बच्चों को विकास के लिए प्रोटीन, कैल्सियम, वसा, आयरन, विटामिंस और जिंक जैसे पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है. ये सभी पोषक तत्त्व फिजिकल और मैंटल ग्रोथ के साथसाथ लंबाई को बढ़ाने में भी हैल्प करते हैं. इसलिए हर बच्चे के खाने में इन का शामिल होना बहुत जरूरी है.

फायदेमंद आहार

बच्चों को ऐसा खाना देना चाहिए जो उन की बौडी की ग्रोथ करे जैसे दूध, कम फैट वाला दही, बटर, अंडे, मीट (कम मात्रा में), फिश, हरी सब्जियां, फल, ड्राईफ्रूट्स, मक्खन वगैरहवगैरह. इस के अलावा बच्चों को और्गेनिक सब्जियां भी देनी चाहिए. कोशिश करें कि आप जो फल और सब्जियां बच्चों को दें वे और्गेनिक हों. ये उन की हैल्थ के लिए बहुत फायदेमंद हैं.

इस बारे में डफरिन हौस्पिटल के चाइल्ड स्पैशलिस्ट डाक्टर सलमान का कहना है, ‘‘बच्चों के अच्छे विकास के लिए उन की डाइट पर खास ध्यान देना चाहिए. छोटी उम्र में उन के आहार को फैंसी न रखें. अगर आप बच्चों के लिए कुछ बना रही हैं तो ऐसे आहार को चुनें जिस में प्रोटीन, साबूत अनाज, सब्जियां, फल, दूध या दूध से बने खाद्यपदार्थ हों जैसे वैजिटेबल सैंडविच, सेब, अनार, दूध ये सब चीजें बच्चों के लिए पौष्टिक होती हैं इसलिए हर बच्चे की डाइट में इन का होना बहुत जरूरी है.

बच्चों को दें प्रोटीन का साथ

बच्चों को ऐसा खाना दें जो प्रोटीन से भरपूर हो. ये उन के पोषण के लिए बहुत जरूरी हैं जैसे दूध, दालें, चने, अंडे, दही, मूंगफली, पनीर, नौनवैज फूड, बादाम आदि. अगर आप का बच्चा खाने में आनाकानी करता है तो आप कई और तरीकों से प्रोटीन की कमी को पूरा कर सकती हैं. आप बेक्ड चिकन, दही, स्ट्रिंग पनीर या ताजा सब्जियों के स्लाइस के साथ बच्चों के लिए शानदार, पौष्टिक और स्वादिष्ठ स्नैक्स बना सकती हैं. इस में फिश फिंगर भी एक अच्छी चौइस है. ध्यान रहे मछली के कांटे पहले ही निकाल लें वरना वे बच्चों के गले में फंस सकते हैं. रावस, अहि और बंगड़ा प्रोटीन एवं ओमेगा 3 से भरपूर मछलियां हैं.

इस के अलावा आप बच्चे को ब्राउन ब्रैड पर पीनट बटर लगा कर भी दे सकती हैं. यह प्रोटीन का एक अच्छा सोर्स है. आप कुछ और बटर जैसे सूरजमुखी के बीज, बादाम और काजू के बटर का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. अगर बच्चे को पीनट से ऐलर्जी है तो उसे पीनट बटर बिलकुल भी न दें. इस बात को जान लें कि प्रोटीन की कमी से बच्चों की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं इसलिए प्रोटीन एक जरूरी तत्त्व है.

दें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट

बच्चों के लिए कार्बोहाइड्रेट्स ईंधन का काम करते हैं. स्टार्च वाली सब्जियां जैसे आलू और मक्का कार्बोहाइड्रेट के अच्छे सोर्स हैं. आप इन्हें कटलेट के रूप में बच्चे को खिला सकती हैं. कार्बोहाइड्रेट के लिए आप मिल्कशेक भी दे सकती हैं, लेकिन विदआउट शुगर. ऐसा दूध जिस में लैक्टोज होता है, कार्बोहाइड्रेट का एक अच्छा सोर्स है. इसे फल के साथ मिला कर शेक के रूप में दिया जा सकता है. इस के अलावा कार्बोहाइड्रेट के अन्य सोर्स हैं- रोटी, ब्रैड, चावल, ओट्स, दालें, शकरकंद, सेब, स्ट्राबैरी और केला कार्ब्स के अच्छे सोर्स हैं.

