जुलाई, 2025 में जार्जिया अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ के महिला विश्व कप की मेजबानी कर रहा था. पहली बार 2 भारतीय खिलाड़ी फाइनल में आमनेसामने थीं. 3 दिनों तक लगातार बराबरी के मुकाबलों के बाद हम्पी और दिव्या आखिरी बार आमनेसामने भिड़ीं थीं.
मैच शुरू हुआ. हम्पी ने क्वीन्स गैम्बिट खेला. उन्होंने रानी के सामने रखे प्यादे को आगे बढ़ाया, एक ऐसी चाल जो बोर्ड के केंद्र पर नियंत्रण बनाने की कोशिश थी. लगभग 15 मिनट में दिव्या ने उन्हें मात दे दी. भारत की पहली और सब से वरिष्ठ महिला ग्रैंडमास्टर ने भारत की नवीनतम और सब से युवा ग्रैंडमास्टर के खिलाफ आखिरी मैच में गलती कर दी थी.
2 महीने बाद विजयवाड़ा स्थित अपने घर में मुझ से बात करते हुए 38 वर्षीय हम्पी ने उस हार पर विचार किया. इस दौरान उन्होंने एक साधारण सफेद कुरता और छोटी बिंदी लगाई हुई थी. पीछे एक हलके रंग का परदा लहरा रहा था.
‘‘निश्चित रूप से यह एक कठिन और चुनौतीपूर्ण मुकाबला था,’’ हम्पी ने कहा, ‘‘इस स्तर पर बने रहने के लिए आप को युवाओं के खिलाफ संघर्ष करना पड़ता है क्योंकि उन के पास बहुत ऊर्जा होती है, वे हमारी पीढ़ी की तुलना में अधिक तैयार और बेहतर प्रशिक्षित हैं.’’
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