Aalisha Panwar: हिमाचल प्रदेश के शिमला में जन्मीं व पलीबड़ी खूबसूरत अलिशा पनवार ने अभिनय कैरियर की शुरुआत 2012 में फिल्म ‘अक्कड़ बक्कड़ बंबे बो’ से की थी. साल 2015 में शो ‘बेगूसराय’ में नजमा की भूमिका में पहली बार अभिनय की शुरुआत की. इस के बाद उन्होंने ‘थपकी प्यार की’, ‘इश्क में मरजावां’ आदि कई धारावाहिकों और शौर्ट फिल्मों में काम किया है.

उन की मां अनीता पनवार स्कूल की शिक्षिका हैं और पिता दिनेश पनवार पेशे से वकील हैं. अलिशा को बचपन से ही अभिनय की इच्छा थी और उन के मातापिता ने हमेशा उन्हें मनमुताबिक काम करने की आजादी दी.

इन दिनों अलिशा ओटीटी हंगामा पर मिनी वैब सीरीज ‘विन्नी की किताब’ में विन्नी की मुख्य भूमिका निभा रही हैं. वे अपनी भूमिका को ले कर काफी उत्साहित हैं क्योंकि इंडस्ट्री में 10 साल पूरे होने बाद यह उन की पहली हिंदी वैब सीरीज है. उन्होंने खास गृहशोभा के साथ बात की. पेश हैं, कुछ खास अंश.

एक इमोशनल जर्नी

‘विन्नी की किताब’ शो को करने के बारे में अलिशा का कहना है कि यह एक मिनी वैब सीरीज है, जिस में मैं विन्नी की भूमिका निभा रही हूं, जो एक राइटर है. उस के दिमाग की सोच और फैंटेसी से जुड़ी हुई कहानी वह लिखती जाती है, जो हर लड़की की एक इमेजिनरी सोच होती है. यह बहुत ही खूबसूरत स्टोरी है, जिस से सारे दर्शक रिलेट कर सकते हैं. देखा गया है कि लड़कियों का लव लाइफ या लव औफर लाइफ को ले कर कई सारे ड्रीम्स होते हैं, जिस में प्यार के बाद शादी कर साथ रहने की होती है, लेकिन कैसे वह एक रोमांटिक लाइफ से घरेलू हाउसवाइफ बन कर सब हैंडल करती है, इन सब के बीच में रोमांस गायब हो जाता है और जिम्मेदारी आ जाती है.

ऐसे में उसे निभाना कितना मुश्किल होता है, उस के सपनों पर किस तरह पानी फिर जाता है वगैरह कई बातों को दिखाने की कोशिश की गई है, जिसे लोग पसंद कर रहे हैं. असल में यह एक लड़की की इमोशनल जर्नी के बारे में है, जो आज की काफी लड़कियां फेस कर रही हैं.

इस भूमिका से अलिशा खुद को अधिक रिलेट नहीं कर पातीं. वे कहती हैं कि मैं केवल विन्नी की मासूमियत से खुद को रिलेट कर सकती हूं क्योंकि मैं भी एक मासूम लड़की हूं.

मिली प्रेरणा

अलिशा कहती हैं कि मुझे बचपन से ही ऐक्टिंग का शौक था. मैं 5 साल की उम्र से ही टीवी देख कर मां से ऐक्टिंग करने की बात कहती रहती थी. दिमाग में था कि मैं एक सुपर स्टार बनूं, लोग मुझे जानें. एक किड की तरह मेरी फैंटेसी रही, जिस की वजह से मैं यहां तक पहुंच पाई.

बचपन से था शौक

अलिशा कहती हैं कि मैं ने बचपन से ही सोच लिया था कि मैं ऐक्टिंग करूंगी और मेरा विजन बहुत क्लीयर था. मेरे पेरैंट्स ने भी बहुत सहयोग दिया. शुरू में मुझे छोटेछोटे जो भी रोल मिलते थे, मैं करती गई, क्योंकि मैं शिमला एक छोटी सी जगह से हूं, जहां मुझे बहुत अधिक मौका इस फील्ड में नहीं मिल सकता था. छोटेछोटे औडिशंस होते रहते थे. मैं हर जगह चली जाती थी. मुझे याद है कि मैं ने 15 साल की उम्र में शिमला क्वीन का खिताब जीता था. मैं ने 12 साल की उम्र में पहली बार एक डांस रिएलिटी शो के लिए कैमरा फेस किया था. उस की शूट के लिए मैं चंडीगढ़ गई थी. मैं उस समय महज 7वीं कक्षा में पढ़ रही थी. मेरे पेरैंट्स ने उस समय मेरा बहुत साथ दिया है. तब मैं ने पहली बार खुद को टीवी पर देखा था, उस के बाद से आगे बढ़ने का सिलसिला जारी रहा.

शिमला से मुंबई का सफर

जब मैं कालेज की प्रथम वर्ष में पढ़ रही थी, मैं ने सुना कि एक नए चैनल का लौंच हो रहा है और उस के किसी शो के लिए औडिशन शिमला में हो रहा है, जिस में एक मुसलिम लड़की की चरित्र के लिए औडिशन हो रहा था. मैं ने अपनी मां से इसे बताई, तो वे मुझे वहां ले कर भी गईं, तब मुझे औडिशन की एबीसी तक नहीं आती थी. मुझे स्क्रिप्ट दिया गया और मैं ने उसे ऐसे ही पढ़ दिया. तब मेकअप भी मुझे करना नहीं आता था. मैं एक लिपबाम और काजल लगा कर औडिशन के लिए चली गई थी, लेकिन उन्होंने मुझे चुन लिया, पर बाद में कई बार मैं चंडीगढ़ लुक टेस्ट के लिए गई. शो का नाम ‘बेगूसराय’ था.