विटामिन का साथ है जरूरी

एक बच्चे की ग्रोथ उस के पोषण पर डिपैंड करती है. इस में विटामिन का बहुत बड़ा रोल होता है. विटामिन ए से हड्डियों की ग्रोथ होती है. इस से नजर तेज और इम्यूनिटी स्ट्रौंग होती है. यह संक्रमण से भी बचाता है. विटामिन ए के कई सोर्स हैं जैसे दूध, पनीर, गाजर, चुकंदर और पालक. विटामिन बी2 हमें हरी पत्तेदार सब्जियों से मिलता है. मशरूम, हरे मटर, विटामिन बी3 के सोर्स हैं. फूलगोभी, चिकन और शकरकंद विटामिन बी5 के स्रोत हैं. मछली, अंडे और दूध से बने उत्पादों से विटामिन बी12 मिलता है. यह बच्चों को उन बीमारियों से बचाता है जो उन की ग्रोथ में बाधा बनती हैं. विटामिन सी खट्टे फल और नीबू से मिलता है. ब्रोकली से विटामिन के, बी6, बी2, बी9 और सी मिलता है. इसलिए अपने बच्चों के खाने में भरपूर मात्रा में विटामिन परोसें.

यह भी सच है कि बच्चे इन्हें इतनी आसानी से नहीं खाएंगे इसलिए आप इन्हें बच्चों को कुछ यूनीक तरीके से बना कर खिलाएं.

वसा परोसें

जिस तरह से बच्चों के लिए विटामिन, कैल्सियम, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन जरूरी है उसी तरह उन के लिए वसा भी बहुत जरूरी है. वसा के स्रोत में नट्स, मूंगफली, अखरोट, काजू, वसायुक्त फिश, घी, बीज और ऐवोकाडो है. घी और नारियल तेल जैसे अधिक वसायुक्त वाले प्रोडक्ट्स बच्चों को न दें.

कैल्सियम और जिंक को अपनाएं

बच्चों को हर दिन दूध या दही जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स की 3 खुराक की जरूरत होती है. दूध और दही कैल्सियम के सब से अच्छे सोर्स हैं. इन में काफी मात्रा में जिंक भी होता है. ये सभी हड्डियों और दांतों की मजबूती एवं विकास के लिए बहुत लाभकारी हैं. कैल्सियम के अन्य स्रोत हैं- गाजर, मक्खन, ब्रोकली, अंडे. इन्हें अपने बच्चों की डाइट में शामिल कर के आप उन्हें कैल्सियम की कमी से होने वाली बीमारियों से बचा सकती हैं. वहीं जिंक के मुख्य स्रोत तिल, कद्दू के बीज और नट्स हैं. अगर आप चाहती हैं कि बच्चों को भरपूर पोषण मिले तो आप उन की डाइट में जिंक को भी शामिल करें.

आयरन से मिलाएं हाथ

आयरन के मुख्य स्रोतों में फलसब्जी, दूध, अनाज शामिल हैं. आयरन शरीर में इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है. यह घावों को भरने और बच्चों के विकास के लिए भी फायदेमंद है. अपने बच्चों की डाइट में आयरन प्रोडक्ट शामिल कर के उन्हें हैल्दी बनाएं.

मैग्नीशियम है जरूरी

बादाम, अंडे, दूध, खरबूजा, चने, तिल और चावल मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत हैं. केले में भी अच्छी मात्रा में मैग्नीशियम होता है. मैग्नीशियम बौडी और माइंड के बीच मैसेज भेजने का महत्त्वपूर्ण रोल निभाता है. बौडी में मैग्नीशियम की सही मात्रा होने से दिमाग की कार्यक्षमता बढ़ती है. जिस से याददाश्त तेज होती है.

नो स्टोर जंक फूड

बेहतर है कि आप घर में जंक फूड न के बराबर ही रखें. घर में ज्यादा से ज्यादा हैल्दी फूड भी रखें. अगर वह है तो इस में से कुछ खाएंगे भी तो आप बेफिक्र हो जाएं क्योंकि वह हैल्दी ही होगा.

फूड को दें अपना नाम

खाने को अपना नया नाम दें. बच्चे खाने का वही बोरिंग सा नाम सुन कर थक जाते हैं इसलिए आप खाने का नया नाम रखें. कोशिश करें कि नाम कुछ फनी और इंट्रस्टिंग हो जैसे नौर्मल से ब्रैड आमलेट का नाम बदल कर आप एग्गी ब्रैड रख सकती हैं. इस का नाम सुन कर बच्चे सोचेंगे कि कोई नई डिश है और वे इसे बड़े चाव से खाएंगे. इसी तरह ब्रोकली से बनी डिश को आप बेबी ट्री का नाम दे सकती हैं. ब्रोकली माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का बेहतरीन सोर्स है जैसेकि विटामिन के, बी6, बी2, बी9 और सी.

