5 टिप्स : मानसून में इंटिमेट हाइजीन को बनाए रखना है जरुरी 

 मानसून के साथ-साथ इंटिमेट हाइजीन की समस्या भी बढ़ने लगती है, क्योंकि इस समय वातावरण में नमी की मात्रा अधिक होती है. इसके अलावा कोरोना काल में खुद को साफ़ रखना, इन्फेक्शन से बचना और सेनीटाइज करना भी एक चुनौती है. इस समय यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन की समस्या, महिलाओं में अधिक हो जाती है, ऐसे में इंटिमेट हाइजीन जरुरी हो जाता है. कोई भी ऐसा काम इस समय न करें, ताकि इन्फेक्शन का खतरा बढे. गर्मी और पसीने से बचने की जरुरत ऐसे मौसम में ख़ास होती है, क्योंकि इससे बेक्टेरिया के पनपने से वेजाइनल इन्फेक्शन बढ़ जाता है. मिलेनियम हर्बल केयर के एक्सपर्ट वासवदत्ता गाँधी कहती है कि कुछ ख़ास टिप्स निम्न है ,जिससे आप इंटिमेट हाइजीन को मानसून में भी कायम रख सकती है.

1. हमेशा इंटिमेट पार्ट को रखें ड्राई 

लगातार बारिश होते रहने की वजह से कपड़ों को अच्छी तरह सूखाना एक समस्या है, ऐसे में जो भी इनरवेयर पहने, वे अच्छी तरह से ड्राई हो, इसका ख्याल रखें, क्योंकि इस मौसम में अधिक पसीना आता है, ऐसे में इनरवियर के फैब्रिक ब्रीदेबल होनी चाहिए. सिंथेटिक फैब्रिक नमी को बाहर निकलने से रोकती है, जिससे इरीटेशन और फ्रिक्शन होता है, जो त्वचा के लिए भी ठीक नहीं. इसलिए ऐसे इनरवेयर या लौन्जरी को थोड़े समय के लिए ही पहने. इसके अलावा अगर आप बारिश में भींग चुकी है, तो घर आने पर तुरंत नहा लें और खुद को अच्छी तरह से सुखा लें.

2. टाइट कपड़े पहनने से बचें 

इस मौसम में स्किनी जींस और टाइट शॉर्ट्स को पहनना अवॉयड करें, इससे पसीने अधिक होते है और एयर फ्लो शरीर में ठीक से नहीं हो पाता, जिससे त्वचा में जलन और घर्षण होने लगता है. आरामदायक और ढीले कपडे इस मौसम में पहने. सोते समय भी आरामदायक हल्के शॉर्ट्स पहने ताकि एयर फ्लो सही तरीके से हो सकें, जिससे जलन और घर्षण कम से कम हो.

3. साफ़-सफाई और हाइजीन को रखे बरक़रार 

समय समय पर इंटिमेट पार्ट को साफ़ रखने से बेक्टेरिया इन्फेक्शन और दुर्गन्ध से आप मुक्त रह सकती है. सुबह नहाते समय और रात को सोते समय इंटिमेट पार्ट की सफाई हमेशा करें. अगर आपको अधिक पसीना आता है, तो आपको  साफ़ सफाई पर भी अधिक  ध्यान देने की जरुरत है. कई अच्छे और हर्बल उत्पाद बाज़ार में मिलते है, जिसका प्रयोग आप हाइजीन को बनाये रखने के लिए कर सकती है. 

4. खुद को रखें हाइड्रेटेड 

अधिक मात्रा में पानी और फ्रूट जूस पियें, ताकि यूरिन सही मात्रा में हो और यूरिनरी ट्रैक साफ़ और हेल्दी रहे. पानी शरीर के टोक्सिन को बाहर निकालती है और बॉडी की पीएच वैल्यू को संतुलित रखती है. इस मौसम में गर्मी और नमी की वजह से पसीना अधिक आता है. इससे शरीर की बॉडी फ्लूइड कम हो जाती है, जिससे युरिनेट के समय जलन का अनुभव होता है, जो कई बार यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन का रूप ले लेती है. 

5. हेल्दी फ़ूड हैबिट को करें मेंटेन 

अधिक स्पाइसी फ़ूड खाने से परहेज करें, एसिडिक फ़ूड पीएच के संतुलन को बिगाडती है, जिससे इंटिमेट एरिया से गन्दी बदबू आने लगती है. प्री और प्रोबायोटिक युक्त भोजन अधिक लें, जिसमें प्लेन दही, प्याज, लहसुन, स्ट्राबेरी, और हरी पत्तेदार सब्जियां जो वेजाइना में हेल्दी बेक्टेरिया को पनपने में मदद करें और आपका इंटिमेट हेल्थ अच्छा रहे.  

हाथ से धो रही हैं बर्तन तो ध्यान रखें ये 5 बातें

इन दिनों बर्तन धोना एक ट्रेंड बन गया है, डिशवाश लिक्विड के विज्ञापनों ने बर्तन धोने के कामों को एक ग्‍लोबल इमेज दे दी है. अब लोगों को खुद से घर के बर्तन धोना कोई गंदा काम नहीं लगता है. वैसे अब बर्तन धोना उतना कठिन काम नहीं रह गया है जितना पहले समय में होता था. अगर आप रोज बर्तन धोती हैं या थोड़े समय बाद कहीं सेटल होने वाली हैं, जहां धोना पड़ सकता है, तो कई बातों का ध्‍यान रखना आवश्‍यक होता है.

बर्तनों को धोने से पहले एक स्‍क्रबर से साफ कर दें, ताकि सारी जूठन निकल जाएं. बर्तनों को धोने के बाद उन्‍हें ऐसे रखें कि वो सूख सकें, वरना उनमें बदबू आने लगती है. बर्तनों को रैक में पोंछकर ही लगाएं. ऐसी ही कई और बातों को बर्तन धोते समय ध्‍यान में रखना चाहिए, जो कि निम्‍न प्रकार हैं.

1. बर्तन एक जगह इक्‍ट्ठा कर लें

बर्तनों को धोने से पहले एक जगह इक्‍टट्ठा कर लें. बार-बार भाग-दौड़ न करें. बाकी सारी सामग्री जैसे- साबुन, स्‍क्रबर और तौलिया को भी रख लें.

2. नाजुक बर्तन पहले धुलें

भारी या बड़े बर्तनों को धोने से पहले हल्‍के या क्रॉकरी वाले बर्तन पहले धोयें. वरना उनके टूटने का डर बना रहता है. चम्‍मचें, कांटे और छुरियां भी पहले धो लें.

3. चिकने बर्तन भिगो दें

बर्तनों को धोने से पहले चिपकने वाले बर्तनों को एक जगह रख कर उनमें गर्म पानी और साबुन डाल दें, ताकि उनकी चिकनाई छूट जाए और उन्‍हें धोने में ज्‍यादा मशक्‍कत न करनी पड़े.

4. बर्तन धोना

बर्तनों को मांजने के बाद उन्‍हें छोटे से लेकर बड़े के क्रम में धोना शुरू करें. इससे पानी की खपत कम होगी और वो अच्‍छे से साफ भी हो जाएंगे.

5. बर्तनों को सुखाना

बर्तनों को धोने के बाद एक साथ घुसाकर न रखें बल्कि डलिया आदि में अलग-अलग रखें. बाद में उन्‍हें तौलिया से पोंछकर सूखने रख दें. अगर बर्तन अच्‍छी तरह नहीं सूखते हैं तो पेट में संक्रमण होने की संभावना रहती है.

Monsoon Special: मौनसून में जरूरी है इंटिमेट हाइजीन

महिलाएं आज सभी क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रही हैं. लेकिन वे शरीर से संबंधित किसी भी बात को खुल कर नहीं कहतीं, पति से भी नहीं. अंतरंग भाग की कुछ बीमारियों को वह किसी से नहीं कह पाती, इस का उदाहरण एक लेडी डाक्टर के पास मिला. 35 वर्षीय महिला डाक्टर से भी अपनी बात कहने से शर्म महसूस कर रही थी और डाक्टर पूरी तरह से उसे डांट रही थी जबकि उसे इंटरनली कुछ बड़ा इन्फैक्शन हो चुका था, जिस का इलाज जल्दी करना था.

इस बारे में नानावती मैक्स सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल की प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञा, डा. गायत्री देशपांडे कहती हैं कि आज भी छोटे शहरों की महिलाएं, किसी पुरुष स्त्रीरोग विशेषज्ञ से जांच नहीं करवातीं, उन के पास डिलिवरी के लिए नहीं जातीं.

