अभिनेत्री मीरा चोपड़ा प्रियंका चोपड़ा, परिणीति और मनारा चोपड़ा की कजिन हैं. पिछले 8 सालों से वे फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं. हाल ही में जी 5 पर मीरा चोपड़ा द्वारा अभिनीत और संदीप सिंह द्वारा निर्देशित फिल्म ‘सफेद’ में वे विधवा के किरदार में नजर आईं, जिसे एक किन्नर से मुहब्बत हो जाती है. इस मुहब्बत के पीछे उस जमाने में विधवा और किन्नर की दैनिक और अपमानित जिंदगी भी जिम्मेदार होती है.

मीरा चोपड़ा ने इस से पहले फिल्म ‘सैक्शन 365’ में रेप विक्टिम का किरदार निभाया था. अपने 8 साल के कैरियर में मीरा ने काफी अलग फिल्में की हैं क्योंकि उन का मानना है कि ग्लैमरस रोल तो कोई भी कर सकता है. मजा तो ऐसा रोल करने में है जिसे कोई न कर पाए.

40 वर्षीय मीरा चोपड़ा अपनेआप को सब से अलग मानती हैं क्योंकि वे ऐसी ही फिल्में सलैक्ट करती हैं जिन की कहानी अलग हो. जैसेकि आज तक उन्होंने किन्नर और विधवा की प्रेम कहानी के बारे में कभी नहीं सुना जोकि फिल्म ‘सफेद’ की कहानी है.

हाल ही में हुई मुलाकात के दौरान मीरा चोपड़ा ने फिल्म ‘सफेद’ में अपने किरदार, अपनी अब तक की अभिनय यात्रा, लव लाइफ, आज के समाज में औरतों के अधिकार और किन्नरों की दुखद जीवनयात्रा को ले कर ढेर सारी बातें कीं.

पेश हैं, मीरा चोपड़ा की बेबाक, दिलचस्प बातें खास अंदाज में:

संदीप सिंह द्वारा निर्देशित फिल्म ‘सफेद’ में एक विधवा का किरदार निभाना आप के लिए कितना चैलेंजिंग था?

‘सफेद’ फिल्म में विधवा का किरदार निभाना मेरे लिए चैलेंजिंग के साथसाथ दिलचस्प भी था और बतौर अभिनेत्री ऐसा किरदार निभा कर मु झे अभिनय संतुष्टि मिली, साथ ही जब मैं इस किरदार को निभा रही थी तब मैं ने एक विधवा के दुख को भी महसूस किया जिस की कोई गलती न होते हुए भी समाज के द्वारा ठुकराए जाने की वजह से खराब जीवन गुजारना पड़ता है.

वहीं किन्नरों की भी दुखभरी स्थिति का अनुभव हुआ जो समाज में न सिर्फ हिकारत की नजरों से देखे जाते हैं बल्कि उन्हें किन्नर होने का बहुत सारा खमियाजा भी भुगतना पड़ता है. आज भी अगर आप छोटे शहरों और गांवों में जाओगे तो वहां पर विधवाओं की हालत बद से बदतर देखने को मिलेगी. मैं ऐसी औरतों से मिली हूं जो विधवा होने की वजह से बहुत दुख उठा रही हैं. उन्हें सिर पर बाल रखने की इजाजत नहीं है, साजशृंगार करने की इजाजत नहीं हैं और अच्छे ढंग से खाना भी नहीं दिया जाता. वे सिर पर पल्लू रख कर कोने में पड़ी रहती हैं.

फिल्म मैं आप को किन्नर से मोहब्बत हो जाती है. एक किन्नर के दुख को भी आप ने महसूस किया है. किन्नरों के प्रति आप की क्या भावना है?

इस फिल्म में काम करने के बाद मेरा रवैया किन्नरों के प्रति बदल गया है. अब अगर मेरी कार के सामने किन्नर आ जाता है तो मैं उसे दुत्कारती नहीं हूं बल्कि अपनी कार का शीशा नीचे कर के उसे जो मदद चाहिए वह देती हूं क्योंकि ‘सफेद’ में काम करने के बाद ही मैं ने महसूस किया कि किन्नर भी आप से सिर्फ सम्मान चाहते हैं और शांति का जीवन जीना चाहते हैं बाकी उन को आप से कुछ नहीं चाहिए. अगर वे किन्नर हैं तो उन में उन का कोई दोष नहीं है. इसलिए हम उन्हें सम्मान तो दे ही सकते हैं.

आप ने इस फिल्म से पहले ‘सैक्शन 365’ में रेप विकटम का किरदार निभाया है. आप की फिल्मों के किरदार काफी हट कर होते हैं. ऐसे किरदार का चुनाव आप खुद करती हैं या आप को ऐसे रोल औफर होते हैं?

