Europe Trip: यूरोप ट्रिप हिना का सपना था. उस का यह सपना पूरा हुआ भी, लेकिन यह ट्रिप उस के लिए एक कड़वी याद बन कर रह गया जो बजट बनाया था उस से 3 लाख ज्यादा खर्च हो गए. पूरा ट्रिप उसी ने प्लान किया था. पति ने और कंट्रीब्यूट करने से इनकार कर दिया. क्रैडिट कार्ड की ईएमआई बनवानी पड़ी.
यूरोप ट्रिप प्लान करना आसान नहीं है. इतनी सारी प्लानिंग करने में बहुत बोरियत होती है क्योंकि पूरी जानकारी नहीं होती. पूरा परिवार मिल कर प्लानिंग करे तो कुछ ही दिनों में मजेमजे में पूरी प्लानिंग हो जाएगी.
जरूरी चीजें नोट करें
किन देशों में जाना चाहते हैं. कितने दिन जाना है. कहां पर, किस दिन, क्या खास है, यह रिसर्च कर के नोट करें. नुपुर के यूरोप पहुंचने के दिन ही एम्स्टर्डम में फ्लौवर फैस्टिवल था, लेकिन उस की एम्स्टर्डम की बुकिंग लास्ट वाले दिनों में थी, तब तक फैस्टिवल खत्म हो चुका था. उसे हमेशा अफसोस रहेगा कि काश वह पहले एम्स्टर्डम चली जाती. खराब प्लानिंग की वजह से ऐसा हुआ.
यूरोप का वीजा लगते ही ऐक्शन मोड में आ जाएं. होटल बजट में मिले तो बेहतर है वरना बच्चों के साथ बैठ कर कुछ अपार्टमैंट या गैस्टहाउस देखें. बुकिंग कराने से पहले उन में सहूलियतें चैक करें. रिव्यूज पढ़ें. देखें कि ट्रेन, ट्राम या बस का कौन सा स्टेशन पास में है, घूमने की जगहें वहां से कितनी दूर हैं.
पैरिस में अदीबा की फैमिली का गैस्टहाउस मेन सिटी से काफी दूर था. आनेजाने में ही काफी वक्त लग जाता था. वे पूरा पैरिस घूम ही नहीं पाए.
एक से दूसरे देश कैसे जाना है, इस की पूरी रिसर्च कर के ही बुकिंग कराएं. कहां पर, कौनकौन से पर्यटन स्थल हैं, इस की लिस्ट बना लें. यह भी नोट करें कि कहां, कितना टिकट लगेगा.
कहीं खाना बजट न बिगाड़ दे
शालिनी अपनी 2 टीनऐजर बेटियों के साथ यूरोप घूमने गई. वहां से लौटे तो बजट दोगुना हो चुका था. उन्होंने तोबा कर ली है कि कभी विदेश का रुख नहीं करेंगे. उन की गलती यह थी कि बच्चों ने खाने पर जम कर पैसा लुटाया. इंडियन खाने से ले कर, लोकल क्विजीन, आइसक्रीम, नूडल्स, पिज्जा, कोल्डड्रिंक सबकुछ खाया. अकसर लोग कहते हैं कि बच्चे खाना तो खाएंगे ही. लेकिन क्या जरूरी है कि सबकुछ ट्राई किया ही जाए? क्यों न प्लानिंग के वक्त ही बच्चों को समझा दिया जाए कि वहां जा कर किस चीज पर खर्च करना है, किस पर नहीं तो बच्चे अपना माइंड मेकअप कर के जाएंगे. खर्च बजट के अंदर रहेगा. बाद में भी कभी जा पाएंगे. यूरोप बहुत बड़ा है, कई बार जाया जा सकता है.
वंदना ने खानेपीने की लिस्ट बनाई. तय किया कि कभीकभार केवल डिनर बाहर से करेंगे और वह भी पेट भरने लायक. उस ने 1 हफ्ता पहले से ही कुक को मठरी, लड्डू वगैरह बनाने में लगा दिया. बच्चों को भी कुक के साथ लगाया. बच्चों ने यूट्यूब से सीख कर ओवन में बिस्कुट बना लिए. मखाने और बाकी ड्राई फ्रूट रोस्ट कर के पैक कर लिए. मुरमुरे और ड्राई फू्रट की नमकीन भी बना ली. इंसान को अपनी मेहनत की कद्र होती है. बच्चों ने बनाने में मेहनत की थी, इसलिए उन्होंने वहां वह सब खाया भी.
