Digital Parenting: जमाने के साथ पेरेंटिंग के तरीकों में काफी बदलाव आ चुके हैं. आज की पेरेंटिंग वही नहीं है जो हमारे मम्मी-पापा के ज़माने में थी. तब प्यार भी मिलता था तो डांट में लिपटकर. लेकिन आज? आजकल बच्चे स्मार्टफोन लेकर पैदा होते हैं, ऐसा सच में तो खैर नहीं, लेकिन लगता ज़रूर है. क्योंकि बोलने से पहले उनको समार्टफोन यूज करना आ जाता है, जिसे पेरेंट्स मजे से सबके सामने फ्लैक्स करते हैं. जब बच्चे इतने स्मार्ट हो गए हैं तो ऐसे में पेरेंटिंग भी अब स्मार्ट हो गई है.
टेक्नोलॉजी का नया रोल
बच्चों की देखभाल से लेकर पढ़ाई, हेल्थ और सेफ्टी तक – हर काम में डिजिटल डिवाइस ने पैरेंट्स की लाइफ आसान बना दी है. अब आप सिर्फ झूला झुलाने या लोरी गाने वाले पैरेंट नहीं, बल्कि ऐप्स और गैजेट्स के सहारे अपने बच्चे के पूरे डेवलपमेंट पर नजर रख सकते हैं. न्यूबोर्न बेबी से लेकर टीएनर्जस तक ऐसे गैजेट्स मार्केट में अवेलेबल हैं जो पेरेंट्स की लाइफ को आसान बना रहे हैं.
बेबी मॉनिटर – सोते हुए बच्चे की लाइव रिपोर्टिंग
पहले हर कुछ देर में कमरे में जाकर देखना पड़ता था कि बच्चा सो रहा है या उठ गया. अब बेबी मॉनिटर में कैमरा, माइक्रोफोन और यहां तक कि हार्टबीट डिटेक्टर भी होता है. ऐप खोलिए और बच्चा कहीं भी हो, आप उसे देख सकते हैं. ये मॉनिटर डार्क विजन के साथ आते हैं तो कमरे में रोशनी न होने से भी आपको टेंशन नहीं रहती. इसमें मोशन डिटेक्टर भी लगा होता है. जिसका मतलब है कि बच्चा करवट भी बदलेगा तो उसका अलर्ट आपको मिलेगा.
साथ ही अगर आप बच्चे के रूम टेम्प्रेचर को लेकर परेशान रहते हैं तो उसका भी सिंपल सोल्यूशन गैजेट्स आपको दे देंगे. जहां आप रूम थर्मामीटर लगाकर रखें वो आपको रूम टेम्प्रेचर के लाइव अपडेट दे देगा, AC ऑन करें या ऑफ ये आपको सोचने की जरुरत नहीं.
पेरेंटिंग ऐप्स – मम्मी पापा के पर्सनल असिस्टेंट
‘BabyCenter’, ‘Kinedu’, ‘Parentune’, ‘FirstCry Parenting’ जैसी ढेरों ऐप्स हैं जो आपकी और बच्चे की उम्र के हिसाब से टिप्स, एक्टिविटीज़ और हेल्थ अपडेट्स देती हैं. बच्चे ने उम्र के हिसाब से अपने माइलस्टोन अचीव किए या नहीं. बच्चे की वेक्सिनेशन का टाइम आने वाला है तो उसके लिए पहले से डॉक्टर की अपोइंटमेंट और अपना शैड्यूल खाली रखने का रिमाइंडर ये ऐप आपको देते हैं. साथ ही बच्चे के खाने में क्या दें, जिससे उसका संपूर्ण विकास अच्छा हो ये सब जानकारी प्लस बेबी फ्रेंडली रेसिपी आपको इन ऐप्स में मिल जाएंगी. सुबह उठते ही अगर गूगल बताए कि आज आपके बच्चे को प्यूरी में गाजर मिलानी चाहिए, तो समझ जाइए – आप 2025 में जी रहे हैं.
बॉटल वॉर्मर एंड फॉर्मूला डिस्पेंसर
बदलते जमाने के साथ महिलाओं की फीडिंग प्रेफरेंस भी बदले हैं. अब सिर्फ ब्रेस्टफीडिंग का जमाना
नहीं है. फॉर्मूला मिल्क आज के वक्त की जरुरत बन गयी है. मिल्क सप्लाई कम हो या दफ्तरी
मजबूरी में औरत घंटो घर से बाहर हो, ऐसे में फॉर्मूला मिल्क वरदान से काम नहीं. ऐसे में फॉर्मूला
मिल्क का डायलूट करने के लिए पानी ज्यादा ठंडा या गर्म तो नहीं, इसकी टेंशन आपको करने की
जरुरत नहीं है. मात्र 1500 से 3000 में आप बॉटल वॉर्मर ले सकते हैं जिसमें आपको रात को किचन
के चक्कर काटने के जरुरत नहीं, बस मिल्क बोतल में पानी भरकर रखें और ये वॉर्मर सही टेम्प्रेचर
पर पानी को गर्म रखेगा.
