Relationship Advice: उफ, उस का ब्रेकअप हो गया.’’ अब इस ब्रेकअप पर लोगों की बातें तो बनेंगी ही. कोई आप को स्पा जा कर रिलैक्स होने को कहेंगा, कोई हेअरकट कराने को, कोई ट्रैवल करने को, तो कोई नया बौयफ्रैंडगर्लफ्रैंड बनाने को. सब की राय एक जगह है और आप का दर्द एक जगह.

2 वयस्कों का प्रेम संबंध एक शादी अर्थात लव मैरिज से कम नहीं होता. दोनों अपनी मरजी से एकदूसरे को जानतेसमझते एक रिश्ते में आते हैं और इसी वजह से लव रिलेशनशिप एक लव मैरिज जैसी ही फील होती है और उस से मिलने वाला ब्रेकअप एक तलाक.

मगर यहां इस रिश्ते के टूटने पर वे दूसरों को दोष नहीं दे सकते. जैसाकि आमतौर पर अरेंज्ड मैरिज में होता है. आप को अपने रिश्ते के टूटने का भार और जिम्मेदारी स्वयं ही उठानी होती हैं और इसी बोझ के नीचे लोगों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

जैसे खुद को दोष देना. ब्रेकअप के बाद अकसर लोग खुद को दोषी बना लेते हैं. उन्हें लगता या कहें कि वे खुद को इस बात के लिए समझा लेते है कि सारा दोष उन का ही है. उन में ही कोई कमी या खामी होगी जिस की वजह से उन का साथी उन से अलग हो गया. लेकिन सिर्फ खुद को दोषी मान लेने तक यह कहानी खत्म नहीं होती. अकसर लोग हर वक्त खुद में दोष ढूंढ़ढूंढ़ कर स्वयं को दूसरों के सामने भी तिरस्कृत करते रहते हैं.

खालीपन एक शून्य सा जीवन

किसी का जाना अपने में ही एक कमी ले आता है. लेकिन जब कोई खास आप से दूर होता है तो जीवन में एक खालीपन आ जाता है. यह खालीपन आप को यह आभास दिलाता है जैसे आप का जीवन और कुछ नहीं एक शून्य है. न आप में कोई उमंग न जीवन में कोई तरंग.

वैसे भी आज की रिलेशनशिप में एक कपल आपस में इतना इन्वौल्व होता है कि वह एक तरह की शादी ही है. आप ने एक लंबा समय बिताया होता है. एकदूसरे की पसंदनापसंद ही नही बल्कि चौबीसों घंटों की दिनचर्या, उठनाबैठना, सोनाखाना हर चीज पर एकदूसरे की नजर और ध्यान रहता है. आप ने अपने पार्टनर के साथ भविष्य की कई प्लानिंग की होती हैं. यहां इमोशन से ले कर कपड़े तक आपस में शेयर किए होते हैं. यह पूरा वैवाहिक रिश्ता सा ही है, जिस पर कोई कानूनी मुहर नहीं.

इमोशनली, मैंटली और फिजिकली हर वक्त किसी के लिए अवेलेबल और डिवोटेड रहने के बाद का अलगाव बहुत पीड़ा देता है. इसलिए इस रिश्ते के टूटने पर जीवन नीरस और बेजान सा हो जाता है और इस तरह आप शादीशुदा हुए बिना ही एक तलाकशुदा जीवन जीने लगते हैं.

दरअसल, ब्रेकअप व तलाक में भावनात्मक तौर पर ज्यादा अंतर नहीं. तलाक में रिश्ते टूटने का ऐलान कानूनी प्रणामपत्र से होता है और ब्रेकअप में बिना किसी कानूनी काररवाई के.

ब्रेकअप और तलाक में अंतर

मगर क्या ब्रेकअप को तलाक समझना सही है? नहीं. माना ब्रेकअप और तलाक में कई तरह की समानता है जैसे एक साथी का अलगाव, मानसिक पीड़ा, अकेलापन, भावनाओं का आहत होना. लेकिन फिर भी ब्रेकअप कई और तर्कों और वास्तविकता में तलाक से अलगअगल है. ब्रेकअप कानूनी दावपेंच, उस की जटिलता, कोर्ट के चक्करों, वित्तीय तनाव, वकीलों की फीस से मुक्त है, साथ ही बच्चों के दूर होने के डर से भी मुक्त है.