आभा अपने साथ ट्रैवल कूकर ले गई. यह कूकर औनलाइन या किसी दुकान से डेढ़-दो हजार रुपए में मिल जाता है. यह एक इलैक्ट्रिक स्टोव और पतीला होता है. इस में मैगी, चावल बना सकते हैं, पर होटल में ऐसा नहीं कर सकते वरना अलार्म बज जाएगा और मोटा फाइन लगेगा जो आप को भरना पड़ेगा. गैस्टहाउस में उसे यूज कर सकते हैं. लेकिन बरतन आप को खुद धोने होंगे. वे आप को केवल ब्रेकफास्ट देते हैं और उस के बरतन धोते हैं. वैसे वहां माइक्रोवैव और ओवन भी मिल जाता है. उन में चावल बना कर खा सकते हैं. घर से चावल, दाल, मसाले, तेल ले जाएं. सब्जियां पास के स्टोर से ले सकते हैं. दालचावल, सब्जीचावल, पुलाव, खिचड़ी बना सकते हैं.
कुछ पारंपरिक रैस्टोरैंट या कैफेज में टेबल के पैसे अलग से देने पड़ सकते हैं. इटली के शहर वेनिस में पिज्जा खाने जाएंगे तो 2-3 यूरो यानी ढाईतीन सौ रुपए केवल टेबल के लगेंगे वरना शौक से खड़े हो कर पिज्जा खा सकते हैं. किसी भी रैस्टोरैंट या कैफे में और्डर करने से पहले मेन्यू में रेट जरूर चैक कर लें.
पूरी फैमिली जा रही है तो हर शहर में अपार्टमैंट ले सकते हैं. खाना बनाने के लिए मौडर्न रसोई मिलेगी. अपार्टमैंट में वे नाश्ता नहीं देंगे. नाश्ता और डिनर खुद बना सकते हैं. काम को बांट लें. सफाई का खयाल रखें और घूमने के लिए जाते समय बरतन धो कर, शैल्फ पोंछ कर जाएं. शायद आप का सवाल होगा कि ट्रिप पर भी काम करें क्या? यकीन मानिए, सब मिल कर काम करेंगे तो मजा आएगा. बहुत सारा पैसा बचेगा, जिसे आप किसी और ट्रिप पर खर्च कर सकते हैं.
क्या नहीं करना है
रैडी टू ईट सब्जियां न ले जाएं. होटल में ये किसी काम की नहीं और गैस्टहाउस में इन की जरूरत नहीं क्योंकि आप ताजा खाना बना सकते हैं. वैसे भी प्रोसैस्ड फूड पेट खराब कर के ट्रिप का मजा किरकिरा कर सकता है.
सैंडल, जूतियां पैक न करें. स्पोर्ट्स शूज पहन कर जाएं. अच्छे स्पोर्ट्स शूज बर्फ पर भी काम आते हैं. जिसे चलनेफिरने में परेशानी हो, वह बर्फ के जूते ले जा सकता है.
5 लोग और 6-7 फोन या 2 लोग, 4 फोन होंगे तो ट्रिप का मजा कैसे आएगा? 2 फोन ले कर जाएं. एक फोन में मंथली डेटा पैक ले लें. दूसरा फोन केवल वाईफाई के लिए रखें. यकीन करें, बहुत हलका महसूस होगा.
बच्चों को और खुद को भी समझाएं कि शौपिंग नहीं करनी है. हर चीज के दाम करीब सौ गुणा होंगे.
स्विट्जरलैंड में चौकलेट फैक्टरी में खाली पेट न जाएं. वहां बहुत सारी चौकलेट टेस्ट कर सकते हैं. वह टिकट में शामिल होती है, अलग से पैसे नहीं देने पड़ते.
मंजुला की फैमिली ने सोचा जम कर चौकलेट खाएंगे, इसलिए नाश्ता कर के नहीं गए. खाली पेट चौकलेट खा कर सब का पेट खराब हो गया. बाकी का ट्रिप कैसा रहा होगा, आप अंदाजा लगा सकते हैं.