असल में अंतरंग स्वच्छता और देखभाल का उन की शारीरिक व मानसिक हैल्थ पर काफी असर होता है, लेकिन जागरूकता के साथसाथ समय पर चिकित्सीय सहायता से वल्वोवैजाइनल इन्फैक्शन के मामलों में बढ़ोतरी हुई है खासकर गरमियों के मौसम में इंटिमेट हाइजीन को बनाए रखना बहुत आवश्यक होता है क्योंकि पसीने और गरमी से इंटिमेट पार्ट में फंगल इन्फैक्शन बहुत जल्दी होता है, इसलिए महिलाओं को इस बात से अवगत होना चाहिए कि अंतरंग स्वच्छता केवल साफसफाई नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर उन की भलाई से जुड़ा विषय है.

धार्मिक और सामाजिक बाधाओं से दूर रहें

महिलाओं को उन सभी सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक बाधाओं को खुद से दूर रखना बेहद जरूरी है क्योंकि उन्हें इस विषय पर खुल कर बातचीत करने और अंतरंग देखभाल के सब से बेहतर साधनों का उपयोग करने से रोका जाता है और कुछ घरेलू नुस्खों का प्रयोग किया जाता है, जिस से बीमारी अधिक बढ़ती है और कई बार यह इन्फैक्शन इतना अधिक फैल जाता है कि उसे कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है. यहां तक कि उस महिला की मृत्यु भी हो सकती है.

इंटिमेट हाइजीन है क्या

डा. गायत्री कहती हैं कि गर्भाशयग्रीवा की बाहरी सतह से ले कर योनि के छिद्र तक की परत को वैजाइनल म्यूकोस (योनि श्लेष्मा) कहते हैं, जो कुदरती तौर पर निकलने वाले तरल पदार्थों की मदद से खुद को साफ करने में सक्षम होता है, खुद को साफ करने की क्षमता के बावजूद, योनि में कई स्वस्थ बैक्टीरिया मौजूद होते हैं, जो संक्रमण की रोकथाम के साथसाथ माइक्रोबियल संतुलन भी बनाए रखते हैं. कई तरह के बाहरी या आंतरिक असंतुलन अथवा आदतों की वजह से स्वस्थ माइक्रोबियल की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है, जिस से योनि या मूत्र मार्ग में संक्रमण होने का डर रहता है.

इस के अलावा योनि को प्रतिदिन धोने, शौच के बाद टिशू पेपर या वेट वाइप्स का उपयोग करने, स्नान करने और अच्छी तरह सुखाने, अंडरगारमैंट्स की सफाई, मासिकधर्म के दौरान स्वच्छता बरकरार रखने और सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यौन संबंध बनाने से पहले और बाद में स्वच्छता का ध्यान रखने जैसी अच्छी आदतों से योनि और उस से संबंधित सभी अंतरंग अंगों की हिफाजत करने में काफी मदद मिलती है. इन बातों का ध्यान रखने से इन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है:

रखें साफसफाई

हर बार पेशाब करने के बाद योनि को सामने की तरफ से ले कर पीछे तक सादे पानी से धोना जरूरी है. महिलाओं को समझना चाहिए कि योनि क्षेत्र भी उन की सामान्य त्वचा की तरह ही है, इसलिए नहाते समय इसे भी शरीर के दूसरे अंगों की तरह सामान्य साबुन या बौडी वाश से आगे से पीछे की ओर धोना चाहिए. पीछे के मार्ग (गुदा) पर बैक्टीरिया या जीवाणु मौजूद हो सकते हैं, जिन के संपर्क में आने से योनि में संक्रमण हो सकता है.

सही फैब्रिक का करें चुनाव

महिलाओं के लिए सूती पैंटी पहनना ही सब से बेहतर है, जो नमी को सोखने और इंटिमेट पार्ट को सूखा रखने में सहायक होती है. इसी तरह महिलाओं को बेहद तंग, गहरे रंग वाले या नम कपड़ों से परहेज करना चाहिए. अपने कपड़ों को पहनने से पहले उन्हें साफसुथरी जगह पर धूप में सुखाना जरूरी है ताकि अंतरंग भागों के आसपास नमी की मौजूदगी भी संक्रमण का एक प्रमुख कारण हो सकती है

सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग

सार्वजनिक शौचालयों में ईकोलाई, स्टै्रफिलोकोकी, स्ट्रेप्टोकोकी जैसे सक्रिय जीवाणु मौजूद होते हैं, जो महिलाओं के मूत्रमार्ग में संक्रमण (यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फैक्शन) का सब से आम कारण होते हैं. इन शौचालयों के साफसुथरे दिखने के बावजूद टौयलेट सीट, फ्लश, वाटर नोब्स या दरवाजे के हैंडल जैसी जगहों पर कीटाणु और बैक्टीरिया मौजूद हो सकते हैं.

इन से बचने के लिए आवश्यक सावधानी बरतनी चाहिए. मसलन, टौयलेट सीट पर टिशू पेपर का इस्तेमाल करना, कपड़े या शरीर को छूने से पहले हाथ साफ करने के लिए सैनिटाइजर या साबुन का उपयोग करना चाहिए. बाहर के वाशरूम और टौयलेट का उपयोग करने के बाद लैक्टिक ऐसिड आधारित वैजाइनल वाश का उपयोग करना योनि की देखभाल के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है.

यौन संबंध से पहले  खुद को रखें स्वच्छ

यौन संबंध के दौरान साथी द्वारा साफसफाई नहीं रखने की वजह से महिलाओं के मूत्रमार्ग में संक्रमण या योनि में संक्रमण भी हो सकता है. यौन संबंध बनाने के बाद हमेशा मूत्र त्याग की कोशिश करनी चाहिए और योनि को आगे से पीछे की ओर साफ करना चाहिए. कंडोम और गर्भनिरोधक तरीकों का उपयोग करना यौन संबंधों से होने वाले संक्रमण की रोकथाम में बेहद मुख्य भूमिका निभा सकता है. 1 से अधिक साथी के साथ यौन संबंधों से परहेज करें और अपने साथी से भी प्राइवेट पार्ट की स्वच्छता बनाए रखने का अनुरोध करें.

रहें सावधान फीकी रंगत वाले स्राव से

माहवारी के दिनों में फीकी रंगत वाला मामूली स्राव होना बेहद सामान्य बात है. हारमोन में बदलाव की वजह से ऐसे स्राव में योनि तथा गर्भाशयग्रीवा की त्वचा की कोशिकाएं मौजूद होती हैं, लेकिन इस तरह के स्राव के बरकरार रहने, गंध और समयसारिणी को ध्यान में रखना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह माहवारी के दौरान शरीर में होने वाले बदलावों को दर्शाता है. प्रीओव्यूलेटरी डिस्चार्ज (अंडोत्सर्ग से पहले का स्राव) अपेक्षाकृत गाढ़ा, कम और गोलाकार होता है, जबकि पोस्ट-ओव्यूलेटरी वैजाइनल डिस्चार्ज (माहवारी से 1 हफ्ता पहले) अधिक मात्रा में, बहुत पतला और चिपचिपा होता है. महिलाओं को यह समझना चाहिए कि इस तरह का स्राव बेहद सामान्य है और स्वस्थ अंडोत्सर्ग की प्रक्रिया का संकेत देता है.

अगर यह स्राव बेहद गाढ़ा है और इस के साथ लालिमा, खुजली या जलन की समस्या भी है और आप के माहवारी के दिनों के अलावा भी ऐसा होता है, तो इस समस्या पर तुरंत ध्यान देना और स्त्रीरोग विशेषज्ञा से परामर्श लेना बेहद जरूरी है.

प्यूबिक हेयर की वैक्सिंग या ट्रिमिंग

प्राइवेट पार्ट के बाल भी योनि के छिद्र की हिफाजत करते है, जो कई सूक्ष्म जीवों के लिए किसी रुकावट की तरह काम करते हैं, इसलिए वैक्सिंग कराने से न केवल योनि के ऐसे सूक्ष्म जीवों के संपर्क में आने की संभावना बढ़ जाती है बल्कि वैक्सिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अनुचित साधनों से योनि के आसपास सूजन या संक्रमण भी हो सकता है. अत: रैशेज और इन्फैक्शन से बचने के लिए प्यूबिक एरिया को साफ रखना जरूरी है.

