बाल हठ और बाल प्रेम की इस कहानी के केंद्र में हैं-आठ वर्ष का बालक हेमू (करण दवे) और युवा लड़की निम्मो( अंजली पाटिल). आठ वर्षीय बालक हेमू को निम्मो से प्यार हो जाता है. कहानी जबलपुर, मध्यप्रदेश के एक गांव की है. इस गांव के लोग आपस में एक परिवार की तरह रहते हैं. हेमू के पिता नहीं है. उसकी मां काम करती है.

गांव के एक अन्य परिवार की लड़की निम्मो, हेमू की देखभाल करती है. हेमू जब स्कूल से आता है, तो उसे स्नान कराकर उसे खाना खिलाने का काम निम्मो ही करती है. हेमू भी निम्मो के साथ हर जगह जाता है. निम्मो अकेले कहीं नहीं जाती. हेमू चित्रकारी करने में माहिर है. निम्मो की बहनों को भी जब स्कूल के किसी प्रोजेक्ट के लिए चित्रकारी करवानी होती है, तो वह हेमू को ही पकड़ती है. एक दिन निम्मो की शादी तय हो जाती है, तो हेमू का एक दोस्त उससे कहता है कि निम्मो उससे बहुत प्यार करती है, मगर वह हेमू से ‘वह’ वाला प्यार नहीं करती. क्योंकि हेमू, निम्मो से बहुत छोटा है. इसीलिए निम्मो शादी करके इस गांव से जाने वाली है.

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उसके बाद हेमू एक बदलाव आने लगता है. वह जब भी निम्मो के पास होता है, तो कुछ अलग कल्पना करने लगता है. धीरे धीरे हेमू, निम्मो से प्यार करने लगता है. हेमू पर ‘बड़ा’ होने का भूत सवार होता है. यहां तक कि सगाई के वक्त जब निम्मो के पति को बेड़ाघाट घुमाने हेमू ले जाता है, तो वह निम्मो के होने वाले पति से कह देता है कि निम्मो से उसकी शादी नहीं हो पाएगी. उसके बाद जब निम्मो मंदिर पूजा करने जाती है, तो हेमू भी साथ में जाता है और चाहता है कि निम्मो की शादी टूट जाए.

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