Menstural Bleeding: बहुत सारी महिलाएं अपने पीरियड्स के साथ आने वाली हर परेशानी को यह मानकर चुपचाप स्वीकार करती रही हैं कि ‘यह भी औरत होने का ही एक हिस्सा है’. महिलाओं को लगता है कि  उनकी मां, बहनों या सहेलियों को भी ये सब सहना पड़ा है. लेकिन अगर आपके पीरियड्स आपको थका हुआ और बेचैन अनुभव कराएं, साथ ही आपको बहुत दर्द और अकेलेपन का सामना करना पड़े, तो यह सवाल उठना जायज है कि क्या यह सच में नॉर्मल है? इसका उत्तर हो सकता है, नहीं

पीरियड्स के साथ कई सारी समस्याएं आती हैं. इनमें से एक है हैवी मेंस्ट्रूअल ब्लीडिंग (एचएमबी). यह उतनी भी सामान्य बात नहीं है, जितना लोग सोचते हैं. यह एक मेडिकल कंडीशन है, जिसका सामना दुनियाभर में करोड़ों महिलाएं कर रही हैं. इससे उनके शारीरिक, भावनात्मक एवं सामाजिक स्वास्थ्य पर व्यापक प्रभाव पड़ता है. ,  एचएमबी को एबनॉर्मल यूटरिन ब्लीडिंग के नाम से भी जाना जाता है. ज्यादातर मामलों में इसकी जांच ही नहीं होती है, क्योंकि बहुत सी महिलाएं समझ ही नहीं पाती हैं कि उनके लक्षण नॉर्मल नहीं हैं.  पुरानी सोच और जागरूकता की कमी के कारण बहुत सी महिलाओं को ऐसे मामलों में जरूरी मदद ही नहीं मिल पाती है. ,

आखिर हैवी मेंस्ट्रूअल ब्लीडिंग असल में है क्या?

डॉक्टरों की बात मानें तो अलग-अलग मेंस्ट्रूअल साइकिल में ब्लड फ्लो कम या ज्यादा हो सकता है. ऐसे में कुछ विशेष लक्षणों को ध्यान में रखकर एचएमबी को समझना चाहिए: जैसे, अगर आपको सात दिन से ज्यादा समय तक ब्लीडिंग हो, हर 1 से 2 घंटे में सैनिटरी पैड बदलने की जरूरत पड़े, सिक्के के आकार के या इससे बड़े ब्लड क्लॉट यानी थक्के नजर आएं, हमेशा लीकेज का डर बना रहे, कभी-कभी दाग से बचने के लिए एक से ज्यादा पैड लगाना पड़े, बहुत ज्यादा ऐंठन हो या लगातार थका हुआ अनुभव करें.  वैश्विक स्तर पर हर 5 में से 1 महिला एचएमबी से प्रभावित है.

भारत में माहवारी वाली उम्र की करीब 30 से 50 प्रतिशत महिलाएं हर साल इससे प्रभावित होती हैं. इतने बड़े पैमाने पर यह समस्या होने के बाद भी इस बारे में जागरूकता आश्चर्यजनक रूप से बहुत कम है, क्योंकि पीरियड्स अन्य दैनिक गतिविधियों की तरह इतने पर्सनल होते हैं कि महिलाएं किसी अन्य से इस बारे में तुलना नहीं कर पाती हैं और न ही उन्हें इस बारे में कोई अनुमान होता है.

सीनियर गायनी ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. साई लक्ष्मी डायना ने कहा, ‘एचएमबी के साथ एक और स्थिति अक्सर बनती है, वह है एनीमिया. ज्यादा खून गिरने और आयरन कम होने से ऐसा होता है.  एनीमिया होने से ऑक्सीजन ले जाने की खून की क्षमता कम हो जाती है, जिससे लगातार थकान, कमजोरी, त्वचा में पीलापन, ठंडे हाथ-पैर और थोड़ा सा चलते या सीढ़ियां चढ़ते ही सांस फूलने जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं. गंभीर एनीमिया से हार्ट फेल और मौत का खतरा भी रहता है.’

डॉ. डायना ने आगे कहा, ‘बहुत सी महिलाओं को हैवी ब्लीडिंग के कारण शारीरिक ही नहीं, बल्कि भावनात्मक परेशानी भी होती है. इसके कारण बहुत सी लड़कियां व महिलाएं स्कूल या काम पर नहीं जा पाती हैं, उन्हें पहले से निर्धारित ट्रैवल प्लान कैंसल करने पड़ जाते हैं या सामाजिक गतिविधियों से दूर रहना पड़ता है. ,  समय के साथ एचएमबी से जीवन के हर पहलू पर दुष्प्रभाव पड़ने लगता है: जैसे, उत्पादकता कम होती है, दैनिक गतिविधियां सीमित हो जाती हैं और इससे पारवारिक संबंधों एवं आय पर भी असर पड़ने लगता है. ,  यह चुपचाप लड़ी जाने वाली ऐसी लड़ाई है, जिसके बारे में अक्सर कोई कुछ भी बात नहीं करता है.’

