Hindi Folk Tales :  सर घड़ी तो देखिए रात के 8 बज गए.’’

‘‘तो? वे तो रोज बजते हैं. उस में क्या? जाओ अपना काम करो.’’

‘‘आप जानते हैं कि मेरा घर यहां से बहुत दूर है और मैं अपनी छोटी बच्ची पड़ोस में छोड़ कर यहां काम करने आती हूं.’’

‘‘इस में हम क्या करें?’’

‘‘सर, प्लीज मु?ो जाने दीजिए कल सुबह जितनी जल्दी बुलाएंगे मैं पक्का आ जाऊंगी.’’

कविता फैक्टरी के मैनेजर राणे से हाथ जोड़ कर विनती करती रही पर उस की जायज याचना उस ने उस के साथ होने वाले परिणाम को बिना विचारे सिरे से नकार दी.

‘‘देखो हम ने आप को नौकरी पर रखने से पहले सारी बातें पानी की तरह साफ कर रखी थीं कि जब ज्यादा और्डर आएंगे तो आप को देर रात काम करना पड़ेगा. तब कोई बहाना नहीं चलेगा.’’

‘‘सर, प्लीज.’’

‘‘आप को जाना है तो बेशक जाइए पर फिर कल से काम पर आने की कोई जरूरत नहीं है.’’

मैनेजर राणे ने अपने असिस्टैंट को उस के सामने ही आवाज देते हुए कहा, ‘‘पुजारी., देखो ये मैडम जाना चाहती हैं, इन का हिसाब कर इन की छुट्टी कर दो और कल से गेट में घुसने मत देना. यहां हर किसी की सुनने बैठे रहे तो फिर चल गई फैक्टरी.’’

सब के सामने कविता को जिल्लत भरी बातें सुना कर अपने कड़वे मुंह में अपनी ऐंठनी हंसी दबाते मैनेजर राणे फैक्टरी में काम देखने चले गए.

कविता के पास कोई चारा न बचा. मजबूरी न होती तो आज ही नौकरी छोड़ देती पर अपनी लाचारी के आगे कोई ऐसावैसा कदम उठाने की हिम्मत न कर पाई. बु?ो मन से उस ने अपना ऐप्रन वापस पहना और काम पर लग गई.

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