ठाणे के भिवंडी एरिया में नई बनी सोसाइटी ‘फ्लौवर वैली’ की एक बिल्डिंग के तीसरे फ्लोर के एक फ्लैट में 28 वर्षीय शिव त्रिपाठी सुबह अपनी पूजा में लीन था. तभी डोरबैल बजी. किचन में काम करती उस की पत्नी आरती ने दरवाजा खोला.

सामने वाले फ्लैट की नैना ने चहकते हुए कहा, ''गुडमौर्निंग आरती, दही जमाने के लिए खट्टा देना, प्लीज. रात को मैं और ज़ोया सारी दही खा गए, खट्टा बचाना याद ही नहीं रहा,'' फिर गहरी सांस अंदर की तरफ खींचती हुई बोली, ''क्या बना रही हो, बड़ी खुशबू आ रही है. अरे, डोसा बना रही हो क्या?''

आरती ने कहा, ''हां, आ जाओ, दही ले लो.”

''बस, जल्दी से दे दो, एक मीटिंग है, लैपटौप खोल कर आई हूं. और हां, दोतीन डोसे हमारे लिए भी बना लेना, घर के डोसे की बात ही अलग है.”

आरती ने मुसकरा कर कहा, ''हां, तुम दोनों के लिए भी बनाने वाली ही थी.”

फिर अंदर झांकते हुए नैना हंसी, ''तुम्हारे शिव ‘जी’ पूजा में बैठे हैं क्या?''

''हां,'' आरती को उस के कहने के ढंग पर हंसी आ गई.

नैना चली गई. शिव वैसे तो पूजा कर रहा था पर उस ने दरवाजे पर हुई पूरी बात सुनी थी. पूजा कर के उठा तो नैना ने अपना और उस का नाश्ता लगा लिया. शिव ने पूछा, ''यह सामने वाले फ्लैट से अब कौन सी लड़की क्या मांगने आई थी? इसे खुद किसी चीज का होश नहीं रहता क्या?''

''अरे, तो क्या हुआ, अकेली लड़कियां हैं, कितनी प्यारी हैं दोनों, मुझे तो बहुत ही अच्छी लगती हैं दोनों.''

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