इलाज से बेहतर रोकथाम

महिलाओं के लिए समस्याग्रस्त होने के बाद इलाज कराने के बजाय इस की रोकथाम पर ध्यान देना बेहतर है. साल में एक बार स्त्रीरोग विशेषज्ञा से परामर्श लेना, सर्विकल कैंसर से बचने के लिए समयसमय पर पीएपी स्मीयर टैस्ट आदि स्त्रीरोग विशेषज्ञा की सलाह पर कराने के साथसाथ उन के द्वारा दी गई दवाइयों का प्रयोग करें और अंतरंग स्वच्छता के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें.

ये भी पढ़ें- आखिर क्या है अंतर हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट में, जानें यहां

जरूरी है टौवेल हाइजीन

हम हर दिन नहाते समय अपनी स्किन की साफसफाई का पूरा ध्यान रखते हैं, बौडी को स्क्रब करते हैं, शौप लगाते हैं ताकि शरीर से दुर्गंध न आए और शरीर साफ रहे. मगर कभी आप ने अपने टौवेल यानी तौलिए पर ध्यान दिया है? उसे आप ने आखिरी बार कब धोया था? 1 सप्ताह पहले या फिर 15 दिन पहले?

हैरान रह गए न कि बौडी की सफाई का ध्यान तो हर दिन रखते हैं, लेकिन जिस से बौडी को पोंछते हैं उस का क्या? लेकिन आप के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि जिस तरह से बौडी को साफ रखना जरूरी है, उसी तरह टौवेल को भी साफ रखना बहुत जरूरी होता है.

आइए जानते हैं कि क्यों जरूरी है टौवेल की सफाई और उसे साफ कैसे करें:

टौवेल को सुखाएं जरूर

सब से जरूरी बात जो समझनी होगी वह यह है कि अगर आप रोज बाथ टौवेल को नहीं धो पा रहे हैं तो उस में बैक्टीरिया को पनपने से रोकने के लिए जरूरी है कि आप उसे यूज करने के बाद उसे पूरी तरह ड्राई होने के लिए धूप में जरूर सुखाएं ताकि बैक्टीरिया के पनपने के लिए उस में मौइस्चर बचे ही नहीं. ऐसा करना आप को काफी हद तक संक्रमित होने से बचा सकता है. लेकिन इस का यह मतलब नहीं कि आप को टौवेल को धोने की जरूरत ही नहीं है.

हर 2-3 वाश के बाद टौवेल की सफाई जरूरी

चाहे बात हो बाथ टौवेल की या फिर फेस टौवेल की या फिर हैंड टौवेल की, इन्हें जल्दीजल्दी क्लीन करना जरूरी है वरना आप खुद को संक्रमित होने से नहीं बचा पाएंगे क्योंकि टौवेल स्किन से ड्राई डैड स्किन व पसीने को खुद में समेटने का काम करता है. इसीलिए जरूरी है टौवेल को हर 2-3 वाश के बाद धोने और अच्छी तरह सुखाने की.

कैसे करें क्लीन:

बाथ टौवेल को अच्छी तरह साफ करने के लिए आप पानी में डिटर्जैंट डाल कर उस में थोड़ा सा विनेगर भी ऐड करें. इस से सारे बैक्टीरिया आसानी से नष्ट हो कर आप का टौवेल जर्म फ्री हो जाता है और उस में गीलेपन के कारण आई बदबू भी दूर हो जाती है. आप बेकिंग सोडा से भी टौवेल को जर्म फ्री बना सकते हैं. इसे धोने के बाद धूप में भी जरूर सुखाएं ताकि नमी पूरी तरह निकल जाए.

ये भी पढ़ें- घर की सफाई का रखें ख्याल

जिम टौवेल की हर यूज  के बाद सफाई

हम खुद को फिट रखने के लिए जिम जाते हैं और जिम से आ कर खुद को फ्रैश फील करवाने के लिए या तो बाथ लेते हैं या फिर जिम टौवेल से शरीर व चेहरे पर आए पसीने को साफ कर के खुद को क्लीन व अच्छा फील करवाने की कोशिश करते हैं. लेकिन इस के लिए आप जिस बाथ या जिम टौवेल का इस्तेमाल करते हैं उस में पसीने के कारण बैक्टीरिया के पनपने के चांसेज सब से ज्यादा होते हैं.

ऐसे में अगर आप जिम टौवेल को रोज अच्छी तरह साफ नहीं करेंगे तो न सिर्फ आप को ऐलर्जी होने का डर रहेगा बल्कि इस में पनपे बैक्टीरिया, वायरस आप के टौवेल के जरीए आप के शरीर में प्रवेश कर के आपको गंभीर रूप से बीमार भी कर सकते हैं. इसलिए हर यूज के बाद जिम टौवेल को साफ करना जरूरी है.

कैसे करें क्लीन:

अगर आप गरम पानी में डिटर्जैंट को डाल कर जिम टोवल को साफ करेंगे तो इस से डिटर्जैंट अच्छी तरह पानी में मिल जाने के कारण टौवेल में छिपे जर्म्स को अच्छी तरह निकलने में मदद मिलेगी. यही नहीं आप विनेगर व बेकिंग सोडा से भी टौवेल को क्लीन कर के जिम टौवेल को बैक्टीरिया फ्री बना सकते हैं. इस से टौवेल से बैक्टीरिया का सफाया होने के साथसाथ टौवेल की सौफ्टनैस भी बरकरार रहती है व टौवेल से आने वाली बदबू भी आसानी से निकल जाती है.

किचन टौवेल की भी न करें अनदेखी

आप हर बार इस्तेमाल के बाद बरतनों को धोते हैं, लेकिन क्या आप उसी तरह किचन टौवेल को भी धोते हैं? अधिकतर का जवाब न में ही होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह मल्टीपर्पज किचन टौवेल बैक्टीरिया का घर होता है? इस का कभी आप स्लैब को साफ करने के लिए इस्तेमाल करते हैं, तो कभी माइक्रोवैव व फ्रिज को और फिर जब आप इसे रैग्युलर वाश नहीं करते हैं तो यह आप की व आप के अपनों की हैल्थ को भी बिगाड़ देता है क्योंकि किचन टौवेल में बैक्टीरिया सब से अधिक पनपते हैं, जो आप की हैल्थ को पूरी तरह बिगाड़ सकते हैं. इसलिए किचन टौवेल की सफाई की अनदेखी न करें.

कैसे करें क्लीन :

किचन टौवेल को रोज धोएं ताकि इस के अंदर की बदबू व बैक्टीरिया कपड़े के जरीए खाने में जा कर आप को बीमार न कर दें. इस के लिए आप गरम पानी में विनेगर डाल कर उस में किचन टौवेल को 10 मिनट भिगोए रखें. इस से बैक्टीरिया का भी सफाया होगा और टौवेल से दुर्गंध भी दूर होगी.

इस बात का भी ध्यान रखें कि टौवेल को अच्छी तरह सुखाएं भी जरूर ताकि उस में नमी न रहने पाएं क्योंकि नमी बैक्टीरिया के पनपने के लिए सुपरफूड जो होता है.

टौवेल को बदलते रहें

हम नए कपड़े खरीदने का तो ध्यान रखते हैं, लेकिन टौवेल को चेंज करना कभी हमारी प्राथमिकता नहीं होती है, जबकि आप को यह जानना होगा कि जिस तरह समयसमय पर हर चीज में बदलाव जरूरी होता है, ठीक उसी तरह टौवेल को भी बदलना जरूरी है क्योंकि जब हम एक ही टौवेल को लंब अरसे तक इस्तेमाल करते हैं, तो वह ज्यादा इफैक्टिव नहीं होने के कारण न तो शरीर को ड्राई करने में सक्षम होता है और साथ ही उस में बैक्टीरिया भी ज्यादा पनपने लगते हैं.

इसलिए ऐक्सपर्ट्स की सलाह के अनुसार थोड़ेथोड़े समय बाद टौवेल बदल लेना चाहिए. इस बात का भी ध्यान रखें कि अगर टौवेल को धोने के बाद भी उस में से स्मैल आ रही है तो समझ जाएं कि इस के फाइबर में बैक्टीरिया की मौजूदगी के कारण ऐसा हो रहा है. अत: उसे तुरंत बदल लें.

