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लेखक- वीरेंद्र बहादुर सिंह 

  ‘‘शायद जरूरत ही महसूस नहीं हुई. या फिर दोनों में से कोई हिम्मत नहीं कर सका. हम दोनों के इस प्यार की मूक साक्षी थी निकी. पर पता नहीं क्यों उस ने भी हमारे प्रेम को एकदूसरे के सामने व्यक्त नहीं किया.’’

  ‘‘तुम और असीम, कभी मिले नहीं?’’ मैं ने अनु को रोक कर पूछा.

  ‘‘नहीं, कभी जरूरत ही महसूस नहीं हुई.’’ उस ने कहा.

  ‘‘तुम लोगों की मिलने की इच्छा भी नहीं हुई? एकदूसरे को देखने का भी मन नहीं हुआ?’’ मैं ने पूछा.

  ‘‘क्यों नहीं हुआ? इच्छा तो होती ही है, लेकिन आधुनिक टेक्नोलौजी थी न जोड़े रखने के लिए हम हर रविवार को वीडियो चैट करते थे. यह मिलने जैसा ही था. आज हमारी पहली और अंतिम रूबरू मुलाकात थी.’’ कह कर वह सहज हंसी हंस पड़ी.

  ‘‘जब तुम दोनों के बीच इतनी अच्छी ट्यूनिंग थी तो फिर इस में तुम दोनों के अलग होने की बात कहां से आ गई?’’ मैं ने पूछा.

उस ने अपनी बात आगे बढ़ाई.

हम दोनों का एकदूसरे के प्रति प्रेम चरम पर था. अब तक असीम मुझे मुझ से ज्यादा जाननेपहचानने और समझने लगा था. मेरी छोटी से छोटी तकलीफ को बिना बताए ही जान जाता था. कई बार छोटीछोटी बात में मेरा मूड औफ हो जाता था. पर मुझे मनाने में उस का जवाब नहीं था. मुझे हंसा कर ही रहता था. मैं कभी भी उस से झूठ नहीं बोल पाती थी. वह तुरंत पकड़ लेता था कि मैं कुछ छुपा रही हूं. सच्चाई जान कर ही रहता था.

उस का ध्यान रखना, उस की देखभाल करना मुझे अच्छा लगता था. उस की मीटिंग हो या उसे कहीं बाहर जाना हो, मैं उसे सभी चीजों की याद दिलाती. उस के खाने, सोने और उठने, लगभग सभी बातों का मैं खयाल रखती थी.

सब ठीक चल रहा था कि एक दिन निकी ने मुझ से कहा, ‘‘अनु, असीम और तुम पिछले 4 महीने से एकदूसरे को जानते हो और जहां तक मैं समझा हूं 3 महीने से तुम दोनों एकदूसरे को प्रेम करते हो. इस बीच असीम ने तुम से कभी प्रियम के बारे में कोई बात की?’’

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  ‘‘प्रियम…? प्रियम कौन है?’’

  ‘‘सौरी टू से यू बट… मुझे लगा कि तुम्हें प्रियम के बारे में पता नहीं है. अगर पता होता तो तुम इस संबंध में इतना आगे न बढ़ती.’’ निकी ने कहा.

  ‘‘यार निकी प्लीज, अब तू इस तरह पहेली मत बुझा, जो भी बात है सीधेसीधे बता दे. कौन है यह प्रियम और असीम से उस का क्या संबंध है?’’ मैं ने झल्ला कर कहा.

  ‘‘अनु, असीम और प्रियम ने एक साथ एमबीए किया था और पिछले 4 सालों से दोनों एक साथ प्रणयफाग खेल रहे हैं. 6 महीने पहले प्रियम फ्यूचर स्टडीज के लिए यूएसए चली गई है.’’

  ‘‘निकी इतने दिनों तक तुम ने मुझ से यह बात छुपाए क्यों रखी, तुम्हें पहले ही बता देना चाहिए था.’’

