Social Media: जिंदगी माने सबकुछ. माने इंसान और हर जानदार चीज के पैदा होने से ले कर इस दुनिया में उस की आखिरी सांस तक का सफर.

जिंदगी मतलब घर, फैमिली, जौब, दुखसुख, दिनरात और जो कुछ भी हम इंसान कुदरत के बनाए गए इस 24 घंटे के टाइम फ्रेम में करते हैं.

आज की इस डिजिटल दुनिया की जिंदगी अब महज 24 घंटों में सिमट कर नहीं रही. घंटे जहां मिनटों में बदल गए और मिनट से ले कर हर लाइफ का हर एक सैकंड काउंटेबल और नोटिस किया जा रहा है डिजिटल लाइफ में.

जी हां अब लाइफ जो आज हम जी रहे हैं वह फिजिकल और सोशल सर्कल से निकल कर एक कौंपलैक्स डिजिटल लाइफ बन चुकी है.

सोशल मीडिया और लोगों की औनलाइन ऐक्टिविटी अब उन की फिजिकल यानी औफलाइन ऐक्टिविटीज को डौमिनेट कर रही है.

हम क्या करते हैं, कहां जाते हैं, क्या पहनते हैं, क्या खाते हैं, क्या पीते हैं, कौन सी गाड़ी यूज करते हैं, किस हौस्पिटल में जाते हैं सबकुछ हमारी लाइफ में बीते 24 घंटों में चलता आ रहा वह सबकुछ अब औनस्क्रीन दिखाया जाने लगा है. उसे देखा जाने लगा है. उसे लाइक किया जा रहा है और अब तो वह सब फौलो भी किया जा रहा है जो किसी और की पर्सनल लाइफ में हो रहा है.

विजिबली जो हमारी आंखें देख रही हैं, वह सबकुछ हमारे माइंड में स्टोर हो रहा है और फिर वही अगले दिन हमारी लाइफ के रूटीन का हिस्सा बन गया है.

इन्फ्लुएंसर्स ऐंड फौलोअर्स

हिंदुस्तान यानी हमारा देश युवाओं का देश कहलाता है. 140 करोड़ की आबादी वाले इस देश में अब आधे यह ज्यादा लोग 25-40 की एज कैटेगरी में आते हैं और यही वह आबादी है जो इस डिजिटल इंडिया का फ्लैग ले कर बड़े शान से आगे बढ़ रही है.

सोशल मीडिया का सब से ज्यादा इस्तेमाल इसी एज ग्रुप में हो रहा है. यही वे लोग हैं जो डिजिटल आंधी में बहते चले जा रहे हैं और इसी डिजिटल आंधी में एक नया और काफी डौमिनेटिंग ट्रैंड उभर कर आ रहा है, जिसे आज की डेट में 2 नामों से जाना जाता है और वे हैं सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स और उन के फौलोअर्स.

यानी इस आबादी का एक छोटा सा हिस्सा अपनी पूरी लाइफ को डिजिटल प्लेटफौर्म पर ले कर चला आता है. वे अपनी दिनभर की सारी औफलाइन ऐक्टिविटीज को औनलाइन कर के सारी दुनिया के सामने सर्व कर रहा है.

वह कब क्या करता है, कहां जाता है, क्या काम करता है, किस जगह घूमने जाता है, कौन सी ब्रौड की क्लोदिंग यूज करता है, उस के घर उस की फैमिली और उस की प्रोफैशलन लाइफ में क्या चल रहा है, वह यह सबकुछ पब्लिक कर देता है जो हर किसी की प्राइवेट लाइफ का पार्ट होता है. वह अपनी पूरी जिंदगी एक कटैंट की शक्ल में डिजिटल वर्ल्ड के सामने रख देता है और इसी आबादी का दूसरा हिस्सा जो इन सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की लाइफ को इन 10-15 मिनटों के टाइमफ्रेम में देख रहा होता है, उन के लिए उस खास शख्स की लाइफ में चल रहा हर एक इवेंट एक कटैंट होता है जो वे कंज्यूम कर रहे होते हैं और वह सबकुछ उन्हें अट्रैक्टिव और इंप्रैसिव लगता है.