ये भी पढ़ें- चमकें बर्तन चमाचम

टौवेल शेयर की आदत से बचें

शेयरिंग इज केयरिंग अच्छा है, लेकिन टौवेल शेयर के संबंध में यह बात बिलकुल सही नहीं है क्योंकि आप जिस के साथ टौवेल शेयर कर रहे हैं, हो सकता है उसे बैक्टीरियल इन्फैक्शन हो. ऐसे में अगर आप वही टौवेल इस्तेमाल कर रहे हैं तो आप को भी वही इन्फैक्शन होने का डर बना रहता है. गीले टौवेल में फंगी भी तेजी से पनपती है, जो फंगल इन्फैक्शन का कारण बन सकता है. इस से आप को गंभीर यूरिन इन्फैक्शन तक हो सकता है, इसलिए टौवेल शेयर करने की आदत से बचें.

क्या कहती है रिसर्च

लव 2 लौन्ड्री की रिसर्च के अनुसार, कुछ लोग प्रत्येक उपयोग के बाद अपने टौवेल को धोते हैं, जबकि अन्य लोगों को तो यह भी याद नहीं होता कि उन्होंने आखिरी बार कब धोया था. सर्वे में शामिल लोगों से ज्ञात हुआ कि 46% लोग हफ्तेभर तक एक ही तौलिए का इस्तेमाल करते, जबकि 9% लोग महीनेभर से भी ज्यादा.

यह सीधे तौर पर उन्हें संक्रमित करने का काम करता है क्योंकि जब आप नहाने के बाद खुद को ड्राई करने के लिए टौवेल का इस्तेमाल करते हैं, तो उस से डैड स्किन सैल्स टौवेल में ट्रांसफर हो जाते हैं और फिर मौइस्चर के संपर्क में आ कर उस में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं और फिर जब हम दोबारा बिना धोए उसी टौवेल का इस्तेमाल करने लगते हैं तो हम बड़ी आसानी से बैक्टीरिया के संपर्क में आ जाते हैं, जिस से इन्फैक्शन, ऐलर्जी, स्किन पर जलन, दाने, स्किन का रैड हो जाना जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं. इसीलिए जरूरी है टौवेल हाइजीन का ध्यान रखना.

ये भी पढ़ें- 9 टिप्स: ऐसे दें किचन को स्टाइलिश लुक

इन 5 चीजों की बाथरूम में न हो Entry

साफ-सुथरा बाथरूम आपकी हेल्थ और ब्यूटी दोनों के लिए बहुत जरूरी है. घर के साथ-साथ बाथरूम की साफ-सफाई भी बहुत जरूरी है. आपके साफ बाथरूम को देखकर आपके मेहमान भी आपकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाएंगे और बार-बार आपके घर आएंगे. बाथरूम की सजावट के लिए आप कोई भी प्रयोग कर सकती हैं. मिक्स एंड मैच करने के लिए सबसे सुरक्षित जगह बाथरूम ही है. क्योंकि अगर कोई गड़बड़ हो भी गई तो ज्यादा टेंशन नहीं है.

पर कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें हम बाथरूम में रखते हैं. ऐसी चीजों को बाथरूम में रखना खतरनाक साबित हो सकता है. ये वो चीजें जिनका खराब होने का रिस्क तो रहता ही है पर इसके साथ ही आपके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ने की संभावनाएं भी रहती हैं.

इन चीजों को बाथरूम में रखने से बचें

1. टूथब्रश

बहुत से लोग बेसिन नहीं, बल्कि बाथरूम के अंदर ही टूथब्रश रखते हैं. पर बाथरूम में टूथब्रश नहीं रखना चाहिए. इसके दो कारण है- पहला, अगर आप अपने टूथब्रश में कवर नहीं लगाती हैं तो उन पर टॉयलेट के जीवाणुओं के आक्रमण का खतरा रहेगा. दूसरा बाथरूम की नमी के कारण बैक्टीरिया बड़ी आसानी से आपके टूथब्रश पर घर बना सकते हैं.

अपने टूथब्रश को किसी अंधेरी जगह पर रखना बेहतर है. 3-4 महीनों में टूथब्रश को बदलना न भूलें.

ये भी पढ़ें- 7 TIPS: ताकि शिफ्टिंग न बनें सरदर्द

2. रेजर ब्लेड

आपके घर पर भी एक से ज्यादा रेजर ब्लेड एक साथ खरीदे जाते होंगे और आप इन्हें बाथरूम में ही रखती होंगी. पर बाथरूम की नमी रेजर ब्लेड के लिए अच्छी नहीं है. ज्यादा नमी के कारण रेजर ब्लेड पर जंग भी लग सकते हैं.

रेजर ब्लेड को एयर-टाइट डब्बे में रखें और घर के किसी ड्राई जगह पर ही रखें.

3. मेकअप प्रोडक्ट्स

आजकल लोगों को इतनी हड़बड़ी रहती है कि मेकअप प्रोडक्ट्स भी अब ड्रेसिंग टेबल की जगह बाथरूम में रखे जाने लगे हैं. अगर आप भी समय बचाने के लिए ऐसा करने लगी हैं, तो तुरंत अपने मेकअप के सामान को हटा लें. गर्मी और नमी से मेकअप के सामान बर्बाद हो जाते हैं.

मेकअप प्रोड्क्टस को अपने बेडरूम में ही रखें.

4. दवाईयां

दवाईयां कई लोगों की जिन्दगी का अहम हिस्सा हैं. पर इसे भी खाना हम कई बार भूल जाते हैं. याद रखने के लिए इसे सबसे उपयुक्त जगह पर रखते हैं. उपयुक्त जगह ढूंढते-ढूंढते अगर आपने अपनी दवाईयां बाथरूम में रख दी हैं, तो उन्हें तुरंत वहां से हटायें. दवाईयों के पैकेट पर ये बात लिखी रहती है कि उन्हें तीव्र रौशनी और नमी से दूर रखना चाहिए. बाथरूम में दवाईयां रखने से दवाईयों का असर धीरे-धीरे कम होने लगता है.

आप किचन में भी दवाईयां रख सकती हैं, अगर किचन की अल्मारी गैस स्टोव से दूर है तभी किचन में दवाईयां रखें.

ये भी पढ़ें- विंटर बेबी केयर टिप्स

5. तौलिया

दिनभर की थकान के बाद एक रिफ्रेशिंग बाथ से आप तरोताजा महसूस करती हैं. नहाने के बाद नर्म तौलिए से खुद को सुखाना भी बड़ा सुकून देता है. पर अगर नहाने के बाद इस्तेमाल होने वाला तौलिया भी आप बाथरूम में ही रखती हैं, तो तुरंत उसकी जगह बदलें. बाथरूम में ही तौलिए को रखने से तौलिया सूख नहीं पाता और उसमें से बदबू आने लगती है.

तौलिए को अपने बेडरूम की अल्मारी में ही रखें.

क्यों जरूरी है हाथों की सफाई

 लेखिका  -सोनिया राणा

जब से दुनियाभर में कोरोना ने दस्तक दी है तब से हाथों की साफसफाई पर लोगों ने ध्यान देना शुरू किया है. लेकिन बात सिर्फ कोविड-19 की नहीं है. हाथ धोने से ले कर घर में अकसर बड़े हमें समयसमय पर नसीहत देते और डांटते भी रहते हैं कि खाना खाने से पहले और बाद में, बाहर से घर में आने के बाद, बाहर से लाए किसी सामान को छूने के बाद और शौच जाने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन लगा कर धोना चाहिए.

ऐसा इसलिए है कि जब भी हम खाना खाते हैं और उस के पहले हाथ नहीं धोते तो हाथों में लगे जर्म्स हमारे खाने के साथ हमारे शरीर में प्रवेश कर लेते हैं, जिस से हमें फूड पौइजनिंग समेत कई बीमारियों का सामना करना पड़  सकता है.

हो सकती हैं कई बीमारियां

हाथों की सफाई के मामले से अगर कोविड-19 जैसी महामारी को कुछ पल के लिए नजरअंदाज भी कर दें तो भी यह हमारे लिए खतरनाक साबित हो सकता है. हलके वायरल इन्फैक्शन से ले कर हैजा जैसी कई बीमारियां हैं, जो सिर्फ इस छोटी सी आदत को अपनी दिनचर्या में शुमार न करने से आप को अपनी गिरफ्त में ले सकती हैं जैसे डायरिया, गैस्ट्रोएंट्राइटिस, दस्त, हैजा, टायफाइड, हेपेटाइटिस ए और ई, पीलिया, एच1 एन1, सर्दीजुकाम.