साथ ही परेशानी ये भी कि कहीं फॉर्मूला ज्यादा या कम न हो जाए. तो उसका सोल्यूशन भी उपलब्ध
है. सिंपल फॉर्मूला डिस्पेंसर खरीदें जो सेट क्वांटिटी के हिसाब से पानी और फॉर्मूला आपको मिक्स
करके देगा.
ब्रेस्ट मिल्क पंप एंड मिल्क स्टोरेज सोल्यूशन
महिलाएं अब ब्रेस्टफीड के साथ मिल्क पंप के ऑप्शन को खासा पसंद कर रही हैं. क्योंकि इससे उन्हें
मी-टाइम की आजादी मिलती है और पिता को भी एक्टिव पैरेंटिंग का मौका मिलता है. जिसके लिए
आपकी रेंज के हिसाब से मैन्यूअल और इलैक्ट्रिक ब्रेस्ट पंप मौजूद हैं. आजकल डाइपर से पहले
महिलाएं पंप खरीदना पसंद करती हैं ताकि वो पंप करके अपने मिल्क सप्लाई को भी मैंटेन कर सकें
और अपने लिए कुछ वक्त भी निकाल सकें. जब आप ट्रैवल कर रहे हों तो भी ये ऑप्शन काफी
अच्छा है.
मिल्क पंप के साथ स्टोरेज इशू भी आता है, तो टैंशन नोट उसका सोल्यूशन भी है हमारे पास. स्टेरेलाइज मिल्क पाउच मार्केट में 150 की रेंज में आसानी से उपलब्ध हैं जिसमें आप एक्सट्रा मिल्क फ्रिजर में स्टोर कर सकें. मार्किंग के साथ की कब आपने उसको पंप किया है. आप कूल कैरियर भी ले सकते हैं जिसमें आप ट्रैवल के वक्त आइस पैक डालकर दूध स्टोर कर सकते हैं इसमें 24 घंटे तक स्टोर मिल्क खराब नहीं होता है. ये 1200 से 5000 में बहुत से ब्रांड आपको ऑफर करते हैं.
GPS ट्रैकर – “बच्चा कहां है” सवाल का स्मार्ट जवाब
टोडलर पार्क में हों या टीएनर्जस कोचिंग में, घर से बाहर निकलते ही बच्चों की सेफ्टी एक बड़ा टेंशन
बन जाती है. अब वियरेबल GPS ट्रैकर, स्मार्टवॉच या मोबाइल ऐप से आप जान सकते हैं कि बच्चा
स्कूल में है या पनवाड़ी की दुकान पर. एक टाइम था जब बच्चे घर से बाहर भगवान भरोसे जाते थे,
अब तो भगवान से पहले गूगल बता देता है की बच्चा कहां है. इसके लिए आजकल मार्केट में स्मार्ट
वॉच जोकि 3 से 5 हजार की कीमत में आसानी से उपलब्ध हैं. ये घड़ी न सिर्फ आपको बच्चों की
लाइव लोकेशन बताती है बल्कि आप इसमें इमरजेंसी में कॉल भी कर सकते हैं. और कैमरे से
रिकोर्डिंग की सुविधा भी मिलती है.
अगर आप भीड़ भाड़ के इलाके में जा रहे हों तो आप एंटी लॉस डिवाइस जिसे टैग बोलते हैं उनका
भी इस्तेमाल कर सकते हैं. ये मार्के में 500 से लेकर 5000 की रेंज में उपलब्ध हैं. इनका आविष्कार
तो ट्रैवल में सामान की सेफ्टी के लिए हुआ था ताकि आप अपने सामान को ट्रैक कर पाएं. लेकिन
स्मार्ट पैरेंट्स घर के बाहर जाते हुए बच्चों के ड्रैस या शूज इनसोल में इनको डाल देते हैं जिससे
उनकी लाइव लोकेशन पैरेंट्स ट्रैक कर सकें.
व्हाइट नोइस मशीन या साउंड मशीन
बच्चे अगर रात को बार-बार उठते हैं, या हल्के शोर से उनकी नींद खराब होती है तो आपको ये डिवाइस जरुर ट्राय करना चाहिए. ये मशीन हल्की बारिश या वैक्यूम मशीन चलने जैसी हल्की और लगातार आवाज करती है जिससे बाहर के शोर से बच्चा बेखबर हो चैन से सोता है. ये काफी बजट फ्रैंडली है, आपको 1 हजार से कम कीमत में भी मिल जाएगी. साथ ही इसमें नाइट लाइट का भी ऑप्शन रहता है जिससे बच्चे के रूम की छत पर तारों से टिमटिमाता आसमान या बच्चों के फैवरेट कैरेक्टर शैडो में दिखते हैं.
