो क्या मैं झूठ बोलता तुम से और मैं ने तुम्हें कोई धोखा नहीं दिया. मैं सच्चा प्यार करता हूं तुम से. तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकता.’’ ‘‘मैं भी तुम से बेइंतहा मुहब्बत करती हूं और तुम्हारे सिवा कोई और मेरे तन को छूना तो क्या आंखें उठा कर भी नहीं देख सकता. तुम्हें अपनी पत्नी को तलाक दे कर मु?ा से शादी करनी होगी.’’

‘‘यह नामुमकिन है क्योंकि न तो मैं अपने बेटे के बिना जी सकता हूं और न ही सान्या के… तलाक होने पर बेटा तो किसी एक के पास ही रहेगा. लेकिन दूसरा तो जीतेजी मर जाएगा. मैं सान्या को मरते हुए नहीं देख सकता. वैसे भी सान्या मु?ो तलाक देने के नाम पर ही आत्महत्या कर लेगी, वह मु?ा से बेपनाह और सच्ची महब्बत करती है.’’

‘तो क्या मेरा प्यार झूठा है?’’ नहीं साक्षी मैं यह नहीं कह रहा. तुम अगर दिल हो तो सान्या धड़कन है. मैं दोनों में से किसी को नहीं छोड़ सकता.’’मगर अब साक्षी को अपनी सुरक्षा की चिंता होने लगी. उस ने इस रिश्ते को बनाए रखने के लिए राजशेखर के सामने एक शर्त रखी, ‘‘तुम अपनी पत्नी और बेटे को नहीं छोड़ सकते, लेकिन क्या गारंटी है कि तुम मेरा साथ पूरी जिंदगी निभाओगे और कुदरत न करे अगर मु?ा से पहले तुम्हें कुछ हो गया तो मेरे पास क्या है? तुम्हारी पत्नी के पास तुम्हारा परिवार है, उस का परिवार है और सब से अहम तुम्हारी सारी प्रौपर्टी उस के पास है. मेरा तो तुम्हारे सिवा कोई भी नहीं. न आगे न पीछे.’’

‘‘तुम ऐसा क्यों सोचती हो? जो मेरा है वह हम दोनों का है.’’ ‘‘मैं कोरी बातों पर विश्वास नहीं कर सकती. तुम कल ही अपनी आधी प्रौपर्टी मेरे नाम करो. कम से कम कुछ तो हो मेरे पास.’’

‘‘ठीक है जैसा तुम चाहो. मुझे थोड़ा समय दो मैं आधी प्रौपर्टी तुम्हारे नाम कर दूंगा.’’मगर साक्षी बहुत ने चालाकी से प्रौपर्टी के पेपर बनवा कर राजशेखर को बातों में उल?ा कर उन पर हस्ताक्षर करवा लिए और राजशेखर एक भी पेपर देख नहीं पाया क्योंकि साक्षी ने राजशेखर के वकील को खरीद लिया था और सारी की सारी प्रौपर्टी अपने नाम लिखवा ली.

साक्षी फिगर मैंटनैंस के चक्कर में मां नहीं बनना चाहती थी, इधर सान्या दूसरी बार मां बनने वाली थी. राजशेखर सान्या का अधिक ध्यान रखने लगा क्योंकि उस की तबीयत खराब रहने लगी. लेकिन साक्षी को अब यह बात हजम नहीं होती. पुराना प्यार हमेशा पुरानी शराब सा होता है जो हर पल भरपूर नशा देता है. राजशेखर फिर से सान्या की तरफ आकर्षित होने लगा.

मगर साक्षी को दूर जाते भी वह बरदाश्त नहीं कर सका. आखिर एक दिन राजशेखर ने मन मजबूत कर के सान्या और अपने परिवार को छोड़ने का फैसला कर लिया है और साफ लफ्जों में साक्षी के साथ अपना प्यार कबूल करते हुए उन्हें छोड़ कर साक्षी के पास चला गया.

न जाने क्यों फिर भी आजकल साक्षी अकसर राजशेखर से नाराज रहने लगी थी. आज भी राज औफिस में उस के कैबिन में उसे मनाने के लिए गया तो कैबिन के दरवाजे की तरफ साक्षी की पीठ थी जिस कारण उसे पता नहीं चला कि कोई अंदर आया है.

साक्षी फोन पर किसी से बात कर रही थी, ‘‘यार प्रौपर्टी तो मैं ने अपने नाम करवा ली है, बस अब सोच रही हूं कि इस राज नाम की मक्खी को दूध से निकाल कर फेंक ही दूं. बस फिर तुम और हम. हा… हा… हा… लव यू डार्लिंग.’’

ये सब सुन कर राज के होश उड़ गए. अंदर आते ही उस ने साक्षी के हाथ से जैसे ही फोन लेना चाहा साक्षी ने जोर से फोन जमीन पर फेंक कर मारा ताकि राज को पता न चले कि वह किस से बात कर ली थी, जिस से फोन टूट गया.‘‘साक्षी, मैं ने तुम से अंधा इश्क किया था, जिस का मुझे यह सिला मिला. तुम्हारे लिए मैं ने अपना परिवार तक छोड़ दिया और तुम ने मेरे साथ यह क्या किया?’’ राजशेखर लगभग रोने लगा.

 

‘‘राज, तुम ऐसे बिहेव क्यों कर रहे हो? क्या किया मैं ने तुम्हारे साथ? मेरी तो कुछ सम?ा में नहीं आ रहा, तुम कह क्या रहे हो?’’‘‘मैं ने सब सुन लिया है. अपने आशिक के साथ मिल कर तुम ने धोखे से मेरी सारी प्रौपर्टी अपने नाम करवा ली. तुम ने जो किया वह बहुत गलत किया जिस के लिए मैं तुम्हें कभी माफ नहीं कर सकता. लेकिन मैं तुम्हें सजा भी नहीं दे सकता क्योंकि मैं अभी भी तुम से प्यार करता हूं. हां, मगर आज के बाद तुम्हारे पास सबकुछ होते हुए भी कुछ नहीं होगा. दौलत तो होगी तुम्हारे पास मगर प्यार को तरसोगी तुम.’’

‘‘जब तुम सबकुछ जान ही गए हो तो जाओ मेरा पीछा छोड़ो. और हां जल्द ही तुम्हारी उस फैमिली को भी घर से बाहर करने वाली हूं मैं क्योंकि तुम्हारी सारी प्रौपर्टी अब मेरी है.’’राजशेखर के पास आज कुछ नहीं. जिस के लिए परिवार छोड़ा उस ने सारी प्रौपर्टी ले कर उसे छोड़ा.

राज ने परिवार के पास वापस जाना चाहा तो परिवार ने उसे अपनाने से इनकार कर दिया क्योंकि उसी के करण परिवार आज सड़क पर आ गया था. सान्या मासूम बच्चों और बुजुर्ग सासससुर को ले कर कहां जाए? अपनी ऐसी स्थिति देख कर सान्या को राज से नफरत हो गई. इधर साक्षी ने अपने उस आशिक के पास जा कर शादी की बात की तो उसे पता चला कि उस ने जो प्रौपर्टी के पेपर बनवाए थे वे उस ने साक्षी के नहीं बल्कि अपने नाम करवा लिए थे.राज को साक्षी ठोकर मार चुकी थी और इधर प्रौपर्टी भी हाथ से गई. न घर की न घाट की और यही हाल राज का भी है..‘‘जाएं तो जाएं कहां, समझेगा कौन यहां, दर्द भरे दिल की जबां.’’

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