किसी से उलझना नहीं है. अंजलि की फैमिली स्टेशन पर पहुंची तो ट्रेन प्लेटफौर्म पर खड़ी थी. भागते हुए एक लोकल बच्चे को धक्का लग गया और वह नीचे गिर गया. बच्चे की मां चिल्लाने लगी. सौरी बोलने के बजाय अंजलि उस से बहस करने लगी. अंजलि के हस्बैंड ने बच्चे की मां से माफी मांगी. ट्रेन मिस हुई. मूड खराब हुआ. बच्चे की मां पुलिस को फोन कर देती तो पूरा ट्रिप खराब हो जाता.
डाइटिंग न करें खासकर ब्रेकफास्ट के समय वरना शरीर में कमजोरी आ जाएगी और घूम नहीं पाएंगे. मीठा खाने से ज्यादा परहेज न करें. फ्रूट्स जरूर खाएं.ये ऐनर्जी और पौष्टिकता देंगे.
नई ऐक्सरसाइज या वर्कआउट ट्राई न करें. मसल्स में कोई प्रौब्लम हो गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे.
स्विट्जरलैंड में बोतलबंद पानी न खरीदें. सूटकेस में 2 खाली पानी की बोतल पैक कर के ले जाएं. वहां जगहजगह पानी के सिंगल फाउंटेन जैसे नल मिल जाएंगे. वह पानी सेफ होता है. पेट खराब नहीं होगा.
पैरिस में मैट्रो में लापरवाही से न बैठें. फोन का खास खयाल रखें. वहां कभीकभी फोन स्नैचिंग होती है.
अंदाजा न लगाएं वरना आप भटक जाएंगे. ट्रेन, ट्राम या बस के बारे में पक्का पता न हो तो पूछ लें. लोग काफी हैल्पफुल होते हैं. सब विस्तार से बताते हैं और ट्रेन वगैरह के स्टेशन तक छोड़ आते हैं. दूर तक भी.
इन टिप्स को आजमा कर ट्रिप हसीन याद बन सकता है
– पांखुड़ी यूरोप गई तो फ्लाइट में उस के पैरों में सूजन आ गई. फ्लाइट लैंड होने पर जूते पहनने में बहुत मुश्किल हुई. इसलिए ऐक्स्ट्रा लैग स्पेस वाली सीटें लें. थोड़े ऐक्स्ट्रा पैसे लगेंगे, लेकिन ये खर्च करना बनता है. पहले बुक न हों तो फ्लाइट में जाने के बाद एअर होस्टेस से पूछ लें. खाली होंगी तो वे पेमैंट ले कर अपग्रेड कर देंगे.
– जिन को टेलबोन का दर्द हो, उन्हें बीचबीच में उठ जाना चाहिए वरना यह भयानक रूप ले लेगा. अपनी सीट के पास या इमरजैंसी ऐग्जिट के पास कुछ मिनट के लिए खड़े हो सकते हैं.
– बीच में कहीं ले ओवर है तो एअरपोर्ट पर बैठे ही न रहें या सोएं नहीं. थोड़ा घूम लें, हलकीफुलकी स्ट्रैचिंग कर सकते हैं. हाथमुंह धो कर फ्रैश हो लें. ब्रश कर लें ताकि डैंटल हैल्थ ठीक रहे.
– सभी लोग एक ही टाइम पर न सोएं. फ्लाइट मिस हो सकती है. कई बार थकान की वजह से गहरी नींद आ जाती है, टाइम का पता नहीं चलता.
– एअरपोर्ट पर लाउंज ऐक्सैस है तो ढेर सारी वैरायटीज में से वही खाएं जो आसानी से
पच जाए. पेट खराब हो गया तो फ्लाइट में परेशानी होगी.
– कई लोगों को फ्लाइट का खाना डाइजैस्ट नहीं होता, इसलिए खाने से पहले अपने पेट की हालत देख लें.
– सारी दवाइयां जरूर पैक करें. दवाइयों के साथ प्रिस्क्रिप्शन भी रख लें, एअरपोर्ट पर आप से पूछा जा सकता है. होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक दवाइयों के परचे भी साथ रखें.
– कोई खास कंडीशन है तो प्लान करने से पहले डाक्टर की सलाह ले लें. वहां रैजिडेंट्स को
ही मुश्किल से डाक्टर की अपाइंटमैंट मिलती है, इसलिए यह न सोचें कि विदेश में बेहतर इलाज मिलेगा.