वर्चुअल रिलेशनशिप

वे इस इन्फ्लुएंसर की जिंदगी से जुड़ने लगते हैं. उन्हें ऐसा फील होता है कि वे उस इन्फ्लुएंसर से कनैक्ट हो रहे हैं. उस की पूरी जिंदगी उन की आंखों के सामने एक खूबसूरत और इंटरैस्टिंग फिल्म की तरह दिखती है, जिस से वे ऐंटरटेन भी होते हैं. वह सब उन्हें अच्छा भी लगता है और धीरेधीरे वह सब अपनी लाइफ में अडौप्ट भी करने लगते हैं जो कुछ उस कटैंट में से वे अपने लिए इंप्लिमैंट कर पाते हैं और इस तरह वे एक खास इंसान उन के लिए और उन जैसे कई लोगों के लिए इन्फ्लुएंसर बन जाता है और वे लोग जो उस की डिजिटल लाइफ को वाच करते हैं वे बन जाते हैं उस के फौलोअर.

मगर वे सिर्फ उस की लाइफ के उसी हिस्से से जुड़ पाते हैं जिसे वह सब के सामने रखता है और इस के इतर भी उस इंसान की अपनी एक प्राइवेट लाइफ होती है जिसे वह कभी सामने लाता ही नहीं.

देखा जाए तो अब लोग एक डिजिटल लाइफ के साथ 2 या कभीकभी उस से ज्यादा प्राइवेट लाइफ अपने लिविंग सिस्टम में जोड़ चुके होते हैं और उन की अपनी पर्सनल लाइफ तो वही होती है जिस के अंदर ?ांकने की उन फौलोअर्स को फ्रीडम होती नहीं मगर वे तो उस अधूरे सच को पूरा मान कर बस उसे ब्लाइंडली फौलो करने लगते हैं. एक वर्चुअल रिलेशनशिप बन जाती है उस पूरे नेटवर्क में.

डिजिटल ट्रैप

आज सोशल मीडिया के इस बढ़ते शिकंजे में तेजी से सबकुछ बदलता जा रहा है और इंसानी जिंदगियां अब पूरी तरह से इस की गिरफ्त में आ चुकी हैं. ज्यादातर लोग जो देखते हैं, उसे औबजर्व करते हैं और फिर उसे ही फौलो करने लगते हैं. अब लाइफ फिजिकल से कहीं ज्यादा डिजिटली मैटर करने लगी हैं और देखतेदेखते ही सोसाइटी में इन इन्फ्लुएंसर्स की पूरी आर्मी खड़ी हो गई है.

जहां छोटे से ले कर बड़े तक, बड़े से ले कर बहुत ज्यादा बड़े तक ये इन्फ्लुएंसर्र्स जिन्हें उन के फौलोअर्स की काउंटिंग के बेस पर कई कैटेगरीज में रखा जाने लगा हैं. जहां उन के फौलोअर्स की गिनती सैकड़ोंहजारों से ले कर कई लाखों तक में होती है और कुछ गिनेचुने इन्फ्लुएंसर्स के तो फौलोअर्स की गिनती अब करोड़ों में टच कर रही है.

हर दिन यू ट्यूब पर सैकड़ों की तादाद में वीडियोज अपलोड हो रहे हैं और उस से कहीं ज्यादा की तादाद में देखे जा रहे हैं, फौलो किए जा रहे हैं.

जिसे देखो वही कुछ न कुछ किसी न किसी तरीके से अपना एक फैनबेस बनाने की कोशिश कर रहा है. अपनी लाइफ, अपना काम. अपनी हौबीज या फिर अपने किसी खास एक्ट से लोगों को अपनी तरफ अट्रैक्ट करने की कोशिश में लगा हुआ है.

ऐसा नहीं कि इन इन्फ्लुएंसर्स की इस दिनबदिन बढ़ती फौज में कुछ अच्छे या काम के नहीं. इन में से बहुत ऐसे हैं जो लोगों को मोटिवेट कर रहे हैं अपनी लाइफ जर्नी से कि वे भी कुछ अच्छा करें. तो वहीं कुछ अपनी शायरी, अपने कौमिक एक्ट तो कुछ अपनी कुकिंग स्किल्स, तो कोई ट्रैवलिंग, ऐक्सरसाइज, हैल्थ और इन जैसे कई अहम मुद्दों के साथ अपनी कुछ स्पैश्यलिटी दिखा रहे हैं, कुछ यूनीक कर रहे हैं जो लोगों को पसंद आ रहा है. मगर अल्टीमेटली कहीं न कहीं ये सब एक कंटैंट फौरवर्ड कर रहे हैं. खासतौर पर वे लोग जो सीधेसीधे कुछ टैकनीक्स या कोई ज्ञान नहीं दे रहे, बस सुबह हुई या शाम अपनी लाइफ के, अपने डेली रूटीन के चंद मिनट लोगों के सामने रख रहे हैं.