ब्रेकअप में दोनों के परिवारों के हस्तक्षेप का असर भी बहुत कम रहता है. वहीं तलाक में अलगाव अगर दोनों पक्षों की सहमति से हो या न हो तो भी दोनों पक्षों में कोर्ट में और उस के बाहर भी तानाकसी होगी और साथ ही परिवारों को भी घसीटा जाता है.

तलाक के बाद का जीवन कहीं अधिक पेचीदा है. लोग आप के करैक्टर, आप की सोच और आप की जीवनशैली को संगिग्ध नजरों से देखते हैं. इसलिए जीवन में आगे बढ़ पाने में कई कठिनाइयां आती हैं.

तलाक हमेशा से ही आर्थिक, शारीरिक और मानसिक कष्ट लिए होता है. मगर ब्रेकअप में सामान्यतया मानसिक कष्ट है. ब्रेकअप में अलगाव आमतौर पर दोनों की सहमति से होता है और केवल एक की मरजी से होता है तो भी यह आप को वे उलझनें नहीं देगा जो एक तलाक से मिलती हैं.

ब्रेकअप की पीड़ा इतनी लंबी नहीं होती जितनी कि तलाक की होती है. फिर इस बात पर भी गौर कीजिए कि आज अगर आप का रिश्ता शादी तक पहुंचने से पहले ही टूट गया तो समझ लीजिए कि शादी के बाद उस के टिकने की शर्त बहुत कम थी.

हां, किसी रिश्ते के टूटने का दर्द काफी समय रहता है लेकिन उतना लंबा नहीं खिंचता जितना तलाक का रहता है क्योंकि ब्रेकअप हाथों में रची एक मेहंदी के रंग की तरह है जो धीरेधीरे फीकी पड़ती जाती है. लेकिन तलाक शरीर पर बने एक टैटू की तरह है जो हमेशा के लिए अपने निशान बनाए रखता है.

तो अब ब्रेकअप को तलाक न समझें और राहत रखिए कि आप एक अनचाहे परमानैंट टैंटू से बच गए और शायद इसीलिए कहा जाता है कि ब्रेकअप इज बैटर दैन डाइवोर्स.

खुद पर फोकस करें

ब्रेकअप हुआ तो समझिए कि आप को एक और मौका मिल रहा है खुद पर ध्यान देने का.  खुद पर फोकस करें. अब इस समय पर आप को सिर्फ अपने ऊपर ध्यान देना चाहिए. अपनी स्किल्स, अपनी प्रतिभा को निखारें. यह न सोचें कि आप के आसपास के लोग क्या कह रहे हैं, क्या समझ रहे हैं. आप लोगों को किनारे कर सिर्फ अपने बारे में सोचें.

मन को इधरउधर भरमाने से अच्छा है खुद को बिजी रखें. किसी न किसी ऐक्टिविटी में इन्वौल्व रहें. चाहे कुछ नया सीखें. बहुत लोग अपने ब्रेकअप के फेज में बहुत स्किल्स लर्न करते हैं. जैसे कि कोई डांस स्टाइल, कोई लैंग्वेज, हाइकिंग या जो भी आप का दिल करे और वह इसलिए कि एक तो यह आप को बिजी रखेगा और दूसरा जब हम कुछ नया सीखते हैं तो उस पर अधिक ध्यान और टाइम देते हैं. हमारा डैडीकेसन हमें व्यर्थ के कामों और उलझनों से निकाल देता है.

ब्रेकअप के बाद जो 2 बड़ी गलतियां कोई करता है वे हैं एक खुद को कैद कर लेना और दूसरा बिना विलंब किए नए रिश्ते में आना.

खुद को आइसोलेट न करें. ब्रेकअप के बाद बहुत से लोग खुद को सब से दूर कर लेते हैं. एक कोना पकड़ दिनरात रोते रहते हैं. अपनी सेहत, अपने हालात पर ध्यान नहीं देते. हर वक्त उन के दिमाग में कई तरह की उधेड़बुन चलती रहती है. यह ओवर थिंकिंग उन्हें इस तरह मैंटली डिस्टर्ब कर देती है कि वे डिप्रैशन, ऐंग्जाइटी का शिकार बन जाते हैं.

इसलिए बहुत जरूरी है ऐसे नाजुक वक्त पर अकेले न रहें. अपने परिवार, दोस्तों व हितैषियों के साथ रहें. उन से अपना दर्द, परेशानियां बिना संकोच बांटें. माना इस तरह आप का दर्द एकदम से खत्म नहीं हो जाएगा लेकिन कुछ राहत तो मिलेगी. उन की बातें, सलाह और साथ पा कर आप अपनी पीड़ा में बिना सोचेसमझे कोई गलत कदम उठाने या और किसी मुसीबत में पड़ जाने से बच जाएंगे.