सच कहूं तो ऐसे किरदार निभाने के लिए जिगर चाहिए. ग्लैमरस रोल तो कोई भी कर सकता है. इस तरह के किरदार निभाना अपनेआप में चुनौती है और मु झे चुनौती पूर्ण किरदार निभाना ही पसंद है. यही वजह है कि फिल्मों के मामले में मैं बहुत चूजी हूं. मेरी यही कोशिश रहती है कि मैं कुछ अलग तरह के किरदार निभाऊं. यही वजह कि मैं मु झे फिल्म इंडस्ट्री में 8 साल हो गए लेकिन मैं ने बहुत कम फिल्में की हैं मगर जो भी फिल्में की है वे अर्थपूर्ण फिल्में हैं.

आप प्रियंका चोपड़ा की कजिन बहन हैं. आप की कजिन बहनें परिणीति चोपड़ा और मनारा चोपड़ा भी फिल्मों में सक्रिय हैं. ऐसे में आप को प्रियंका चोपड़ा की बहन होने के क्या फायदेनुकसान हैं?

न तो मु झे कोई फायदा है और न ही कोई नुकसान है. हम चोपड़ा बहनें अभिनय कैरियर में सक्रिय जरूर हैं लेकिन सब अपने बलबूते पर अपनी पहचान बना रहे हैं. प्रियंका ने कभी किसी से मदद नहीं ली और न ही मैं ने प्रियंका से कभी मदद मांगी. प्रियंका ने भी कभी मदद करने की कोशिश की. अगर मु झे उन की मदद मिली होती तो मैं पिछले 8 सालों से अपनी अलग पहचान बनाने के लिए सक्रिय नहीं होती. प्रियंका की बहन होने का न तो मु झे कोई फायदा है और न ही नुकसान है. आज मैं जो कुछ भी हूं अपनी मेहनत से हूं.

आप की बहन मनारा चोपड़ा ‘बिग बौस 17’ में धमाल मचा रही है. अगर आप को ‘बिग बौस’ में जाने का औफर मिला तो क्या आप जाना पसंद करेंगे?

नहीं, बिलकुल नहीं. मु झे बिग बौस मैं जाना बिलकुल पसंद नहीं है.

‘सफेद’ फिल्म के डाइरैक्टर संदीप सिंह और ऐक्टर अभय वर्मा के साथ काम करने का आप का अनुभव कैसा रहा?

संदीप सिंह की बतौर डाइरैक्टर यह पहली फिल्म है. फिल्म का डाइरैक्शन उन्होंने एक मं झे हुए डाइरैक्टर जितना ही अच्छा किया है. मेरा बतौर ऐक्ट्रैस उन के साथ काम करने का अनुभव बहुत अच्छा रहा, बहुत कुछ सीखने को मिला. अभय वर्मा एक अच्छे ऐक्टर हैं. उन्होंने अपने किरदार को बहुत ही अच्छे से जीया है. निजी जिंदगी में वे बहुत ही शांत और मिलनसार हैं.

‘सफेद’ की रिलीज के बाद आप का अगला कदम क्या है?

मेरी इच्छा है कि मेरा काम देख कर मु झे इसी तरह की और अच्छी फिल्में मिलें जिन में समाज के उन पहलुओं को दिखाने का मौका मिले जो हमारे समाज के लिए जहर हैं. मेरा मानना है कि हम फिल्मों के जरीए समाज में कुछ अच्छा बदलाव लाने की कोशिश तो कर ही सकते हैं. अपनी फिल्मों के जरीए ऐसी लड़कियों को शिक्षित कर सकते हैं जो घर वालों और मांबाप के कहने पर समाज के डर से सूली पर चढ़ने को भी तैयार हो जाती हैं.

आप ने हमेशा अर्थपूर्ण फिल्मों को जो समाज को शिक्षित करने के लिए बनाई गईं, महत्ता दी है. इस तरह की फिल्मों में काम करने के आप की नजर में क्या फायदेनुकसान हैं?

फायदा यह हुआ कि मु झे बतौर अभिनेत्री अपने अभिनय के लिए सराहना मिली, पहचान मिली. नुकसान यह हुआ कि मैं अपनेआप को स्थापित करने के लिए अभी भी संघर्ष कर रही हूं.

आप काफी समय से सिंगल हैं. आगे शादी का क्या प्लान है?

प्रोग्राम तो है क्योंकि मैं ने काफी समय अकेले गुजार लिया है. पहले अमेरिका में पढ़ाई कर के, बाद में साउथ में कैरियर बनाने के चलते और पिछले 15 सालों से मुंबई में अकेली हूं. इसलिए 2024 में मेरा शादी कर के सैटल होने का प्लान है. शादी किस से करूंगी और कौन सी तारीख पर करूंगी यह मैं आप को बाद में बताऊंगी.

अभिनय के अलावा क्या आप फिल्मों से जुड़े किसी और क्षेत्र में भी दिलचस्पी रखती हैं?

हां, मेरी इच्छा है कि मैं खुद का प्रोडक्शन हाउस शुरू करूं ताकि अच्छी और दिलचस्प कहानियों पर मैं फिल्में बना सकूं.??

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