पारस हॉस्पिटल के डिपार्टमेंट ऑफ गायनी, ऑब्सट्रेटिक्स एवं एआरटी की प्रमुख एवं डायरेक्टर पद्मश्री डॉ. अल्का कृपलानी  ने कहा, ‘एचएमबी के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें फिब्रोइड, बिनाइन ग्रोथ पॉलिप्स, पीसीओएस या थायरॉयड डिसऑर्डर के कारण हार्मोन असंतुलन, एडेनोमायोसिस, एंडोमेट्रियोसिस या खून से जुड़ा कोई डिसऑर्डर आदि शामिल हैं.   असली कारण पता न भी चले, तब भी यह जानना महत्वपूर्ण है कि एचएमबी का इलाज किया जा सकता है और जल्दी जांच से बहुत असर पड़ता है. जल्दी जांच हो जाने से मरीज को इलाज के कई विकल्प मिल जाते हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘जांच की शुरुआत होती है लक्षणों को पहचानने और उस बारे में डॉक्टर से बात करने से. इसमें कुछ सामान्य स्टेप होते हैं – अपने मेंस्ट्रूअल साइकिल को ट्रैक करना, ब्लड टेस्ट से एनीमिया व हार्मोन लेवल का पता लगाना, अल्ट्रासाउंड कराना और जरूरत पड़ने पर यूटरस को ज्यादा सही से समझने के लिए हिस्टेरोस्कॉपी कराना.  एक बार कारण का पता लगने के बाद उसके हिसाब से सही इलाज को प्लान किया जा सकता है.’

डॉ. अल्का ने कहा, ‘कम जागरूकता या देरी से जांच के कारण एचएमबी से राहत के लिए महिलाओं को अक्सर हिस्टेरेक्टॉमी यानी यूटरस को पूरी तरह हटाने की सर्जरी करवानी पड़ती है. अगर महिला के बच्चे हों, तो हिस्टेरेक्टॉमी को अक्सर एचएमबी के लिए फर्स्ट लाइन ट्रीटमेंट के तौर पर बताया जाता है.  यह बड़ी परेशानी की बात है, क्योंकि कई विशेषज्ञों का मानना है कि हिस्टेरेक्टॉमी से जल्दी मीनोपॉज होने, दिल की बीमारियों की आशंका बढ़ने, अवसाद में जाने, मेटाबॉलिक डिसऑर्डर होने और डिमेंशिया होने का खतरा बढ़ जाता है. वैसे भी किसी महिला के पेल्विस में यूटरस, ब्लैडर और रेक्टम तीन प्रमुख अंग होते हैं.’

इनोवेटिव ट्रीटमेंट, उम्मीद की किरण

एफओजीएसआई 2025 के प्रेसिडेंट इलेक्ट, अपोलो मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. भास्कर पाल ने कहा, ‘आज की तारीख में कई ऐसे इलाज उपलब्ध हैं, जो हैवी ब्लीडिंग को काफी कम कर सकते हैं. महिलाओं को सीधे सर्जरी का विकल्प अपनाने की जरूरत नहीं होती. दुर्भाग्य की बात है कि लोग ही नहीं, बल्कि कई डॉक्टर भी आज की तारीख में उपलब्ध नॉन-सर्जिकल ट्रीटमेंट की पूरी रेंज के बारे में जागरूक नहीं हैं. हिस्टेरेक्टॉमी हमेशा आखिरी विकल्प के रूप में प्रयोग होना चाहिए, क्योंकि भविष्य में मां न बन पाने की स्थिति समेत कई मुश्किलों के साथ यह एक बड़ा फैसला होता है.’

उन्होंने जोर देकर कहा, ‘कुछ गंभीर मामलों में सर्जरी आवश्यक हो सकती है, लेकिन बहुत से मामलों में हार्मोनल आईयूडी, ओरल मेडिकेशन, एंडोमेट्रियल एब्लेशन और हिस्टेरोस्कोपिक प्रोसीजर से राहत मिल सकती है. इस दिशा में जागरूकता एवं जल्दी जांच महत्वपूर्ण कदम है.’

डॉ. पाल ने कहा, ‘बायर फार्मास्युटिकल्स के साथ मिलकर हमने भारत में हिस्टेरेक्टॉमी के नकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूकता लाने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान ‘प्रिजर्व द यूटरस’ शुरू किया है. अप्रैल, 2022 से अब तक डॉक्टरों के लिए 100 से ज्यादा ट्रेनिंग सेशन आयोजित किए गए हैं, ताकि उन्हें महिलाओं से संबंधित अन्य परेशानियों के साथ-साथ एचएमबी के इलाज के लिए उपलब्ध अनूठे एवं इनोवेटिव विकल्पों के बारे में बताया जा सके.’

गंभीर दुष्प्रभावों के बाद भी वैश्विक स्तर पर एचएमबी को लेकर बहुत कम अध्ययन हुए हैं. ज्यादातर महिलाएं अपने पीरियड्स के हिसाब से ही अपनी दिनचर्या को बदल लेती हैं, जैसे ट्रिप कैंसल करना, मीटिंग छोड़ देना या चुपचाप सहन कर लेना. ऐसा बिलकुल नहीं होना चाहिए. अगर आपको लगता है कि पीरियड्स के दौरान आपकी ब्लीडिंग सामान्य से ज्यादा है, तो इंतजार मत कीजिए. तुरंत डॉक्टर से बात कीजिए. उनसे सही प्रश्न पूछिए और इलाज के सही विकल्पों के बारे में जानकारी लीजिए.

कुछ भ्रम दूर करना जरूरी

भ्रम: हैवी पीरियड होना एक महिला के रूप में सामान्य बात है.

सच: बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना एक मेडिकल कंडीशन है, जिसका इलाज कराना चाहिए.

भ्रम: सर्जरी इसका एकमात्र समाधान है.

सच: एचएमबी के ज्यादातर मामलों में एचएमबी को दवाओं से या नॉन-सर्जिकल ट्रीमटमेंट से मैनेज किया जा सकता है.

भ्रम: अगर आपकी मां को हैवी पीरियड्स आते थे, तो आपको भी आएंगे.

सच: फैमिली हिस्ट्री से असर पड़ता है, लेकिन अब कई प्रभावी इलाज उपलब्ध हैं. Menstural Bleeding

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...