फूड की चेंज शेप

बच्चों को खाना खिलाने का एक अन्य तरीका उस की शेप को बदलना है. बच्चे सैंडविच को ट्राइऐंग्युलर शेप में देखदेख कर बोर हो गए होंगे. उन्हें सैंडविच नई शेप में परोसें. इस के लिए आप उसे स्टार, हार्ट और सर्कल शेप में ट्राई कर सकती हैं. इस के लिए मार्केट में डिफरैंट टाइप के शेप कटर मिलते हैं.

आप इसे और अट्रैक्टिव बनाने के लिए इस पर टोमैटो सौस से आंख और मुंह क्रिएट कर सकती है. आप इस पर पतलीपतली गाजर से मूंछे भी बना सकती हैं. ऐसा क्रिएटिव सैंडविच देख कर बच्चे बारबार उसे खाने की फरमाइश करेंगे. इसी तरह आप स्माइली फेस पैनकेक बना सकती हैं जो बच्चों को बहुत पसंद आएगा. आप टोस्ट को भी अलगअलग शेप में तैयार कर सकती हैं.

रंगों का खेल

बच्चों को फ्रूट्स खिलाना बिलकुल भी आसान काम नहीं है. लेकिन उन्हें न्यूट्रिशन से भरपूर डाइट देनी है तो यह सब तो खिलाना ही होगा. आप फलों के साथ रंगों का खेल खेल सकती हैं जैसे अगर बच्चे फल खाने से इनकार करते हैं तो आप फल को अलगअलग शेप में काट सकती हैं जैसे मंकी और खरगोश का फेस. आप अलगअलग फलों को काट कर घर या ट्री की शेप दे कर बच्चों को इन्हें खाने के लिए तैयार कर सकती हैं.

सब्जियों को दें ड्रैसिंग का साथ

बच्चों को कुछ कच्ची सब्जियां जैसे गाजर और खीरा खाने को दें. टेस्ट के लिए इस पर थोड़ी सी ब्राउन शुगर लगा दें. कुछ सब्जियों पर दही की भी ड्रैसिंग की जा सकती है. एक रिसर्च के मुताबिक रोजाना फल या सब्जियां खाने से कार्डियोमैटाबोलिक बीमारी का खतरा 6 से 7त्न तक ही रहता है.

टेस्ट उन के न्यूट्रिशन आप के

बच्चे मफिन खाना बेहद पसंद करते हैं. ऐसे में आप मफिन को हैल्दी बनाने के लिए केले या सेब का इस्तेमाल सकती हैं. आप इस में ड्राईफ्रूट्स भी पीस कर या काट कर के डाल सकती हैं. इस तरह से बच्चे टेस्टी और हैल्दी मफिन खा सकेंगे.

इस के अलावा आप को खुद में भी कुछ बदलाव करने होंगे क्योंकि बच्चा जो देखता है, वही सीखता और अपनाता भी है. इस में पहला कदम होगा रोल मौडल बनना. अगर आप अपने बच्चे को न्यूट्रिशन से भरपूर खाना खिलाना चाहती हैं तो सब से पहले आप उस की रोल मौडल बनें. अगर आप हैल्दी खाना खाएंगी तो बच्चा भी वहीं खाएगा और वह भी बिना किसी नखरे के. वहीं अगर आप अनहैल्दी यानी जंक फूड खाएंगी तो आप का बच्चा भी ऐसा ही खाना खाएगा और हर वक्त ऐसा ही खाना खाने की जिद्द करेगा. इसलिए आप हैल्दी फूड ही खाएं. हां कभीकभी जंक फूड खाया जा सकता है.

ध्यान रखें

आप इस बात का ध्यान रखें कि घर में अलगअलग लोगों के लिए अलगअलग खाना न बनाएं या बनवाएं. सब एक ही तरह का खाना खाएं. बच्चों को घर में मीठा न दें. बच्चे घर से बाहर ही ऐसी चीजें खा लेते हैं जिन में शुगर होती है इसलिए बच्चों को घर में शुगर बिलकुल भी न दे.

‘इंडिया साइंस वायर’ से हुए इंटरव्यू में तेलंगाना स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान की निर्देशक डाक्टर आर. हेमलता ने बताया, ‘‘4-6 वर्ष के बच्चों के लिए 120 ग्राम अनाज, 45 ग्राम फलियां, 100 ग्राम सब्जियां, 75 ग्राम फल, 400 मिलीलिटर दूध, 25 ग्राम वसा आदि होनी चाहिए. बचपन में बेहतर पोषण अच्छे स्वास्थ्य और विकास के लिए बहुत जरूरी है. अगर बच्चों को मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स सही मात्रा में नहीं मिलते हैं तो उन में कई तरह की एलर्जी होने का खतरा रहता है. इस से उन का मानसिक और शारीरिक विकास देरी से हो सकता है.”

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...