ये भी पढ़ें- क्या आपके बच्चे के बालों में जूंएं हैं

कैसे रखें हाथों की सफाई

यों तो हाथ धोने से संबंधित विज्ञापनों से बाजार भरा है, समाचारपत्रों या पत्रिकाओं के माध्यम से हों या फिर टैलीविजन में आने वाले विज्ञापनों के जरीए हमें हाथ अच्छे से कैसे धोने चाहिए इस के बारे में जानकारी दी जाती है. लेकिन पिछले 1 साल में न सिर्फ इन विज्ञापनों में बल्कि बाजार में उपलब्ध सैनिटाइजर और हैंड वाश की मात्रा में भी बढ़ोतरी हुई है.

ऐसे में जरूरी है कि हम सभी अगर घर पर हैं तो अपने हाथों की लगातार साबुन से सफाई करें और अगर घर से बाहर हैं तो भी अब यह जरूरी हो गया है कि आप सैनिटाइजर से अपने हाथों को कीटाणुओं से मुक्त करें. इस से न सिर्फ कोविड-19 महामारी से बचे रहेंगे, बल्कि अन्य रोगों से भी अपनी रक्षा कर पाएंगे. डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइंस भी कहती हैं हमें अपने हाथों  को 20 सैकंड तक अच्छी तरह रगड़ कर  धोना चाहिए.

ग्लोबल हैंड वाशिंग डे

हाथ धोने से संबंधित जागरूकता फैलाने के लिए ग्लोबल हैंड वाशिंग डे मनाया जाता है. 2008 से यूएन ने इसे मनाना शुरू किया था  और जब यह पहली बार मानाया गया तो दुनियाभर में करीब 120 मिलियन बच्चों और बड़ों ने अपने हाथ धोए थे. उस के बाद इसे हर साल 15 अक्टूबर को मनाया जाता है. 2020 में ‘हैंड हाइजीन’ इस की थीम रखी गई थी.

एक छोटी सी आदत को वाशिंग डे के तौर पर मनाया जाना आप को अजीब जरूर लगा होगा. लेकिन हाथों की साफसफाई रखना आप की सेहत के लिए उतना ही जरूरी है जितना आप को व्यायाम और भोजन करना. ग्रामीण इलाकों में भी लोग हाथों के हाइजीन की इंपौर्टैंस को समझें, इसलिए डब्ल्यूएचओ ने इसे वाशिंग डे के तौर पर मनाने का संकल्प लिया.

हाथों की सेहत भी है जरूरी

कोविडकाल में हाथ धोना काफी अहम हो गया है. ऐसे में यह भी जरूरी है कि आप हाथों को धोने के साथसाथ उन की सेहत का भी खयाल करें.

हाथ धोने के बाद क्रीम लगाएं: हाथों की ऊपरी स्किन में प्राकृतिक तेल और वैक्स होता है. बारबार साबुन से हाथ धोने और सैनिटाइजर के प्रयोग से वे रूखे हो जाते हैं. अत: इस से बचने के लिए हाथ धोने या सैनिटाइजर के बाद मौइस्चराइजर का इस्तेमाल जरूर करें.

ये भी पढ़ें- डिलीवरी के बाद बढ़ता डिप्रेशन

खुशबू युक्त साबुन का प्रयोग कम करें:कोरोना संक्रमण के दौर में लोग खुशबूदार साबुन का इस्तेमाल अधिक करने लगे हैं. अत: इस का प्रयोग कम से कम करें, क्योंकि यह झाग की मोटी परत बनाता है और फिर हाथों को जब रगड़ कर धोते हैं तो उन में मौजूद प्राकृतिक तेल को भी धो देता है. लगातार ऐसा करने से हाथों की प्राकृतिक सुंदरता भी खराब हो सकती है.

हाथ फटे हैं तो सैनिटाइजर न लगाएं:हाथों की त्वचा फटी है तो अलकोहल युक्त सैनिटाइजर लगाने से बचें. हैंड सैनिटाइजर के कुछ वक्त बाद मौइस्चराइजिंग क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं. रात को सोने से पहले हाथों में मौइस्चराइजिंग क्रीम लगाएं और सूती के कपड़े से बने दस्तानों से हाथों को 20 मिनट तक ढक लें ताकि उन में नमी आ जाए.

बच्चों के लिए जरूरी हाइजीन हैबिट्स

बच्चे घर के पौष्टिक आहार को छोड़ कर चिप्सकुरकुरे आदि के पीछे भागते रहते हैं. इस कारण उन में पोषण की कमी हो जाती है. ऐसे में बच्चों में कोरोना के संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है. ऐसे में परिवारों के बड़ेबुजुर्गों की जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों को कोरोना से बचाव के बारे में अच्छी तरह से समझएं, व्यक्तिगत स्वच्छता के महत्त्व के बारे में जागरूक करें.

बच्चों को सिखाएं ये जरूरी बातें

हाथ धोना: बच्चों को अकसर कोई अच्छी आदत सिखाने के लिए एक नया तरीका ढूंढ़ना पड़ता है, जिस से कि वे आसानी से आप की बात मानने के लिए तैयार हो जाएं. अपने बच्चों को हाथ धोने की आदत डालनी है तो पहले उन्हें सब के साथ हाथ धोना सिखाएं. इस के बाद कहें कि हैंडवाश करतेकरते उन्हें 2 बार हैप्पी बर्थडे सौंग गाना है. इस से बच्चे आसानी से आप की बात मान जाएंगे और उन के हाथ भी अच्छी तरह साफ हो जाएंगे.

लोगों से रखें दूर: चूंकि, बच्चों में संक्रमण आसानी से फैल सकता है, इसलिए उन्हें बाहर के लोगों के संपर्क में बिलकुल न आने दें. ऐसे ही यदि घर में किसी की तबीयत खराब है या कोई बुजुर्ग सदस्य है तो बच्चों को उन से दूर रहने को कहें. इस बारे में बुजुर्ग या बीमार सदस्य को भी समझ दें ताकि किसी को बुरा भी नहीं लगेगा और आप के बच्चे भी संक्रमण से बचे रहेंगे.

ये भी पढ़ें- डाक्टर्स से जानें कोरोना में कैसे सेफ रहें प्रैग्नेंट महिलाएं

खिलौनों को सैनिटाइज करें: खिलौनों के साथ खेलना बच्चों का सब से पसंदीदा काम होता है. ऐसे में बच्चे खिलौनों को घर में कहीं भी छोड़ देते हैं, जिस कारण खिलौने कीटाणुओं के संपर्क में आ जाते हैं. बच्चों की एक बुरी आदत होती है कि वे खिलौनों को चबाना या चाटना शुरू कर देते हैं, जो उन के स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. इसलिए बच्चों को खिलौने देने से पहले उन्हें अच्छी तरह साफ कर सैनिटाइज करें. इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चे खिलौने को चाटें या चबाए नहीं.

घर की चीजों को सैनिटाइज करें: घर की जिन चीजों को सब से ज्यादा हाथ लगाया जाता है, उन्हें दिन में कम से कम 3 बार सैनिटाइज करें. इस से वहां मौजूद कीटाणु खत्म हो जाएंगे और बच्चे कीटाणुओं के संपर्क में आने से बचे रहेंगे.

मुंह में हाथ न लगाएं: बच्चों को बताएं कि मुंह पर हाथ लगाना उन की सेहत बिगाड़ सकता है. उन्हें बताएं कि यदि वे बीमार पड़ गए तो उसे घर को बेस्वाद और बेकार खाना खाना पड़ेगा, साथ ही कड़वी दवा के बारे में भी बताएं. बच्चे ऐसी चीजों से दूर भागते हैं, इसलिए वे इस तरह आप की बात आसानी से मान जाएंगे.

खांसतेछींकते करें टिशू का इस्तेमाल: अपने बच्चों को सिखाएं कि वे खांसने या छींकने के लिए टिशू का इस्तेमाल करें. उन्हें टिशू पेपर उठाने में देरी न हो, इसलिए कुछ टिशू उन की पैंट की जेब में रख दें.

धुले कपड़े पहनाएं: बच्चों का ज्यादातर वक्त खेलकूद में गुजरता है, जिस में उन के कपड़े गंदे हो जाते हैं. इसलिए उन के कपड़े दिन में कम से कम 2 बार बदलें.

बाहर जाते समय मास्क और ग्लव्स पहनाएं: कोशिश करें कि बच्चों को कहीं बाहर न ले जाएं. इस के बावजूद वे आप के साथ जाने की जिद करते हैं तो उन्हें मास्क और ग्लव्स जरूर पहनाएं.