इस के बाद मुझे मुंबई बुलाया गया. मुझे कालेज छोड़ना पड़ा, लेकिन मैं ने अपनी पढ़ाई डिस्टैंस से ही पूरा किया. मेरे पिता मुझे मुंबई छोड़ने आए थे. मैं यहां कई लड़कियों के साथ शेयरिंग में रहने लगी थी. मैं पहली बार मुंबई आई थी और मुझे मालाड से भयंदर जा कर शूटिंग करनी पड़ती थी. मैं इस शहर से बिलकुल अनजान थी, ऐसे में पिता ने मुझे सेट पर पहुंचने की सारी जानकारी जुटा दी थी, जिस से मेरा काम करना आसान हुआ. इस तरह से मेरी ऐक्टिंग की जर्नी शुरू हो गई.

मुंबई बङा शहर है, ऐसे में किसी छोटे शहर से बड़े शहर में आ कर रहना मेरे लिए आसान नहीं था. मगर धीरेधीरे मैं ने सबकुछ सीखा है.

परिवार का सहयोग

अलिशा ने जब पहली बार जब पिता को मुंबई जा कर ऐक्टिंग करने की बात कही, तो वे शौक्ड हो गए थे क्योंकि मुंबई में उन का कोई नहीं था, लेकिन उन्होंने उन का मजाक नहीं बनाया, बल्कि सीरियसली लिया और हां कर दी. इस से अलिशा के अंदर एक विश्वास पैदा हुआ और वे आगे बढ़ पाईं.

रहा संघर्ष  

अलिशा को पहला शो आसानी से मिला था, लेकिन वह शो 1 साल में बंद हो गया. इस के बाद वे आगे क्या करेंगी, सोचना कठिन रहा क्योंकि वे किसी प्रोडक्शन हाउस या कोऔर्डिनेटर को जानती नहीं थीं.

अलिशा कहती हैं कि मुझे इस बात का भी डर था कि मैं एक छोटे शहर से हूं और एकदम अनजान शहर में किसी गलत इंसान से न टकरा जाऊं. लेकिन संयोग से सभी सही लोग मुझ से मिले, जिन्होंने मुझे सही गाइड किया और मुझे काम मिलता गया. मुझे याद है कि जब मैं एक दिन पूरी तैयार हो कर गरमी में औटो रिक्शा में बैठ कर एक जगह से दूसरे जगह 4 औडिशन देने गई, जहां लंबी कतार में 2 से 3 घंटे खड़ी हो कर औडिशन दिया. इन सब चीजों को मैं अभी भी याद करती हूं.

पहली शो के बाद मैं ने ‘जमाई राजा सीजन 2’ में पैरेलल लीड किया, इस के बाद एक शो में बहन, दोस्त आदि भूमिकाएं निभाते हुए आगे बढ़ी और ‘इश्क में मरजावा सीजन 1’ में मैं ने मुख्य भूमिका निभाई. मैं ने अपनी छोटीछोटी भूमिका को ले कर कभी शर्म महसूस नहीं किया, बल्कि अभिनय की बारीकियों को बेस लेवल से जाना है क्योंकि मैं ने अभिनय की तालिम नहीं ली है और इन सभी भूमिकाओं ने मुझे लीड के लिए परिपक्व बनाया है.

अलिशा ने केवल सकारात्मक ही नहीं नकारात्मक भूमिका भी निभाई है. वे कहती हैं कि मुझे दोनों तरह की भूमिकाओं को करने में मजा आता है. मैं ने दोनों में लीड भूमिका निभाई है, दोनों के अलगअलग शेड्स हैं, जिसे करना मेरे लिए अच्छी बात रही है.

ऐक्स्ट्रा बोल्ड सीन

वे कहती हैं कि पहले भी मुझे कई वैब सीरीज के औफर्स मिले हैं, लेकिन तब मैं ने उस में बोल्ड कंटेंट की वजह से अस्वीकार किया है क्योंकि मैं इन दृश्यों के साथ अधिक कंफर्ट फील नहीं करती, लेकिन इस वैब सीरीज में मेरे हिसाब से सीन्स हैं, जिस में मैं कंफर्ट फील कर रही हूं.

मेरी ड्रीम है कि मैं फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली के साथ किसी भी फिल्म या वैब सीरीज में काम करूं. मैं जानती हूं कि ऐक्स्ट्रा बोल्ड सीन्स से मुझे परहेज है, लेकिन उम्मीद है कि कुछ ऐसा अवश्य बनेगा, जिस में मैं काम कर पाऊंगी.

सपनों का राजकुमार

खूबसूरत अलिशा सिंगल हैं क्योंकि अभी कोई लाइफ पार्टनर उन्हें नहीं मिला है, लेकिन अगर मिला, तो इन 5 चीजों पर अवश्य गौर करेंगी- सच्चा प्यार, रिस्पेक्ट, ट्रस्ट, समझदारी और पारदर्शिता, जिसे लड़के में भी होना जरूरी है.

Aalisha Panwar

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