उन में वह सबकुछ वही होता है जो एक कौमन कंटैंट में होता है और सुबह होते ही सब से पहले उन के फौलोअर्स के फोन पर उन की नए अपलोड वीडियो का नोटिफिकेशन आ जाता है.

जानेअनजाने एक ट्रैप बन जाता है

फिर सिलसिला शुरू हो जाता है. एक बार फिर अपने इन्फ्लुएंसर से इमोशनली कनैक्ट होने का. और एक बार जब आप किसी से इमोशनली कनैक्ट हो जाते हैं तो फिर वह सब अच्छा भी लगता है और कहीं न कहीं अपनी लाइफ में अडौप्ट करने का मन भी करता है. इस तरह जानेअनजाने यह एक ट्रैप बन जाता है.

पर क्या सचुमच जो हमारी आंखों के सामने दिखाया जा रहा है वह इतना अहम है कि उसे देखा जाए. फिर बेरोजगारी और खाली टाइम काटने वाली इस पौपुलेशन के पास वाकई में इतना टाइम है और वह अपने इसी टाइम के लिए टाइम पास करने का महज एक औपशन भर समझ कर इसे यूज कर रहे हैं? क्योंकि जो लोग यह देख रहे हैं वे कहीं न कहीं यह फील भी कर रहे हैं कि यह बस एक ऐंटरटेनमैंट या टाइम पास ही है उन की लाइफ में. बस मानने से इनकार है उन्हें. तो फिर महज चंद मिनटों के इन वीडियोज के लिए इतनी मैडनैस, यह दीवानगी क्यों आखिर? क्या होगा जो वे किसी खास इन्फ्लुएंसर को फौलो नहीं करेंगे?

वह कोई देशदुनिया की खबरें तो ला नहीं रहा इन तक या फिर वह सोसाइटी का कोई बर्निंग इशू भी नहीं डिसकस कर रहा उन से. वह यह जानता है कि वह आज कब उठा. उस के काम पर, उस के घर पर क्या हुआ, उस की पसर्नल लाइफ में क्या प्रौब्लम आई वह खुद सामने से जा कर पूरी दुनिया को यह बता रहा है.

अगर वह सच में किसी मुश्किल में होगा तो वह यह सोकाल्ड डिजिटल फैमिली जिसे कह रहा है, मान रहा है वे अपने फोन से निकल कर नहीं आएंगे उस की किसी हैल्प के लिए. या फिर वे हजारोंकरोड़ों लोग जो किसी न किसी इन्फ्लुएंसर या कई सारे इन्फ्लुएंसर से जुड़े होते हैं डिजिटली. जब उन की लाइफ में कुछ रियल प्रौब्लम होगी तो ये उन के सोकाल्ड मेनटार उन के पास नहीं आ सकते.

यही सच है और यही हकीकत

यही रिएलिटी चैक है कि जो आप देख रहे हो वह रियल होते हुए भी पूरी तरह रियल नहीं है.

फिर भी हर दिन आप किसी न किसी इन्फ्लुएंसर के वीडियोज और उन की रील्स देखते ही रहते हो क्योंकि धीरेधीरे पहले लाइक करतेकरते अब यह एक कंप्लीट हैबिट बन चुकी है. एक ऐसी हैबिट जिस में किसी की वर्चुअल प्रेजैंस अच्छी लगती है अपनी लाइफ में.

बहरहाल यह एक नया ट्रैंड जो शुरू तो हुआ था कुछ साल पहले जब सोशल मीडिया उभर रहा था. मगर आज की डेट में यह एक ऐस्टैबलिस्ट ट्रैंड है जो हर गुजरते दिन के साथ अब और ज्यादा पावरफुल हो रहा है.

ऐसा लग रहा है जैसे लोगों की नब्ज अब इस डिजिटल ट्रैप की चपेट में है. बेशक इसे रीचैक और रिव्यू करने की जरूरत है अब और शायद फिल्टर करने की भी ताकि यह समझ आए कि आंखों से गुजरने वाली हर चीज फौलो करने के लिए नहीं होती. आप इंसान हैं इंसान बन कर रहें वरना आप में और जानवरों में क्या फर्क रह जाएगा जो बस एकदूसरे के पीछेपीछे चल कर एक झुंड बना लेते हैं. उस से ज्यादा कुछ कर नहीं पाते.

जिंदगी आप की है और यह तय आप को करना है कि जिंदगी जीनी है या फौलो करनी है.

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