नवजात की स्वच्छता का ऐसे रखें खयाल

– अपने घर आए नन्हे मेहमान को कोविड-19 से बचाने के लिए सब से बेहतर तरीका है सोशल डिस्टैंसिंग. अगर आप अपने शिशु को सभी को दिखाने या सब से मिलाने के लिए उत्साहित हैं तो इस के लिए आप सोशल मीडिया ऐप जैसे कि स्काइप, व्हाट्सऐप वीडियो कौल, फेसबुक वीडियो कौल, फेसटाइम या जूम का सहारा ले सकती हैं. जो लोग आप के घर में पहले से मौजूद हैं उन्हें अच्छी तरह हाथ धोने और साफसफाई के बाद ही शिशु को छूने दें.

– शिशु को बाहर ले जाने से परहेज करें ताकि वह किसी भी तरह से वायरस के संपर्क में न आए.

– यदि घर का कोई सदस्य बीमार है तो उसे कुछ दिनों के लिए क्वारंटीन कर दें ताकि शिशु या घर के अन्य सदस्य बीमारी से बचे रहें.

– नवजात के लिए मां का स्तनपान करना काफी जरूरी होता है. हालांकि, कोरोना सांस के जरिए फैलता है, जो स्तनपान के दौरान एक मां से उस के बच्चे में आसानी से प्रवेश हो सकता है. ऐसे में नवजात को छूने से पहले हाथ धोना और स्तनपान करते समय मास्क पहनना बहुत जरूरी है. अगर मां शिशु को स्तनपान करा रही है तो उसे पहले अपने हाथों को अच्छी तरह धोना चाहिए.

– शिशु के झले, बिस्तर, खिलौनों आदि की नियमित सफाई करें.

ये भी पढ़ें- अदरक के तेल का फायदा जान हैरान रह जाएंगी आप

– शिशु के मुंह से हर वक्त दूध का लावा गिरता रहता है, जिस में कीटाणु पनपते हैं. इसलिए उस के कपड़े जल्दीजल्दी बदलें और दूध गिरते ही उस का मुंह और हाथ अच्छी तरह साफ करें.

– घर का कोई भी सदस्य शिशु को गोदी में लेने या हाथ लगाने से पहले यह सुनिश्चित कर ले कि उस के हाथ साफ हों और वह बाहर से न आया हो.

 -डा. के के गुप्ता

पेडिएट्रिशियन, सरोज हौस्पिटल. –

ब्रैस्टफीडिंग को हाइजीनिक बनाने के लिए अपनाएं 6 टिप्स

नवजात का शरीर बहुत कोमल होता है. उसे ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है. ऐसे में ब्रैस्ट फीड कराने वाली मांओं के लिए ब्रैस्ट की साफसफाई पर बहुत ध्यान देने की आवश्यकता होती है. साफसफाई से संबंधित ये टिप्स हर मां के लिए जानने जरूरी हैं:

1. हाथ जरूर धोएं

एक मां को यह पता होना चाहिए कि बच्चे को फीड कराने से पहले हाथ जरूर धोने चाहिए, क्योंकि आप दिनभर में हाथों से कई काम करती हैं. ऐसे में उंगलियों व हथेलियों के गंदे व संक्रमित होने की संभावना अधिक रहती है. वैसे भी संक्रमित करने वाले जीवाणु व विषाणु इतने छोटे होते हैं कि दिखाई नहीं देते हैं और नवजात को दूध पिलाने के दौरान स्थानांतरित हो जाते हैं. इस से शिशु कई बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है. इसलिए शिशु में बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए मां का अपने हाथों को उचित तरीके से धोना बेहद आवश्यक है.

ये भी पढ़ें- प्रेग्नेंसी में थायराइड की स्क्रीनिंग है जरुरी

2. निपल रखें साफ

स्तनों व निपलों को साफ रखना भी जरूरी है, क्योंकि कपड़ों की वजह से निपलों पर पसीना जमने से वहां कीटाणु पनपते हैं, जो ब्रैस्ट फीडिंग के दौरान शिशु के पेट में पहुंच जाते हैं और फिर उसे नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए ध्यान रहे कि शिशु को स्तनपान कराने से पहले अपने स्तनों व निपलों को कुनकुने पानी में रुई या साफ कपड़ा भिगो कर उस से अच्छी तरह पोंछें. निपल की सूजन को कम करने के लिए आप दूध की 4-5 बूंदें निपल पर लगा कर सूखने दें. कई बार नवजात बच्चा दूध पीते वक्त दांतों से काट लेता है, जिस से जख्म बन जाता है और फिर दर्द होता है. इस दर्द को कम करने में भी मां का अपना दूध काफी मददगार साबित होता है.

3. टाइट ब्रा पहनने से बचें

शिशु के जन्म के बाद से ही मां के स्तनों के आकार में परिवर्तन आ जाता है. ऐसी स्थिति में टाइट ब्रा पहनने से बचना चाहिए, क्योंकि टाइट ब्रा पहनने के बहुत नुकसान होते हैं. एक तो शिशु को दूध पिलाने में दिक्कत होती है दूसरा स्तनों में दूध का जमाव बढ़ जाता है, जोकि बाद में गांठ का रूप ले लेता है.

4. निपल शील्ड को करें स्टेरलाइज

कई मांएं ब्रैस्ट फीड कराते समय निपल शील्ड का उपयोग करती हैं, जो दूध पिलाते वक्त उन के सामने आने वाली समस्याओं का अल्पकालीन समाधान है. इन निपल शील्ड को उपयोग करते समय इन की साफसफाई पर भी ध्यान देना जरूरी है. और इन्हें लगा कर दूध पिलाने से पहले इन्हें हर बार स्टेरलाइज कर लेना चाहिए ताकि शील्ड पर मौजूद कीटाणु हट जाएं और नवजात के पेट में न जा पाएं.

ये भी पढ़ें- बीमार बना सकता है टैटू का क्रेज

5. हर दिन बदलें ब्रा

ब्रैस्ट फीडिंग कराने वाली मांएं रैग्युलर ब्रा की जगह नर्सिंग ब्रा पहनती हैं, जिस से शिशु को फीड कराना आसान रहता है, क्योंकि यह साधारण ब्रा के मुकाबले काफी आरामदायक व फ्लैक्सिबल होती है. कौटन से बनी इस ब्रा में जहां हवा पास होती रहती है वहीं इस में लगा इलास्टिक त्वचा को काफी सौफ्ट टच देता है. अगर आप अभी मां बनी हैं और बच्चे को ब्रैस्ट फीड कराती हैं, तो बौडी केयर की नर्सिंग ब्रा एक अच्छा विकल्प है. इस तरह की ब्रा में कप में निपल वाली जगह खोलने की सुविधा होती है और पीछे हुक भी अधिक लगे होते हैं, जिन्हें आप अपने हिसाब से लूज व टाइट कर सकती हैं. इस ब्रा की बनावट स्तनों  को पूरा सहारा देती है. लेकिन कई बार दूध पिलाते वक्त ब्रा पर दूध गिर जाने से वहां बैक्टीरिया पनप जाते हैं और वह गंदी भी हो जाती है. इसलिए नर्सिंग ब्रा को हर दिन बदलें.

6. ब्रैस्ट पंप की सफाई है जरूरी

स्तनपान के लिए आप जिन उपकरणों जैसेकि ब्रैस्ट पंप का उपयोग कर रही हैं, तो उस की साफसफाई भी जरूरी है. ब्रैस्ट पंप धोने के लिए रसोईर् या शिशु की बोतल धोने वाले ब्रश का प्रयोग भूल कर भी न करें. इसे साफ करने के लिए अलग साधन का प्रयोग करें.

डा. अनिता गुप्ता, गाइनोकोलौजिस्ट से पूजा भारद्वाज द्वारा की गई बातचीत पर आधारित

ये भी पढ़ें- 4 टिप्स: ऐसे रखें दिल का खास ख्याल

आप हम और ब्रैंड

सुखलीन अनेजा

मार्केटिंग डाइरैक्टर, साउथ एशिया रैकिट बैंकिजर हाइजीन होम

इस नए स्तंभ का उद्देश्य यह है कि आप रोजमर्रा इस्तेमाल किए जाने वाले घरेलू उत्पादों के बारे में और करीब से जान सकें. आमजन की स्वच्छता और स्वास्थ्य मुद्दों पर लगातार काम करते हुए रैकिट बैंकिजर कंपनी ने बहुत बड़ा मुकाम हासिल किया है. घर को गंदगी, कीटाणुओं, कीटों और बदबू से मुक्त करने के लिए इस कंपनी ने कई नए उत्पाद मार्केट में उतारे हैं. हाइजीन होम योजना के तहत हार्पिक, लाइजौल, वैनिश, फिनिश और एयर विक जैसे प्रोडक्ट्स भारतीय उपभोक्ताओं के पसंदीदा बन गए हैं.