  ‘‘अनु, मैं सोच रही थी कि यह बात तुम से असीम खुद कहे तो ज्यादा अच्छा होगा. पर जब मुझे लगा कि शायद असीम भी तुम्हें प्यार करने लगा है तो अब वह तुम से यह बात नहीं कह सकता. तब मुझे यह बात कहनी पड़ी. अनु असीम प्रियम को बहुत प्यार करता है, इसलिए अब तुम्हें इस संबंध में और अधिक गहरे जाने की जरूरत नहीं है. क्योंकि बाद में जब सहन करने की बात आएगी तो वह तुम्हारे हिस्से में ही आएगी.’’ निकी ने कहा.

  ‘‘सहन करने वाली बात मेरे ही हिस्से में क्यों आएगी?’’ निकी की बात मेरी समझ में नहीं आई, इसलिए मैं ने पूछा.

  ‘‘अगर प्रियम को अंधेरे में रख कर यानी उसे धोखा दे कर असीम तुम से शादी कर लेता है और भविष्य में कभी तुम्हें प्रियम और असीम के पुराने संबंध के बारे में पता चलता तो मन में अपराध बोध की जो भावना पैदा होगी वह तुम्हें.

  ‘‘अनु, तुम मेरी बात पर गहराई से विचार करो. उस के बाद खूब सोचसमझ कर आगे बढ़ो. मेरे कहने का मतलब यह है कि इस मामले में पूरी परिपक्वता दिखा कर ही निर्णय लो. मुझे तुम पर पूरा विश्वास है कि तुम जो भी निर्णय लोगी, सोचसमझ कर ही लोगी. तुम्हारा जो भी निर्णय होगा, उस में मैं तुम्हारे साथ हूं.’’ निकी ने कहा.

निकी की बात सुन कर मेरे मन में भूकंप सा आ गया था. उस की इन बातों से मेरे दिल पर क्या बीती, यह सिर्फ मैं ही जानती हूं. मैं पूरे दिन रोती रही. मैं ने न तो असीम को फोन किया और न ही मैसेज भेजा. उस के मैसेज के जवाब भी नहीं दिए. सच बात तो यह थी कि मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था. मैं बिजी होऊंगी. यह सोच कर असीम ने भी कोई रिएक्ट नहीं किया.

पर शाम को जब उस ने फोन किया तो मेरी बातों से ही उसे लग गया कि कुछ गड़बड़ है. तब उस ने पूछा, ‘‘अनु बात क्या है, आज तुम्हारी आवाज अलग क्यों लग रही है? ऐसा लगता है आज तुम खूब रोई हो, शायद अभी भी रो रही हो?’’

  ‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है.’’ मैं ने कहा.

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पर असीम कहां मानने वाला था. उस ने कहा, ‘‘अनु, तुम्हें तो पता है कि तुम मेरे सामने झूठ नहीं बोल पातीं. इसलिए बेकार की कोशिश मत करो. सचसच बताओ, क्या बात है? तुम्हें मेरी कसम, बताओ तुम डिस्टर्ब क्यों हो? औफिस में कुछ हुआ है? किसी ने कुछ कहा है? प्लीज अनु, आइ एम वरीड यार…’’

  ‘‘मैं आज औफिस गई ही नहीं थी.’’ मैं ने कहा.

  ‘‘ क्यों? जब तुम औफिस नहीं गई थीं तो फोन क्यों नहीं किया, मैसेज करने की कौन कहे, जवाब भी नहीं दिया? क्यों अनु?’’ असीम को मेरी बात पर आश्चर्य हुआ.

  ‘‘असीम, यह प्रियम कौन है?’’ मैं ने असीम से सीधे पूछा.

मेरे इस सवाल पर पहले वह थोड़ा हिचकिचाया, फिर बोला, ‘‘…तो यह बात है. आखिर निकी ने बता ही दिया.’’

  ‘‘हां, उसी ने बताया है मुझे.’’ मैं ने बेरुखी से कहा, ‘‘पिछले 4 महीने में तुम ने कभी भी नहीं बताया, तुम्हें कभी नहीं लगा कि तुम्हें प्रियम के बारे में मुझे बताना चाहिए?’’

  ‘‘लगा था मुझे, कई बार लगा था, कई बार सोचा भी कि तुम से प्रियम के बारे में बता दूं. पर जुबान ही नहीं खुलती थी.’’

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