Late-Comers: यहां बात सिर्फ आप के मजे की नहीं हो रही, बल्कि आप के साथ जो लोग टूर में ट्रेवल कर रहे हैं उन का भी मजा खराब होता है और आप को बेवजह दूसरों की घूरती आंखें और डांट सुननी पड़ती हैं वह अलग. यकीनन इस से आप का भी मूड औफ होता होगा.
जैसेकि अगर आप ने कहीं पर बस टूर लिया है और बस टूर में कहा कि अब हम यहां 3 बजे मिलते हैं तो आप आराम से 4 बजे चलते हुए आ रहे हैं और बाकी सब बैठे हैं. गाड़ी में आप का इंतजार कर रहे हैं, तो यह वाकई बहुत गलत बात है. अब वक्त आ गया है कि अपनी इस आदत को बदल डालिए क्योंकि जब हम किसी ग्रुप टूर या और्गेनाइज्ड ट्रिप का हिस्सा होते हैं, तो समय की पाबंदी न केवल शिष्टाचार है, बल्कि यह दूसरों के प्रति सम्मान भी है.
सब का समय खराब होना
अगर हरकोई इसी तरह लेट आएं, तो सब का समय खराब होगा. हरकोई जल्दीजल्दी तैयार हो कर आते हैं. जब वे आते हैं और देखते हैं कि किसी एक के लिए बस नहीं चल रही है, तो उन्हें लगता है कि बेकार ही हम ने जल्दी की. हम भी आराम से आते. इस का नतीजा यह होता है कि हरकोई लेट आने लगता है जिस से सारा समय जो घूमने का था वह इंतजार में ही निकल जाता है. इस वजह से लोग आप के साथ घूमने जाने से बचने लगेंगे और एक दिन आएगा जब आप को अकेले ही ट्रैवल करना पड़ेगा.
शैड्यूल बिगड़ जाता है
टूर में हर जगह पहुंचने और देखने का एक तय समय होता है. एक जगह की देरी से आगे के सारे पौइंट्स या तो छूट जाते हैं या वहां बहुत कम समय मिलता है. अकसर सब से खूबसूरत जगहें देखने के लिए एक निश्चित समय होता है (जैसे किसी म्यूजियम की ऐंट्री का आखिरी समय या किसी बोट राइड का स्लौट). शैड्यूल बिगड़ने पर अकसर उन मुख्य जगहों को लिस्ट से काटना पड़ता है, जिस के लिए आप ने भारी पैसे खर्च किए होते हैं.
यदि सुबह निकलने में 20 मिनट की देरी हुई, तो इस का मतलब है कि आप पहली साइट पर देर से पहुंचेंगे, वहां से देर से निकलेंगे और अंततः दोपहर का भोजन और शाम का होटल चेकइन भी देर से होगा. इस से सब को असुविधा होती है.
आर्थिक नुकसान भी होता है
अगर आप की देरी की वजह से कोई ट्रेन, फ्लाइट या पहले से बुक किया गया शो छूट जाता है, तो उस का आर्थिक बोझ पूरे ग्रुप या आयोजक पर पड़ता है. इस के आलावा कई जगह विदेशों में ऐसी होती हैं जहां पहले ही उस जगह को देखने का पेमेंट आप से ले लिया जाता है. लेकिन देर हो जाने की वजह से वह जगह आप देख ही नहीं पाते और पैसा वेस्ट हो जाता है. इस से सब का नुकसान होता है. कई बार तो जिस ने लेट किया होता है उसे ही सब की फीस भरने को कहा जाता है, जिस से ट्रिप में लड़ाईझगडे की संभावना बन जाती है.
गाइड और ड्राइवर पर दबाव
अगर आप ने किसी जगह को 5 दिन का टूर लिया होता है, तो उन्हें तय समय में ट्रिप पूरी करनी होती है, लेकिन देर हो जाने की वजह से कई जगह छूटने का डर होता है और बाकी लोग कंपनी में कंप्लेंट करते हैं कि आप ने पैसा तो लिया लेकिन सारी जगह नहीं दिखाई. इस से कंपनी की इमेज खराब होती है और उस का पूरा दबाव ड्राइवर और गाइड पर आता है, जिस से उन पर मानसिक दबाव बढ़ता है और सुरक्षा से समझौता होने का डर रहता है. फिर वे जल्दीजल्दी गाड़ी चलते हैं. इस से ऐक्सिडैंट का डर भी होता है और जो जगह देख रहे हैं उसे भी गाइड सही से नहीं दिखाता क्योंकि उसे अगली जगह भी कवर करनी पड़ती है.
कानूनी और नियम संबंधी पाबंदियां
कई देशों या शहरों में पर्यटन स्थलों (जैसे म्यूजियम या महलों) के बंद होने का सख्त समय होता है. अगर ड्राइवर देर से पहुंचता है, तो ऐंट्री नहीं मिलती, जिस का दोष अकसर ड्राइवर या गाइड पर मढ़ा जाता है, जबकि गलती देर से आने वाले टूरिस्ट की होती है.
ड्यूटी आवर्स का कम हो जाना
ड्राइवरों के लिए ड्राइविंग के घंटों के सख्त नियम होते हैं. अत्यधिक देरी होने पर उन के आराम का समय कम हो जाता है, जिस से थकान होती है और अगले दिन की यात्रा प्रभावित हो सकती है.
देश की छवि खराब होती है
हर पर्यटन स्थल के अपने नियम होते हैं (जैसे शोर न करना, कचरा न फैलाना या फोटो न खींचना). अनुशासन की कमी से देश और संस्कृति की छवि खराब होती है और कभीकभी जुरमाना भी भरना पड़ सकता है.
देर न हो इस के लिए क्या करें
बफर टाइम ले कर चलें. कहीं पहुंचने का टाइम अगर 8 बजे का है, तो आप उसे 7:30 का ही मानें और उसी के अनुसार अपनी तैयारी करें ताकि आप टाइम से पहुंचें. वैसे भी यह सुना ही होगा कि समय पर आना मतलब देर से आना है और समय से पहले आना ही वास्तव में समय पर आना है.
कहीं जाना है तो हैंडबैग भी रात को ही लगा कर रखें. यह न सोचें कि बाकि पैकिंग तो हो ही गई है यह तो सुबह भी हो जाएगा. सुबह इस काम को करने में देर ही होगी. उलटा आप अपने नहाने की कपडे, जूतेचप्पल भी सब एक जगह इकठा कर के रखें ताकि फटाफट सब हो जाए और कुछ भी ढूंढ़ने में टाइम वेस्ट न हो.
सिर्फ एक अलार्म पर भरोसा न करें. मोबाइल में 2 अलार्म लगाएं और यदि आप होटल में हैं, तो रिसैप्शन से ‘वेकअप कौल’ के लिए भी कहें.
ग्रुप के सदस्यों को जोड़ियों में बांट दें. हर व्यक्ति की जिम्मेदारी हो कि वह अपने साथी को देखे कि वह समय पर आया है या नहीं. इस से गाइड का काम आसान हो जाता है और कोई पीछे नहीं छूटता.
अगर आप को घूमने में टाइम का पता नहीं चलता है, तो आप गाइड से लौटने का टाइम पता करें और अपने फोन में रिमाइंडर लगा लें कि इस समय आप को बस तक वापस आना है. इस से देर नहीं होगी.
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