पुनीतअग्रवाल आज अपनी बीए प्रथम वर्ष की परीक्षा के बाद पहली बार अपने डिग्री कालेज गया था. वह बीए द्वितीय वर्ष में पहुंच चुका था. पुनीत बहुत ही मिलनसार और व्यवहारिक छात्र था. अपने कालेज में वह सबसे तेज था. पढ़ने में और खेलने में उसका शानी नहीं था. उसी दिन उसी के कालेज में उस दिन प्रोफेसरों/टीचरों की 26 जनवरी के संबंध में एक बैठक प्रिंसिपल साहब ने बुलाई थी. उसमें कुछ होशियार बच्चों को भी बुलाया गया था जिनमें पुनीत का भी नाम था.

लगभग 2 बजे आहूत किए गए लड़कों ने पुनीत के साथ ही कालेज के मीटिंग हाल में प्रवेश किया. सभी अध्यापकगण भी धीरेधीरे आ गए और 26 जनवरी को भव्य तरीके से मनाने की बात प्रिंसिपल को बताकर उस पर चर्चा की. कई अध्यापकों ने अपनेअपने मन्तक दिए. प्रिंसिपल साहब ने पुनीत का नाम लेकर कहा कि पुनीत बेटा तुम भी अपनी राय दो. पुनीत ने खड़े होकर कहा कि इस बार सर ?ांडा अवरोहण के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम पहले कराया जाए फिर लोग उस के बाद अपनी कविताएं एवं वक्तव्य दें.

वहां कई लड़कियों को भी बैठक में आहूत किया गया था जिनमें स्नेहा अग्रवाल जो बीए प्रथम वर्ष की छात्रा थी उसको उसकी बीए द्वितीय वर्ष की सहेलियां अपने साथ लेकर लाई थीं. सभी से स्नेहा का परिचय कराया गया और उसे भी अपनी राय गणतंत्र दिवस के मौके पर कार्यक्रम के लिए देने को कहा गया. स्नेहा भी तेजतर्रार मेधावी छात्रा थी. उसने इंटर कालेज में प्रथम और अपने कालेज में टौप किया था तथा वह संगीत व नृत्य की भी छात्रा थी. उसने कहा कि सर ठीक है. हम लोग भी एक सांस्कृतिक कार्यक्रम 26 जनवरी पर प्रस्तुत करेंगे.

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