कंपनी भारतीय शहरी और ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए उन की जेब के हिसाब से क्याक्या उत्पाद ले कर आई है और भविष्य में भारत के स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़ी उस की क्या योजनाएं हैं, इस पर कंपनी की मार्केटिंग डाइरैक्टर सुखलीन अनेजा से की गई बातचीत के कुछ अंश पेश हैं:

सवाल- भारतीय ग्राहक हैल्थ, हाइजीन और होम केयर के मामले में किस प्रकार की परेशानियों से घिरे हैं? आरबी के उत्पाद उन्हें इन परेशानियों से कैसे मुक्त करते या उन की आदतों में कैसे सुधार लाते हैं?

भारत तेजी से बढ़ती वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. इस की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा अभी भी गरीबी रेखा से नीचे है. एक तरफ भारत तकनीक के क्षेत्र में अव्वल पायदान पर है और कई शीर्ष वैश्विक कंपनियों के लिए बेहतर और वृहद बाजार है, वहीं दूसरी ओर यह बहुसंख्यक भारतीयों के लिए साफ पीने का पानी, स्वच्छता और घर की देखभाल से जुड़ी बुनियादी जरूरतें पूरी करने में अक्षम है. ये मुद्दे हर भारतीय नागरिक के लिए चिंता का कारण हैं. महिलाएं इस से सब से ज्यादा प्रभावित हैं.

गंदगी से होने वाली बीमारियां सब से ज्यादा उन्हें प्रभावित करती हैं. आज भी खुले में शौच जाना महिलाओं के लिए बहुत शर्मिंदगी का विषय है. अस्वच्छ और असुरक्षित वातावरण में शौच करना गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करता है और कभीकभी जानलेवा भी साबित होता है. रैकिट बैंकिजर ने भारत सरकार के ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के साथ गठबंधन किया है और अपने मिशन ‘बनेगा स्वच्छ भारत’ का शुभारंभ किया है. आरबी का उत्पाद हार्पिक ग्रामीण भारत के लोगों तक अपनी पहुंच बनाने में सफल हुआ है. इस उत्पाद के साथ हम ने लोगों को शौचालय का उपयोग करने और उसे साफ रखने के महत्त्व को समझाने में मदद की है.

ये भी पढ़ें- गंदी नजरों से बचना इतना दर्दनाक क्यों

बीते कुंभ मेले के दौरान लाखों भारतीयों के लिए चलायमान शौचालयों की व्यवस्था हम ने की और वहां नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से सफाई के महत्त्व को बताते हुए लोगों को हार्पिक पैकेट मुफ्त बांटे. अपनी इस पहल के जरीए हम ने लोगों को इस बात के लिए जागरूक किया कि शौचालय को अगले व्यक्ति के लिए साफ छोड़ना सामान्य शिष्टाचार और सम्मान का प्रतीक है.

‘हर घर स्वच्छ’ कैंपेन के जरीए हमारा हार्पिक ब्रैंड अब छोटे शहरों और गांवों तक अपनी पहुंच बना कर समाज के बड़े हिस्से को बुनियादी स्वच्छता और शौचालय के फायदे सिखा रहा है. उत्तर प्रदेश में यह काम एक मोबाइल टौयलेट वैन के माध्यम से उन क्षेत्रों में किया जा रहा है, जहां ग्रामीण आबादी अधिक है.

एक ओर हमने यह बड़ी चुनौती स्वीकार की है, वहीं हम ने ‘स्वच्छ भारत पैक’ लौंच किया है, जिस में अपने घर को स्वच्छ बनाने के प्रोडक्ट सिर्फ क्व5 में उपभोक्ताओं को उपलब्ध हैं. भारत का हर घर साफ और सुरक्षित हो, इस के प्रचारप्रसार के लिए हम ने फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार को अपना ब्रैंड ऐंबैसडर बनाया है, जो लोगों के पसंददीदा हीरो हैं.

सवाल- भारतीय महिलाओं में हाइजीन और होम केयर को ले कर क्या बदलाव देखने को मिल रहे हैं?

महिलाएं अपने आसपास के वातावरण में हो रहे बदलावों को देख कर न सिर्फ जागरूक हो रही हैं, बल्कि उन उत्पादों के प्रति आकर्षित भी हो रही हैं जो उन के जीने के तरीके को बेहतर बनाने के लिए, उन के बजट में बाजार में उपलब्ध हैं. अधिकांश शहरी महिलाओं के लिए तो अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की स्वच्छता, हाइजीन और घर की साफसफाई उन की आदत में शुमार है, मगर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने अभी इन बातों को अपनी प्राथमिकता नहीं बनाया है और यह इसलिए भी है, क्योंकि उन के पास पैसे हमेशा कम होते हैं.

हम ने यह भी देखा है कि मोबाइल फोन, स्मार्ट फोन, गूगल और अन्य खोज विकल्प महिलाओं के शौंपिंग बिहेवियर में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. अधिक शिक्षित और संपन्न परिवारों की महिलाएं अपने घर की साफसफाई के लिए अलगअलग क्लीनर के उपयोग के महत्त्व को समझती हैं और विभिन्न उत्पादों के उपयोग को ले कर उन के निर्णय उन की समझ को भी ये खोज विकल्प बदल रहे हैं. उन का परिवेश और सामाजिक दृष्टिकोण भी उन के और उन के घर की देखभाल, हाइजीन और स्वच्छता के व्यवहार को बदलता है. महिलाएं अन्य महिलाओं के खरीद पैटर्न और उन के व्यवहार को देख कर भी प्रभावित होती हैं. इस से चीजों के इस्तेमाल को ले कर उन का अपना व्यवहार बदलता है. वे नई चीज खरीदने और इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित होती हैं.

सवाल- महिलाओं और बच्चों की हाइजीन को ले कर चेतना जगाने की ओर आप क्या कदम उठा रही हैं?

‘वूमन हाइजीन’ एक ऐसा विषय है जिसे कई ब्रैंडों द्वारा संबोधित किया गया है और लगातार किया जा रहा है. मेरा मानना है कि ब्रैंड के द्वारा जागरूकता फैलाई जा सकती है, मगर परिवर्तन को जारी रखने की जिम्मेदारी महिलाओं पर है. हमारे अभियान उन महिलाओं पर केंद्रित हैं, जो परिवर्तन की पैरोकार हैं और समझती हैं कि घर में स्वास्थ्य और स्वच्छता बनाए रखना उन के परिवार की भलाई के लिए महत्त्वपूर्ण है.

2017 में हमारा ‘हार्पिक अभियान’ महिलाओं को खुले में शौच करने से रोकने और खुले में शौच से होने वाले नुकसान को ले कर महिलाओं को जागरूक करने की राह में पहला शिक्षा अभियान था. इस अभियान के दूसरे भाग में हम ने दर्शाया कि विवाह के बाद बहू को उस के घर में शौचालय मिलना उस का मूल अधिकार है. इस कैंपेन की पंच लाइन थी- ‘घर में साफ शौचालय जरूरी.’ यह कैंपेन ग्रामीण महिलाओं तक पहुंच बना कर शौचालय के महत्त्व को समझाने का हमारा अपना तरीका था. वैवाहिक विज्ञापनों में जिन परिवारों ने हमारे इस संदेश को अपने विज्ञापनों के साथ जगह दी, उन्हें हार्पिक की ओर से भुगतान भी किया गया. इस से हमारे संदेश और अभियान को आगे बढ़ने में बहुत मदद मिली.

ये भी पढ़ें- कामकाजी महिलाओं का बढ़ता रुतबा

आरबी इंडिया युवा पीढ़ी को स्वस्थ और स्वच्छ आदतों के बारे में जागरूक करने और पूरे भारत में स्वच्छता सुविधाओं में सुधार लाने के लिए सरकारी ऐजेंसियों, गैरसरकारी संगठनों और अन्य भागीदारों के साथ काम कर रहा है. बच्चे परिवर्तन के ध्वजवाहक और स्वच्छ भारत अभियान की कुंजी हैं.