– यूरोप का वीजा मिलते ही अकसर लोग बहुत ज्यादा खुश हो जाते हैं और धड़ाधड़ शौपिंग करते हैं. सर्दी के कपड़े तो होंगे ही, उन्हीं को यूज कर लें तो बेहतर है वरना इस शौपिंग का खर्च भी ट्रिप के हिस्से आएगा.
– एक से दूसरे देश जाने में ज्यादा सामान से परेशानी होगी. कम से कम कपड़े रखें. वहां हमेशा सर्दी रहती है. लेयर्स में कपड़े पहनने का प्लान बनाएं.
– एक से दूसरे देश या शहर जाने के लिए फ्लाइट लेंगे तो बजट गड़बड़ा जाएगा. वहां की ट्रेनों में फ्लाइट जैसी सुविधाएं होती हैं. सीट के पास चार्जर पौइंट होते हैं, जहां फोन, पावर बैंक, लैपटौप चार्ज कर सकते हैं. सीट के सामने ट्रे भी होती है, जहां लैपटौप रख कर आराम से
काम कर सकते हैं. ट्रेनों का वाईफाई काफी फास्ट होता है तो कोई परेशानी नहीं होगी. हां, आप के प्रोजैक्ट ज्यादा कौन्फिडैंशियल हैं तो अपना डेटा ही यूज करें. इन ट्रेनों के टौयलेट भी फ्लाइट की तरह मौडर्न होते हैं.
– ट्रेन में कहीं भी टिकट चैकर मिल सकते हैं. पासपोर्ट और टिकट की कौपी (हार्ड और सौफ्ट दोनों) अपने पास रखें ताकि मांगने पर दिखा सकें.
– यूरोप के लगभग हर देश के रेलवे स्टेशन एअरपोर्ट से कम नहीं होते. ट्रेन के शैड्यूल्ड टाइम से कम से कम आधा घंटा पहले जरूर पहुंच जाएं. प्लेटफौर्म ढूंढ़ने में वक्त लग सकता है. ट्रेनें बिलकुल टाइम पर चलती हैं. कभीकभार किसी टैक्निकल गड़बड़ी की
वजह से ट्रेन सिर्फ 2-4 मिनट के लिए लेट हो सकती है.
– वहां की कई ट्रेनों में रूल होता है कि फोन पर बात नहीं कर सकते. कोई भी रूल तोड़ने पर जुरमाना हो सकता है वह भी मोटी रकम का. ट्रेन पर चढ़ते ही सैटल होने से पहले रूल्स को ध्यान से पढ़ लें.
– आप को वहां भाषा की प्रौबल्म होगी क्योंकि यूरोप के कई देशों में लोगों को इंग्लिश नहीं आती खासकर इटली में. वहां औनलाइन ट्रांसलेशन का सहारा लेना पड़ेगा.
– गैस्टहाउस, अपार्टमैंट या होटल ट्रेन स्टेशन से कितना दूर है, कौन से स्टेशन पर उतरना है, यह नोट कर लें क्योंकि स्टेशनों के नाम काफी अलग होते हैं, याद नहीं रहते, साथ ही आप को पता होना चाहिए कि वहां पहुंचना कैसे है. कई गैस्टहाउस एक बड़ी बिल्डिंग में होते हैं. नीचे हर फ्लोर का फोन होता है जो नेम प्लेट जैसा लग सकता है, संजना की फैमिली कितनी ही देर, वेनिस के गैस्टहाउस के पास भटकती रही. पास में खड़े थे लेकिन पता ही नहीं चला कि कहां से फोन करना है.
– लोकल घूमने में टैक्सी आप का पूरा बजट बिगाड़ देगी. वहां का पब्लिक ट्रांसपोर्ट बहुत अच्छा है. आप को बसों, लोकल ट्रेनों और ट्राम में सफर करने में मजा आएगा. हर जगह घंटे के हिसाब से पास बनते हैं. लेकिन शमिता वाली गलती न करें. उस ने एम्स्टर्डम में पास बनवा लिया, वह भी 3 दिन का. वहां जा कर पता चला कि वह पास एक ही कंपनी की बसों में चलता है. पास के चक्कर में घूमने का पूरा मजा किरकिरा हो गया. हां, स्विट्जरलैंड में स्विस पास काफी काम आता है. उस एक पास से आप कई ट्रेनों, ट्राम, क्रूज पर सफर कर सकते हैं. कुछ डैस्टिनेशंस के टिकटें भी शामिल होते हैं. बाकी डैस्टिनेशंस के टिकटों में डिस्काउंट मिलता है. वैबसाइट पर जा कर सबकुछ चैक कर लें. हर देश के ट्रैवलिंग पास में ऐक्स्ट्रा चीजें भी होती हैं. यह पास औनलाइन खरीद सकते हैं.