स्टीमर एंड ब्लैंडर
बच्चों ने यदि सोलेड फूड शुरु कर दिया है तो उनके खाने को कितनी देर स्टीम करें या किस कंसिसटेंसी में ब्लैंड करें ये बड़ी टेंशन है. फिर दिन में 2 से तीन बार उनका अलग से खाना बनाना वर्किंग मदर्स के लिए मुश्किल हो सकता है. ऐसे में आप स्टीम एंड ब्लैंड मशीन खऱीद सकते हैं जिसमें बस आप सब्जियां या दाल-चावल जो बनाना चाहें रखें. मशीन खुद ही खाने को सही स्टीम करके बच्चे की सेट उम्र के हिसाब से उसे दरदरा या बारीक पीस देगी.
स्टेरेलाइजर
बच्चों की मिल्क बोतल या टीथर को साफ करना. हर इस्तेमाल के बाद उन्हें 10 मिनट तक उबालना काफी टाइम टेकिंग टास्क है. इसको आसान करने के लिए स्टेरेलाइजर खरीद सकते हैं. 1500 से 4000 की रेंज में विभिन्न ब्रांड में उपलब्ध हैं. जिसमें आपको बस पानी डालना है बच्चे की बोतल या खिलौनों को रखकर बटन दबाना है. उसके बाद उन्हें जर्म फ्री करना का काम ये मशीन खुद कर देगी.
ओटोमैटिक रॉकिंग चेयर
कुछ बच्चों को लगातार गोद में रहने की आदत हो जाती है, आलम ये हो जाता है कि वो सोना भी गोद में ही पसंद करते हैं, बैड या बेसीनेट में लेटाते ही बच्चे रोने लगते हैं. इनका सोल्यूशन है ओटोमैटिक रॉकिंग चेयर. इन रॉकिंग चेयर को सोकेट से कनेक्ट करें और बच्चे को लेटा दें. जिससे ये चेयर हल्की मूव करती हैं जिससे बच्चे को गोद में होने का ही अहसास होता है, और वो वह अच्छे से सोता है. डरें नहीं, इसमें करंट लगने का कोई खतरा नहीं होता. बहुत सेफ्टी के साथ ये चेयर डिजाइन किए होते हैं.
स्क्रीन टाइम कंट्रोल – ‘मोबाइल नीचे रखो’ अब ऐप कहेगा
आज के बच्चों के लिए मोबाइल जरुरत से शुरु होकर उनकी आदत बन गया है. लेकिन अब पैरेंट्स ‘Family Link’ जैसे ऐप से स्क्रीन टाइम सेट कर सकते हैं, ऐप्स ब्लॉक कर सकते हैं और हिस्ट्री देख सकते हैं. इन सिक्योरिटी एप से अब बच्चे छुपा नहीं सकते कि वो पढ़ाई कर रहे हैं या PubG’. मोबाइल खुद रिपोर्ट भेज देता है. जिससे बच्चों कि स्क्रीन टाइम पर नजर रखी जा सके.
डिजिटल हेल्थ डिवाइस – बच्चे की सेहत पर 24×7 नजर
स्मार्ट थर्मामीटर, डिजिटल डायपर सेंसर, बेबी फिटनेस बैंड – अब बच्चे की बॉडी टेम्परेचर से लेकर नींद तक सब मापने के डिवाइस हैं. मम्मी को सिर्फ एक बार सिखा दो, फिर वो हर टाइम रिपोर्ट चेक करेंगी जैसे शेयर मार्केट में उतार चढ़ाव की लिस्ट हमारे पास होती है. वैसा ही बेबी ने कितनी देर नींद ली, जिसमें कितनी नींद में वो गहरी नींद में था ये सब इन डिवाइस में कैप्चर हो जाता है.
टेक्नोलॉजी से फायदों के साथ जिम्मेदारी भी
डिजिटल डिवाइसेज पेरेंटिंग को स्मार्ट बनाते हैं, लेकिन हद से ज्यादा भरोसा न करें. हर चीज का बैलेंस जरूरी है – टेक्नोलॉजी मददगार है, पर प्यार, धैर्य और आपके समय की जगह नहीं ले सकती. आजकल के बच्चे “Hey Alexa” कह कर लोरी सुनते हैं और “Ok Google” से होमवर्क पूछते हैं. पर उन्हें “मम्मी की कहानी” और “पापा की पीठ पर घोड़ा” भी चाहिए. Digital Parenting