सवाल- आम भारतीय गृहिणी स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति कितनी गंभीर दिखती है? क्या वह हाइजीन से जुड़े नएनए ब्रैंडेड प्रोडक्ट्स के प्रति आकर्षित हो रही हैं या फिर घरेलू चीजों से ही काम चलाना चाहती है?

शहरी महिलाओं की सोच काफी विकसित हुई है. वे स्वच्छता के महत्व को समझ रही हैं और स्वच्छता में विश्वास कर रही हैं. बाजार में जो विभिन्न उत्पाद उपलब्ध हैं, वे उन की विशेषताओं को जानने को उत्सुक दिखती हैं. उन की खरीदारी में कई फैक्टर्स काम करते हैं. वे बाजार में उपलब्ध नए प्रोडक्ट्स को इस्तेमाल कर के उन की खूबियों को जानने के प्रति उत्साहित हैं. अगर उत्पाद उन के बजट में है तो वे यह अनुभव प्राप्त करना चाहती हैं कि कौन सा उत्पाद उन की किन आवश्यकताओं को भलीभांति पूरा करता है.

दूसरी ओर ग्रामीण भारतीय महिलाओं के लिए खरीदारी का फैसला उन की सामर्थ्य पर निर्भर करता है. वे काफी हद तक अभी घरेलू उपचारों में ही विश्वास करती हैं. वे अभी ब्रैंडेड उत्पादों के लाभों को नहीं समझ रही हैं. मार्केट लीडर होने के नाते हम ज्यादा से ज्यादा महिलाओं तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि वे स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण के प्रभाव को समझें और उन उत्पादों को अपनाएं जो उन के घर और परिवार को स्वस्थ रखें.

सवाल- औनलाइन शौपिंग ने बिक्री को किस प्रकार प्रभावित किया है?

दुनिया में तेजी से बढ़ते ई कौमर्स बाजारों में से भारत भी एक हे. औनलाइन शौपिंग ने उपभोक्ताओं के लिए उत्पादों का बहुत बड़ा बाजार खोल दिया है और उन्हें उत्पादों के विकल्पों के बारे में भी अधिक जागरूक बना दिया है. औनलाइन शौपिंग ने हमें भी अपने ग्राहकों तक पहुंचने में व्यापक मदद की है. इस ने हमें और अधिक नया करने और अपने ग्राहकों को एक व्यापक उत्पाद शृंखला प्रदान करने के लिए प्रेरित किया है. हमें लगता है कि खरीदारी का यह तरीका न सिर्फ चीजों को और अधिक रोमांचक बना देगा, बल्कि आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित करेगा.

ये भी पढ़ें- भीड़ में अकेली होती औरत

क्या ग्रामीण क्षेत्रों की गृहिणियों के लिए भी आप के पास ऐसा कुछ है जो उन के बजट में हो और जिस के प्रति वे आकर्षित भी हों? आप के कौन से ऐसे उत्पाद हैं जो गामीण क्षेत्रों में भी खूब बिक रहे हैं?

पिछले साल हम ने ‘मेक इंडिया टौयलेट प्राउड’ नामक कैंपेन लौंच किया, जिस का उद्देश्य घर में उपयोग के लिए स्वच्छ शौचालय होने पर गर्व की भावना को बढ़ाना है. इस अभियान के तहत हम ने ग्रामीण भारत को ध्यान में रख कर मात्र क्व5 में ‘स्वच्छ भारत पैक’ लौंच किया है. पैकेजिंग पाथ इनोवेशन का यह तरीका उपभोक्ताओं को हार्पिक की बोतल उपलब्ध करा कर इस का अनुभव प्राप्त करने में सक्षम बनाता है. ऐसे ही हमारा मौर्टिन मौस्किटो कौइल है, जिसे भी हम ने ग्रामीण भारत की आय को देखते हुए उन के लिए बनाया है.

सवाल- वह क्या चीज है जो आप को इतना हार्ड वर्क करने के लिए प्रेरित करती है?

लोगों के  जीवन में बदलाव लाने और अपनी एक बेहतर जगह बनाने के लिए मैं जनून की हद तक प्रतिबद्ध हूं. मेरे कार्यों के कारण अगर जमीनी स्तर पर सामुदायिक परिवर्तन आता है तो इस परिवर्तन का हिस्सा बन कर मुझे खुशी होगी. यह मेरे लिए गर्व का विषय है और बेहद प्रेरणादायक है. ये पांच मूल्य आरबी को एक बड़ा और्गनाइजेशन बनाने में सहयोगी हैं- जिम्मेदारी, स्वामित्व, उद्यमिता, उपलब्धि और साझेदारी.

उन महिलाओं के लिए आप का क्या संदेश है जो पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के बाद एक बार फिर अपने काम से जुड़ना चाहती हैं?

एक महिला होने के नाते मैं जानती हूं कि अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाने के लिए महिलाएं ही अपने कैरियर से समझौता करती हैं और ब्रेक लेती हैं. हम हमेशा महिलाओं को अपने घर और कैरियर में संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं और उन्हें पूरा अवसर देते हैं कि वे दोनों मोरचों पर अपने कर्तव्यों को निभा सकें.

2015 में हम ने एक आंतरिक अभियान चलाया था- ‘डेयर’. इस कार्यक्रम का लक्ष्य था कि हम प्रतिभाशाली महिलाओं को ढूंढ़े, उन के टेलैंट को उभारें, उन का आरबी की ओर आकर्षण डैवलप करें और उन्हें अपने साथ संलग्न करें. हमारे पास ऐसे और भी कई कार्यक्रम हैं, जो उन महिलाओं को फिर से कैरियर शुरू करने में मदद करते हैं, जिन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए नौकरी से ब्रेक लिया. मैं महिलाओं से कहती हूं कि अपनेआप पर विश्वास करो और अपने सपनों का पीछा करो. यदि आप जानती हैं कि आप इसे कर सकती हैं, तो इस का मतलब है कि आप कर सकती हैं और आप को बाधाओं की परवाह किए बगैर आगे बढ़ना चाहिए.

ये भी पढ़ें- बागपत के बागी

सवाल- कार्यस्थल में जातीय और लैंगिक समानता के मामले में भारतीय कंपनियों के मुकाबले बहुराष्ट्रीय कंपनियों को काम के लिहाज से बहुत बेहतर माना जाता है. मगर भारत में जो बहुराष्ट्रीय कंपनियां है, उन्हें अपने यहां काम करने वालों के लिए और अधिक निष्पक्षता व समानता सुनिश्चित करने के लिए अभी कितनी दूरी तय करनी है?

आरबी लैंगिक समानता के लिए ‘संयुक्त राष्ट्र सतत विकास’ को फौलो करता है और भारत में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. आरबी ने लैंगिक विविधता से संबंधित किसी भी बाधा को तोड़ने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं. ‘डेयर’ जैसी हमारी परियोजना ने महिलाओं से से जुड़े पूर्वाग्रहों को दूर करने में मदद की है. एक और परियोजना है ‘लीन इन सर्कल’, जिस के तहत महिलाएं अपने सर्कल में आने वाली कमजोर महिलाओं को सपोर्ट करती हैं और उन्हें समर्थन देते हुए उन के कैरियर को मजबूत करने में मदद करती हैं. महिलाओं को और अधिक समावेशी महसूस कराने के लिए ‘ही डेयर्स, शी डेयर्स’ कार्यक्रम है, जिस के तहत आयोजित कार्यक्रमों के अंतर्गत महिलाओं को अपने विचार व्यक्त करने का समान अवसर दिया जाता है.

सवाल- सामाजिक बदलाव लाने में बड़ी कंपनियों की क्या भूमिका देखती हैं? क्या वे सिर्फ अपना लाभ हासिल करने के लिए काम करती हैं या उन के कुछ सामाजिक सरोकार भी हैं?

आरबी ने हमेशा उद्देश्य के साथ व्यवसाय चलाने में विश्वास किया है. जब हम एक व्यवसाय में होते हैं तो हमें यह भी एहसास होता है कि हम सामाजिक परिवर्तन लाने में एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. एक विकासशील देश में होने से हमें व्यवहार, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों पर प्रभाव बनाने का मौका मिलता है. यह 360 डिग्री अप्रोच का मामला है, जिस में हम अपने उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और स्वच्छता में सुधार लाने, अपने स्टेकहोल्डरों का हित देखने के साथ ही अपनी भविष्य की पीढि़यों के लिए भी बेहतर वातावरण तैयार करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं.

ये भी पढ़ें- नौकरी के पीछे युवा फौज

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें