रात 10 बजे कावेरी और उस के पति सोमेश सोने की तैयारी कर ही रहे थे कि तभी डोरबैल बजी. कावेरी ने दरवाजा खोला तो अपनी बेटी मिनी की घनिष्ठ सहेली तनु और उस के मम्मीपापा रवि और अंजू को सामने खड़ा पाया. कावेरी और सोमेश ने उन का स्वागत किया. मिनी और तनु दोनों सीए कर रही थीं. 10 दिन बाद ही सीए की परीक्षाएं थीं. रवि भी सीए थे.

हालचाल के बाद कौफी के घूंट भरते हुए रवि ने पूछा, ‘‘मिनी बेटा, सब समझ आ गया है न?’’

‘‘बस एक चैप्टर में कुछ चीजों में बारबार कन्फ्यूजन हो रही है, अंकल,’’ मिनी ने कहा.

 ‘‘अरे, लाओ, आया हूं तो बता देता हूं.’’

‘‘थैंक्स अंकल, अभी बुक लाती हूं,’’ मिनी उत्साहित हो उठी.

तनु भी मिनी के साथ अंदर चली गई.

तभी अंजू ने कहा, ‘‘अरे छोडि़ए, देर हो जाएगी समझाने में. अब तक तो मिनी की तैयारी हो भी चुकी होगी.’’

रवि ने कहा, ‘‘जब तक तुम कौफी पिओगी, मैं समझा दूंगा.’’

मिनी बुक ले कर आई तो अंजू ने कहा, ‘‘पहले हम कौफी पी लें, तुम लोग अंदर जा कर बातें कर लो.’’

रवि ने गंभीरतापूर्वक कहा, ‘‘आओ मिनी, बुक दिखाओ, बातों में क्यों टाइम खराब करोगी?’’

हावी होता स्वार्थ

अंजू लगातार अपनी निरर्थक बातों से पढ़ाई का यह टौपिक बदलने का प्रयास करती रही. बड़ा अजीब सा माहैल बन गया था. पति एक बच्ची की पढ़ाई में मदद करना चाह रहा था, तो पत्नी उसे ऐसा करने नहीं दे रही थी. कावेरी, सोमेश और मिनी एकदूसरे का मुंह देख रहे थे. मां की हरकतों से तनु भी शर्मिंदा दिखी.

रवि पत्नी की बातों को नजरअंदाज कर मिनी को कुछ जरूरी पौइंट्स समझाने लगे, तो जल्दी से कौफी का कप खाली कर अंजू खड़ी हो गई, ‘‘चलिए, देर हो रही है.’’

‘‘अभी थोड़ा टाइम लगेगा मुझे, आप सब लोग बातें करो तब तक.’’

‘‘नहीं, अब चलते हैं,’’ अंजू की पूरी कोशिश थी कि रवि मिनी को कुछ समझा न पाए.

तभी तनु ने कहा, ‘‘मौम, शांति से बैठो न प्लीज. 10 मिनट की बात है.’’

‘‘नहींनहीं, बहुत रात हो गई है.’’

तनु गुस्से में बोली,  ‘‘पहले ही आप इतनी रात को यहां आई हैं, क्योंकि अचानक आप का मूड बन गया था. फिर अब तो काम की बात के लिए आप को बैठने के लिए कहा जा रहा है. डैड बहुत अच्छा समझाते हैं. मिनी को भी समझने दो मौम. बहुत मुश्किल चैप्टर है.’’

‘‘नहीं, फिर कभी आएंगे. मिनी खुद कर लेगी. उस के तो 10वीं और 12वीं कक्षा में भी तुम से ज्यादा मार्क्स आए थे.’’ यह सुन कर कावेरी हैरान हो गई कि ये दिमाग में क्याक्या सोच कर रखती हैं. यह तो साफसाफ ईर्ष्या दिख रही है. दोनों सहेलिया हैं. कभी किसी के मार्क्स ज्यादा आते हैं तो कभी किसी के.

अंजू दरवाजे पर जा कर खड़ी ही हो गई तो रवि और तनु को भी उठना पड़ ही गया. रवि और तनु अंजू की इस हरकत पर शर्मिंदा दिखे.

तीनों के जाने के बाद मिनी ने उतरा चेहरा लिए कहा, ‘‘अंकल को कितनी नौलेज है.

कितना अच्छा समझा रहे थे. थोड़ा टाइम और मिल जाता तो…’’

कावेरी ने बेटी को पुचकारा, ‘‘कोई बात नहीं, अंकल से फोन पर पूछ लेना या किसी दिन उन के घर चली जाना.’’

‘‘वहां भी आंटी बताने नहीं देंगी मौम. फोन पर ही कोशिश करूंगी.’’

कावेरी और सोमेश को बेटी की बात उदास कर गई. सालों पुराने संबंध में अंजू की इस हरकत से एक खटास आ गई.

कावेरी सोने तक यही सोच रही थी कि क्या हो जाता अगर रवि मिनी को कुछ समझने में मदद कर देते? स्वार्थ क्यों इनसान पर इतना हावी हो जाता है कि इनसान एकदूसरे की मदद करना, किसी के काम आना जैसे इनसानियत के मूलभूत गुण भी भूल जाता है. क्यों स्वार्थ में लोग सालोें का संबंध भुला देते हैं?

कैसे पाएं छुटकारा

तनु को भी अपनी मां के व्यवहार पर शर्म आई, रवि को भी अपनी पत्नी की मानसिकता पर दुख हुआ, यह साफसाफ दिखाई दिया. फिर अंजू का दिल इतना छोटा क्यों हो गया कि उस ने अपनी बेटी की घनिष्ठ सहेली की मदद नहीं करने दी?

येल सैंटर की एक रिसर्च के अनुसार आजकल लोगों में ईर्ष्या की भावना बढ़ गई है, जिस से लोग ज्यादा तनाव में रहने लगे हैं. ईर्ष्या की भावना कार्यक्षेत्र, परिवार, दोस्ती और रोमांस कहीं भी पनप सकती है. ईर्ष्या आप के मन की शांति न छीन ले, इसलिए आप को ईर्ष्या की भावना महसूस होते ही इस से छुटकारा पा लेना चाहिए.

आज सोशल मीडिया हमारे जीवन का एक हिस्सा हो गया है. जब हम दोस्तों को अच्छी जगह यात्रा करते, घूमते देखते हैं तो अनजाने में ईर्ष्या से भर उठते हैं.

जूडिथ और लौफ, अपनी बुक ‘इमोशनल फ्रीडम’ में कहती हैं कि किसी से अपनी तुलना न करें. ‘योको ओनो’ का कहना है कि ईर्ष्या को प्रशंसा में बदल दें और फिर देखिए यह प्रशंसा आप के जीवन का हिस्सा हो जाएगी. भले ही किसी व्यक्ति से आप को चिढ़ होती है, आप अपनी ईर्ष्या को नम्रता में बदल दें और किसी से भी अपनी तुलना से बचें.

स्वार्थी न बनें

अगर हम स्वार्थ, ईर्ष्या की भावना एक तरफ रख किसी के काम आ जाएं, तो इस से हमें क्या नुकसान हो जाएगा. आत्मविश्वासी व्यक्ति अपने जीवन में स्वार्थ और ईर्ष्या को स्थान नहीं देता.

पारुल सहगल अपने एक औनलाइन शो में कहती हैं, ‘‘ईर्ष्या इनसान के दिमाग को थका देती है. ईर्ष्या से दूर रहने के लिए सोशल नैटवर्क से ब्रेक ले लें. फेसबुक अपडेट्स, ट्वीट्स, इंस्टाग्राम की कई पोस्ट से आप को ईर्ष्या हो सकती है.’’

‘रेबेका लेमेर्सन’ का आर्टिकल ‘डोंट एन्वी मी’ हाल ही में खूब वायरल हुआ. उस  में था कि हमें दूसरों का जीवन ज्यादा सुखद लगता है. हमें लगता है सब हम से ज्यादा सुखी हैं. स्वार्थ और ईर्ष्या दोनों मजबूत से मजबूत रिश्ते में भी दरार पैदा कर सकते हैं. ये नकारात्मकता बढ़ाते हैं, जिस से हमारा खुद का जीवन ही प्रभावित होता है. इसलिए ईर्ष्यालु और स्वार्थी न बनें.

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