हताशा और अकेलापन

ब्रेकअप के बाद बिना वक्त गंवाए या बिना विचार किए नया रिश्ता बना लेना एक बहुत बड़ी भूल है. अकसर आप को बहुत लोग मिलेंगे जो कहेंगे कि एक गया तो क्या. नया पार्टनर बना लो. लेकिन यह सोच और यह राय दोनों ही उस समय पर गलत हैं.

अपनी हताशा और अकेलेपन को दूर करने के लिए एक नए रिश्ते में बंधने की जरूरत नहीं बल्कि सैल्फ हील की है.

आप को इस वक्त किसी नए पार्टनर की नहीं बल्कि खुद की जरूरत है. इस वक्त किसी नए रिश्ते में जाना आप के लिए और उस नए पार्टनर दोनों के लिए बहुत गलत होगा क्योंकि आप तो उसे पुराने वाले को भूलने के लिए अपने जीवन में लाए होंगे जो कि सिर्फ किसी का इस्तेमाल है न कि प्यार. तो इस तरह का प्यार भी ज्यादा दिन नहीं चलेगा और अंत में दोनों को पीड़ा ही देगा.

यह समय सिर्फ खुद को और स्ट्रौंग और कौन्फिडैंट बनाने का है. आप को इस समय अपने आंसू खुद पोंछ खुद को खड़ा करना है न कि दूसरा कंधा ढूंढ़ रोने का.

इन दोनों भूलों से बड़ी भूल है आगे न बढ़ने की. बहुत से लोग दिल टूटने के बाद हमेशा के लिए खुद को अकेला कर लेते हैं. उन्हें लगता है कि अब उन्हें किसी और साथी की आवश्यकता ही नहीं.

वे खुद को या तो दोबारा चोटिल होने के डर से किसी रिश्ते में नहीं बांधते या फिर पुराने साथी की याद में खुद को पूर्णतय समर्पित रहने को या इस धारणा में कि सारी दुनिया ही झूठी और नकारा है जो उन का प्रेम समझ नहीं पाएगी. वजह इन में से कोई भी हो पर वाजिब नहीं. जीवन में एक समय आएगा जब आप को आगे बढ़ना चाहिए अकेले नहीं किसी साथी के साथ.

हिम्मत और समझदारी

आप ब्रेकअप के बाद समय लें, खुद को और काबिल बनाएं. ज्यादा इमोशनल न हो कर मैच्योर नजरिया अपनाए और आगे बढ़ें. याद रखें कि एक नाकामयाब रिश्ता मिलने का मतलब यह नहीं कि अब आप के जीवन में कोई रिश्ता टिकेगा ही नहीं. समझिए कि न देवदास का जीवन कोई जीवन है और न ही दिलजले का. इसलिए हिम्मत और समझ के साथ जीवन एक साथी के साथ गुजारें.

यह दर्द गंभीर है और निर्दयी भी. लेकिन यह दर्द कम भी किया जा सकता और दूर भी. बस जरूरत है उसे वक्त दे आगे बढ़ते रहने की. अब यहां वक्त देने से मतलब उस पर काम करने से है. काम अर्थात ब्रेकअप से डील करने में जो भी सलाह या सहायता आप को चाहिए आप को उस में संकोच नहीं करना चाहिए.

सलाह या मदद लेना गलत नहीं यह शर्म की बात नहीं. अकसर लोग ब्रेकअप में पीडि़त लोगों के दर्द को देख उन का मजाक बनाते हैं. उन्हें कमजोर और निर्बल पुकारते हैं जोकि एक पीडि़त के लिए बड़ी समस्या बन जाता है. वह लोगों के मजाक से इतना भय खाता है कि अपना दर्द दिखाता नहीं और अंदर ही अंदर घुटता है. इसलिए समझिए अगर आप को ब्रेकअप से डील करने में अधिक प्रौब्लम हो रही है.

आप किसी तरह के डर या ऐंग्जाइटी से जूझ रहे हैं तो ऐक्सपर्ट हैल्प या काउंसलिंग लेना बुरा या शर्मनाक नहीं बल्कि एक सही और महत्त्वपूर्ण निर्णय है. याद रखिए आप का शरीर, आप का मन सिर्फ आप का है और उस की बेहतरी के लिए आप को किसी भी दूसरे इंसान की हंसी या बात पर ध्यान नहीं देना.

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