Financial Tips: नईनई जौब और पहली तारीख में अकाउंट में आता पैसा भला किसे अच्छा नहीं लगेगा. लेकिन मजा तब किरकिरा हो जाता है जब महीना खत्म होने से पहले ही सारी सैलरी खर्च हो जाती है और सोचने पर भी याद नहीं आता कि खर्चा कहां हुआ है जबकि घर का सारा खर्च तो मम्मीपापा कर रहे हैं फिर ऐसा मैं ने क्या खर्चा कर दिया?

अगर आप भी ऐसा ही महसूस कर रहे हैं, तो हम आप को बता दें ऐसा तब होता है जब हम पर कोई जिम्मेदारी नहीं होती, तो लगता है कि महंगा फोन ले लेते हैं, स्टारबग में कौफी पी लेते हैं, ब्रैंडेड जूते ले लेते हैं, दोस्तों पर खर्चा कर देते हैं. इस तरह जरूरत से ज्यादा खर्च और बिना प्लानिंग के इनवेस्टमैंट न कर पाने के कारण अंत में हाथ खाली रह जाता है.

इसलिए अगर नई जौब है और घर की कोई जिम्मेदारी नहीं है तो यह न समझें कि मांबाप का पैसा ही सब कुछ है क्योंकि आप को अभी घर का खर्चा नहीं है. खानेपीने का खर्चा नहीं करना पड़ रहा. लेकिन शादी के बाद जब अलग घर बसाएंगे तब तो सारे खर्च खुद ही करने पड़ेंगे. जब तक शादी करो तब तक हाथ में अच्छीखासी रकम होनी चाहिए. जो भी आप की सैलरी हो उस में से एक बड़ा हिस्सा बचा कर रखें.

नौकरी लगने के साथ ही सेविंग्स शुरू करें

यह न सोचें कि अभी तो नौकरी लगी ही है अभी से क्या पैसे बचाना. यह सोचेंगे तो कभी सेव नहीं कर पाएंगे. 20 से 25 की उम्र में सेविंग शुरू करने के कई फायदे हैं. अगर आप अभी से सेव करेंगे तो आप की लगाई छोटी रकम भी आप के रिटायरमेंट तक लाखों में हो जाएगी. जैसेकि 5 करोड़ का रिटायरमैंट कार्पस 20 की उम्र में ₹5,000/माह से संभव है, लेकिन 35 की उम्र में इस के लिए ₹20,000/माह से अधिक की आवश्यकता हो सकती है (रिटर्न दर के आधार पर).

कम उम्र से निवेश करने के चलते आप शेयर मार्केट के उतरचढ़ाव को अच्छी तरह से सीख लेते हैं और रिस्क लेने की स्थिति में भी ज्यादा होते हैं क्योंकि अभी आप पर फैमिली का कोई बर्डन नहीं होता. इस से आप को खर्चों और बचाने के बीच का संतुलन बैठाना भी आ जाता है.

इमरजैंसी फंड भी बनाना सही रहता है

आज एआई का जमाना है. कब किस की जौब चली जाए कहा नहीं जा सकता. अगर अचानक से जौब चली जाए, कोई मैडिकल प्रौब्लम आ जाए, शेयर्स में पैसा डूब जाए वगैरह तो ऐसी कोई भी दिक्कत होने पर इमरजैंसी के लिए जोड़ा  हुआ पैसा ही काम आता है. अपने 3 से 6 महीने के कुल मासिक खर्चों के बराबर राशि इमरजैंसी फंड में रखें.

उदाहरण के तौर पर यदि आप का मासिक खर्च ₹30,000 है, तो आप का लक्ष्य ₹90,000 से ₹1,80,000 के बीच होना चाहिए.

इनकम के और तरीके भी खोजें

अगर जौब में सैलरी कम है या आप के पास वीकेंड पर समय है तो एक ही काम करने के बजाए अपना दायरा बढ़ाएं. जैसे लेखन, ग्राफिक्स डिजाइन, कोडिंग, फ्रीलांसिंग या फिर कोई बिजनैस कर के पैसा कमाएं.

सैलरी से बड़ी न हो ईएमआई

अपने बेतुके खर्च जैसेकि महंगा वीडियोगेम, महंगा फोन, बाइक, गाड़ी, बड़ा घर जैसी चीज पर जब तक जरूरी न हो लोन न लें क्योंकि क्रेडिट कार्ड का बकाया, पर्सनल लोन और पेड लोन पर लगने वाला ब्याज आप की कमाई का बड़ा हिस्सा खा जाता है. आप के अधिकांश व्यक्तिगत कर्ज (जैसे क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन) पर लगने वाला ब्याज (12% से 36% तक) आप के निवेश से मिलने वाले औसत रिटर्न (8% से 12% तक) से बहुत अधिक होता है. इसलिए अगर आप का निवेश 10% कमा रहा है और आप का कर्ज 18% ले रहा है, तो आप हर साल 8% का शुद्ध नुकसान उठा रहे हैं. ऐसा करने से बचें और सोचसमझ कर उधार लें. अगर कर्ज लेना जरूरी हो, तो हमेशा सब से कम ब्याज दर वाला विकल्प चुनें.

हर खर्च से पहले बनाएं बजट

अकसर लोग बिना बजट बनाए खर्च करते हैं और बाद में पछताते हैं. इसलिए महीने की शुरुआत में ही जरूरतों की एक सूची बनाएं फिर उसी के अनुसार खर्च करें. इस से आप को पहले से यह पता रहेगा कि कहां और कितना खर्च करना है और कितना बचाना है. बजट सुनिश्चित करता है कि आप अपना पैसा उन चीजों पर खर्च करें जो आप के लिए सब से ज्यादा मायने रखती हैं नकि केवल आवेग में आ कर फुजूलखर्च करें. बजट कोई बंधन नहीं है, यह एक योजना है जो आप को वित्तीय स्वतंत्रता की ओर ले जाती है. इसे हर महीने की शुरुआत में कुछ देर लगा कर जरूर बनाएं.

साइलेंट किलर

आजकल डिजिटल सब्सक्रिप्शन एक साइलेंट किलर की तरह काम करते हैं. वे छोटे दिखते हैं, लेकिन अगर आप ध्यान न दें, तो वे आप की बचत पर बड़ा असर डालते हैं. नैटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, डिज्नी+हौटस्टार हम ले तो लेते हैं लेकिन सवाल यह है कि क्या आप के पास उन सब को देखने का टाइम है भी या यों ही इन पर पैसा वेस्ट हो रहा है?

इसलिए यदि आप ने किसी सब्सक्रिप्शन का उपयोग पिछले 3 महीने में 3 बार से कम किया है, तो उसे तुरंत कैंसिल कर दें. यदि आप के पास कई ओटीपी है, तो उसे एक बंडल पैक में लेने पर विचार करें, जो अकसर सस्ता पड़ता है.

एक ही टोकरी में सारे अंडे न रखें

मतलब यह कि अपनी सारी सेविंग एक ही जगह पर मत लगाएं बल्कि उन्हें अलगअलग जगह पर इनवेस्ट करें जैसेकि सारे पैसे सोने में, एफडी में या शेयर बाजार में मत डालें. इक्विटी, डेबिट, गोल्ड या सरकारी योजनाओं में बैलेंस कर के निवेश करें क्योंकि यदि किसी एक सैक्टर (जैसे आईटी) या एक संपत्ति वर्ग (जैसे रियल एस्टेट) में मंदी आती है, तो आप के पोर्टफोलियो का केवल एक हिस्सा प्रभावित होगा. बाकी निवेश (जैसे सोना या डेट फंड) उस नुकसान को संतुलित कर सकते हैं.

अनावश्यक खर्चों को कम करें

अकसर हम छोटेछोटे खर्चों को नजरअंदाज कर देते हैं, जैसे  बारबार बाहर खाना, हर सुबह महंगे कैफे की कौफी लेना या औनलाइन शौपिंग. इन खर्चों को कम करें. घर से खाना बना कर ले जाएं और बाहर खाने की आदत को सीमित करें. औनलाइन शौपिंग में डिस्काउंट के चक्कर में अनावश्यक चीजें न खरीदें. औनलाइन फूड डिलीवरी शुल्क, बिना इस्तेमाल किए गए जिम सदस्यता शुल्क, इस तरह के हर खर्चे को ट्रैक करें और महीने के अंत में देखें कि कहां कटौती की जा सकती है.

युवाओं में बचत से ही सेल्फ कॉन्फिडेंस आता है

युवाओं में बचत से आत्मविश्वास (self-confidence) बढ़ता है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और भविष्य के लिए तैयारी का एहसास कराता है, जिससे वे चुनौतियों का सामना करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में अधिक सक्षम महसूस करते हैं, जो उनके आत्म-सम्मान और निर्णय लेने की क्षमता को मजबूत करता है.

इसलिए अगर नई जॉब है और घर की कोई जिम्मेवारी नहीं है तो ये ना समझों कि माँ बाप का पैसा ही सब कुछ है.क्यूंकि आपको अभी घर का खर्चा नहीं करना पढ़ रहा. खाने पीने का खर्चा नहीं करना पड़ रहा. लेकिन शादी के बाद जब अलग घर बसाओगे तब तो सारे खर्च खुद ही करने पड़ेंगे.  जब तक शादी करो तब तक हाथ में अच्छी खासी रकम होनी चाहिए. जो भी आपकी सैलेरी हो उसमे से एक बड़ा हिस्सा बचाकर रखों. बचत करने से आपका सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़ता है आइये जाने कैसे-

लाइफ के लिए सिक्योरिटी की फीलिंग आती है

जब आप बचत करते हैं तो आपको पता होता है कि किसी भी अचानक आ जाने वाले खर्च के लिए आपके पास पैसा है जैसे कि अगर कोई मेडिकल इमरजेंसी आ गई हैं, नौकरी छूट गई हैं या फिर जेल हो गई है किसी गलत केस में फंस गए हैं तो भी आपके पास पैसा है और आप कुछ समय तक बैठकर अपना गुजरा कर सकते हैं इससे एक अलग ही मानसिक शांति मिलती हैं.

आत्मनिर्भर बनते हैं आप

बचत करने से आपको अपने छोटे बड़े खर्चों के लिए माँ बाप की कमाई का मुँह देखना नहीं पड़ता. आप किसी पर निर्भर नहीं है. अगर कहीं बाहर घूमने जाने का मन है तो किसी को जवाब नहीं देना है आपने इसके लिए बचत करके अपना पैसा खुद जोड़ा है तो कोई आपको मना नहीं करेगा. अगर iphone के लिए क्रेजी हैं तो बचत करके कुछ महीनों में ले सकते है.

फ्रीडम और कंट्रोल मिलता है 

बचत आपको अपने जीवन पर अधिक नियंत्रण देती है. आपको हर छोटे खर्च के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता, जिससे स्वतंत्रता की भावना आती है.

स्मार्ट डिसीजन मेकिंग आती है

बचत की प्रक्रिया में व्यक्ति वित्तीय योजना बनाना और समझदारी से खर्च करना सीखता है. ये कौशल जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी बेहतर निर्णय लेने में मदद करते हैं.

‘मैं कर सकता हूं’ की मानसिकता आती है

बचत उन्हें यह विश्वास दिलाती है कि वे अपनी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं, जिससे उनकी मानसिकता ‘मैं कर सकता हूँ’ (I can do it) वाली हो जाती है, न कि ‘मैं नहीं कर सकता’.

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