– ट्रेन, ट्राम, मैट्रो टिकट बुकिंग का सैल्फ सिस्टम होता है. पहली बार थोड़ा मुश्किल लग सकता है.
– हर शहर के ट्रांसपोर्ट का ऐप होता है, वहां पहुंचते ही वह ऐप इंस्टौल कर लें. बस, ट्राम, ट्रेन का रूट और टाइम चैक कर के मजे से पूरा शहर घूम सकते हैं.
– कई बार जानकारी के अभाव में गलत जगह पैसा खर्च हो जाता है. हिमानी का परिवार हौंगकौंग में डिज्नीलैंड की सैर कर चुका था. उन्होंने पैरिस में भी डिज्नीलैंड के टिकट बुक करा लिए. उन्हें लगा कि वहां कुछ अलग होगा, लेकिन सबकुछ लगभग एकजैसा था. लिहाजा, पछतावे के कारण बाकी ट्रिप का मजा नहीं ले पाए. जरूरी नहीं कि हर जगह जाना ही है. हो सकता है कुछ चीजें आप दूसरे देशों में देख चुके हों.
– कुछ जगहें मौसम पर निर्भर करती हैं जैसे स्विट्जरलैंड में टिटलिस माउंटेन उस दिन जाना चाहिए जब वहां धूप हो वरना आप के पैसे खराब हो जाएंगे. सुबह 5-6 बजे, इस की वैबसाइट पर जाएं और मौसम की लाइव अपडेट्स देखें. वो सन्नी शो कर रहा है तो तुरंत टिकट बुक करा लें. वहां धूप होगी, तभी आप पूरा नजारा देख पाएंगे. ऐसी ही स्थितियां दूसरी जगहों के लिए भी हो सकती हैं. पहले से पूरी रिसर्च कर लें.
– टिटलिस माउंटेन पर तापमान माइनस में चला जाता है, ऊनी दस्ताने, टोपी, मोटे मोजे, बर्फ में चलने वाले जूते साथ ले कर जाएं. होटल से सब पहन कर जाएंगे तो रास्ते में गरमी लगेगी. अत: वहीं जा कर पहनें.
– कोई टिकट औनलाइन बुक न हो तो घबराएं नहीं जैसे पैरिस में ऐफिल टावर का टिकट. सुबह जल्दी निकलें. आराम से टिकट मिल जाएगा. हर जगह के टिकटों के बारे में रिसर्च कर लें कि कौन सा टिकट औनलाइन बुक कराना जरूरी है.
– वहां गैस्टहाउस के मालिक भी वहीं रहते हैं. 1, 2 या 3 कमरे गैस्ट के लिए रखते हैं. गैस्टहाउस के रूल्स पढ़ लें. कई जगह चैक आउट करते समय बैडशीट, तकिए के कवर हटा कर टब में डालने होते हैं और रसोई का कूड़ा डब्बों में रखना होता है क्योंकि सफाई खुद ही करनी होती है. वहां मेड नहीं होती. कूड़ेदान के रंग के हिसाब से गीला और सूखा कूड़ा रखना होता है.
– कुछ लोग, डाइनिंगटेबल पर एक साइड अपने लिए रखते हैं और दूसरी साइड गैस्ट के लिए. बैठने से पहले पूछ लें कि आप को किस साइड बैठना है. फ्रिज में से चीजें निकालते वक्त खयाल करें कि आप केवल ब्रेकफास्ट के लिए ही दूध, जूस, ब्रैड, बटर, जैम, कौफी ले सकते हैं क्योंकि ब्रेकफास्ट ही रूम के चार्जेस में शामिल होता है. वह भी अलग रखा होता है.
यूरोप ट्रिप की प्लानिंग करने में जितना ज्यादा समय लगाएंगे, उतना ही ज्यादा आप वहां ऐंजौय कर पाएंगे.