अगर सोना या फिर सोने के गहने खरीदने हों, तो हममें से ज्यादातर लोग क्या करते हैं. अपने नजदीकी या भरोसेमंद सुनार या ज्वैलरी की दुकान में जाते हैं, पैसों का भुगतान करते हैं और अपनी मनपसंद चीज खरीद लेते हैं. लेकिन जिस तरह से सरकार घर में सोना रखने पर लिमिट लगाने के साथ-साथ कैश में सोना या सोने के गहने खरीदने पर सख्ती कर रही है, उसे देखते हुए हमें सोने में निवेश के दूसरे विकल्पों पर भी विचार करना चाहिए. चलिये, हम आपको बताते हैं कुछ और निवेश साधनों के बारे में जहां आप सोने में निवेश कर सकती हैं.

गोल्ड फ्यूचर और औप्शन

देश की अग्रणी कमोडिटीज डेरिवेटिव्ज एक्सचेंज एमसीएक्स (www.mcxindia.com) पर गोल्ड फ्यूचर का कारोबार कर सकती हैं. फ्यूचर की कीमत हाजिर बाजार में सोने की कीमत के साथ-साथ चलती है लेकिन फ्यूचर कांट्रैक्ट पहले से तय तारीख और कीमत पर निपटाने होते हैं. मसलन, आपने मार्च एक्सपायरी वाला वायदा खरीदा है तो मार्च तक आपको निपटान कर लेना होगा. गोल्ड फ्यूचर काफी जोखिम वाले निवेश साधन होते हैं, इसलिए इसमें ज्यादा सतर्कता की जरूरत होती है. साथ ही इसे समझना काफी जटिल भी है.

गोल्ड ईटीएफ

गोल्ड ETF के जरिए आप गोल्ड में औनलाइन निवेश कर सकते हैं. औनलाइन गोल्ड खरीदने के लिए आपके पास एक डीमैट अकाउंट होना अनिवार्य है. इस माध्यम से कोई भी उपभोक्ता कम से कम 1 ग्राम सोना खरीद सकता है. इसे खरीदने में केवल ब्रोकर और डीमैट अकाउंट के चार्जेस लगते है.

जब भी आप इसे बेचना चाहें डीमैट की मदद से ही घर बैठे बेच सकती हैं. इनकी वैल्यू  ठीक उसी तरह मांग और सप्लाई के आधार पर तय होती है जिस तरह शेयर के दाम तय होते हैं और ये बदलती भी रहती है. इन फंड की एनएवी सोने की कीमत के साथ जु़ड़ी रहती है. इसका अर्थ है कि फंड की कीमत सोने की कीमत के आधार पर बदलती रहती है. इसलिए सोने की कीमतों में तेजी का फायदा गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने पर भी मिलता है.

इसके अलावा भी कई फायदे हैं. जैसे इनको खरीदना-बेचना-होल्ड करना आसान है, क्योंकि ये इलेक्ट्रौनिक फौर्म में होते हैं. साथ ही चोरी  होने का भी डर नहीं रहता है और ना ही इसे लौकर में रखने की जरूरत है. इसमें निवेशक जितनी चाहें उतनी चाहें उतनी यूनिट खरीद सकते हैं और इससे निवेशक जितनी चाहें उतनी राशि से फंड खरीद सकते हैं.

इसके जरिए निवेशकों को सोने को सुरक्षित रखने के जोखिम से आजादी  मिल पाती है. इसमें सोने को खरीदने की तरह कई अन्य तरह के चार्ज नहीं होते जैसे मेकिंग चार्ज आदि. इसमें निवेशक अपनी सहूलियत के अनुसार एंट्री और एक्जिट ले पाता है तो फिजिकल गोल्ड में नहीं हो पाता है.

सोने के सिक्के और छड़

फिजिकल गोल्ड में निवेश करने का एक और तरीका छड़ और सिक्कों में निवेश करने का है. बैंक और ज्वैलरी शौप से कोई भी ग्राहक इन्हें खरीद सकता है. आम तौर पर यह 5 ग्राम, 10 ग्राम और 50 ग्राम वजन में उपलब्ध होते हैं. इस विकल्प के जरिए अगर आप सोने में निवेश करती हैं तो आपको गहनों की तुलना में अधिक शुद्धता मिलती है. इसपर मिलने वाला रिटर्न गहनों की तुलना में इसलिए ज्यादा होता है क्योंकि इसमें कोई भी मेकिंग या डिजायन का चार्ज नहीं होता है. हालांकि, जरूरत पड़ने पर भविष्य में कभी भी आप इसके गहने बनवा सकती हैं.

अगर आप सिक्के और छड़ खरीदने जा रही हैं तो कुछ बातों को ध्यान में रखियेगा, जैसे- इनकी कीमत की तुलना जरूर कर लीजिएगा. अक्सर देखा जाता है कि बैंकों के मुकाबले जूलरी दुकान में इनकी कीमत कम होती है. अगर आप किसी जूलरी दुकान से खरीदते हैं तो किसी प्रतिष्ठित या भरोसेमंद दुकान से ही खरीदें.

एक बात और कुछ जूलरी दुकान सिक्के और छड़ को वापस (बायबैक) भी ले सकते हैं लेकिन बैंक ऐसा नहीं करते. इसलिए अगर आप भविष्य में सिक्के या छड़ को बेचने के लिए खरीदना चाहते हैं तो इसे वैसी जूलरी दुकान से खरीदें जो आपके सिक्के और छड़ वापस ले सके. सिक्के या छड़ की गुणवत्ता का ध्यान जरूर रखिएगा. 

ई-गोल्ड

NSEL यानी नेशनल स्पौट एक्सचेंज लिमिटेड ग्राहकों को इलेक्ट्रौनिक फौर्म में सोना, चांदी, तांबा खरीदने, उसे होल्ड करने और उसे बेचने की सुविधा देता था. इसे ई-गोल्ड, ई-सिल्वर और ई-कौपर के नाम से जाना जाता था. 2010 में एनएसईएल ने इसे शुरू किया था लेकिन, बड़े घोटाले के बाद कुछ साल पहले एक्सचेंज के कामकाज पर रोक लगा दी गई है.

सोने के गहने

सोने के गहने खरीदना निवेश करने का सबसे पुराना तरीका है. लेकिन यदि निवेश के लिहाज से कोई ग्राहक सोने के गहने खरीदता है तो उसे दोहरा नुकसान होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि गहने खरीदते समय ज्वैलर्स मेकिंग और वेस्टेज चार्जेस जोड़ देते हैं और जब इन्हीं गहनों को ग्राहक बाजार में वापस बेचने जाते हैं तब ज्वैलर्स मेंकिग चार्जेस और वेस्टेज को काटकर इसकी कीमत लगाते हैं.

ऐसे में निवेश पर मिलने वाला रिटर्न कम हो जाता है. साथ ही यदि हौलमार्क का निशान इस ज्वैलरी पर न हो तो इसकी शुद्धता पर भी संदेह बना रहता है. इसके अलावा, चोरी होने का भी डर बना रहता है.

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