अभिनेता जॉन कोककेन मुंबई के एक मध्यमवर्गीय परिवार से हैं, उन्होंने मुख्य रूप से साउथ की फिल्मों में अधिक काम किया है. जॉन ने अपने पिता जॉन जोसेफ कोककेन को सम्मान देने के लिए अपना स्क्रीन नाम, जॉन कोककेन रखा है, जबकि उनका असली नाम अनीश जॉन कोककेन है. उनके इस फ़िल्मी कैरियर में पिता जॉन जोसेफ कोककेन और मां थ्रेसिअम्मा जॉन कोककेन का बहुत श्रेय वे मानते हैं. उनके पिता कॉलेज के सेवानिवृत्त उप-प्रिंसिपल हैं, जबकि उनकी मां ने 13 साल मिडल ईस्ट में मैट्रन के रूप में काम किया हैऔर अब रिटायर्ड है. जॉन ने होटल मैनजमेंट की पढ़ाई की है, लेकिन उनका मन हमेशा एक्टिंग की ओर लगा रहा. पढ़ाई पूरी कर जॉन ने होटल में 2 साल तक काम भी किया है.

अभिनय में आने से पहले उन्होंने एक एड में काम किया,जो एक नामचीन होटल की ब्रोशर के लिए था, जिससे उनकी थोड़ी पहचान बनी. साल 2005 में उन्होंने ग्लैडराग्स मैनहंट एंड मेगा मॉडल कांटेस्ट में भाग लिए, जिससे वे कई निर्देशकों के नजर में आये और कई विज्ञापनों में काम करने का मौका मिला. इसके बाद उन्हें दक्षिण की कई फिल्मों में विलेन की भूमिका निभाने का अवसर मिला, उन्होंने दक्षिण की तमिल, तेलगू, कन्नड़,मलयालम सभी भाषाओं में फिल्में की है. काम के दौरान उनकी मुलाकात साउथ की अभिनेत्री मीरा वासुदेवन के साथ हुई थी,जिससे उन्होंने शादी की और एक बेटे का पिता बनने के बाद आपसी अनबन की वजह से 4 साल बाद तलाक लिया और बाद मेंअभिनेत्री पूजा रामचंद्रन से शादी की और अब 7 महीने के बेटे के पिता है.डिजनी प्लस हॉटस्टार पर उनकी पहली वेब सीरीज फ्री लांसर काफी पौपुलर हो चुकी है,जिससे वे बहुत खुश है. उन्होंने खास गृहशोभा के लिए ज़ूम पर बात की, जहां उन्होंने अपनी जर्नी से जुड़े सभी पहलूओं पर चर्चा की, आइये जाने उनकी कहानी उनकी जुबानी.

रही चुनौती

फ्रीलांसर उनकी डेब्यू वेब सीरीज है, जिसमे उन्होंने एक कौप की भूमिका निभाई है. उनके इस नए अवतार में एक्टिंग करने के अनुभव के बारें में पूछने पर उनका कहना है कि इसमें मैंने एक इंटेलिजेंस ब्यूरो ऑफिसर राघवेन्द्र सेतु का रहा, जो बहुत कठिन होने के साथ-साथ मेरे लिए कठिन भी था. बहुत चुनौतीपूर्ण भूमिका रही है, लेकिन मुझे खुशी इस बात से रही है कि मैं इसमें पहली बार एक पौजिटिव भूमिका निभा रही हूं और किसी डायरेक्टर ने पहली बार मेरे बारें में ऐसा चरित्र सोचा है, क्योंकि इससे पहले मैंने हमेशा विलेन की ही भूमिका निभाई है. मैंने अभिनेता के के मेनन को इस भूमिका के लिए फोलो किया है, उनके स्टाइल , संवाद बोलने के तरीके और एटीट्यूडको मैंने कौपी किया है. इसके अलावा मैं मुंबई से हूं और हिंदी बोलना जानता हूँ.

मिली नई भूमिका

अपने इस नए किरदार को करते हुए जॉन को बहुत अच्छा लगा है. अपने अनुभव के बारें में वे कहते है कि हर फिल्म में विलेन को हीरो से मार खाना पड़ता है, हीरो या तो हाथ काट देता है या गोली मार देता है, लेकिन इसमें ऐसा नहीं है. पहली बार किसी डायरेक्टर ने हटकर मेरे बारें में सोचा है,यही बदलाव मेरे अकार या शरीर को न देखकर एक अलग नजरिये से देखा है. मुझे बहुत अधिक ख़ुशी है, मैं निर्देशक नीरज पाण्डेय को दिल से धन्यवाद् देना चाहता हूं.

किये संघर्ष

मैं साधारण मध्यम वर्गीय परिवार से सम्बन्ध रखता हूँ,जिस दिन मैंने अपने पिता को एक्टिंग की बात कही थी, उन्होंने सीधा कह दिया था कि ‘ये सब अमीरों के शौक है,तुम ये सब शौक न पालो, तुम चुपचाप नौकरी करों.’तब मैंने होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी कर 2 साल तक होटल की नौकरी कर रहा था. काम के दौरान मेरे कद – काठी को देखकर मुझे मौडलिंग के ऑफर आते रहे, इससे मैंने मन में सोचा कि मुझे इस ओर भी थोड़ा फोकस करने की जरुरत है और मैंने मॉडलिंग शुरू की. मॉडलिंग से मुझे लोगों ने जाना और दक्षिण की कई फिल्मों में ऑफर आने लगे. मैंने अभिनय शुरू किया. मेरे परिवार में कभी कोई इंडस्ट्री से नहीं था. मैंने मेहनत और धीरज से अपना रास्ता तय किया है.

जो मिला करता गया

क्या आपने शुरू में हीरों बनने की बात नहीं सोची थी, क्योंकि आज तो हीरों भी विलेन की भूमिका निभाते है? मुझे ख़ुशी है कि आज के हीरों भी विलेन की भूमिका निभाते है, लेकिन जब मैंने शुरू किया था, तब इतना बदलाव इंडस्ट्री में नहीं था. मैने कोई हीरों या विलेन बनने का कोई प्लान नहीं किया था, पहला ऑफर विलेन का ही मेरे पास आया था, इसके बाद सारे ऑफर विलेन के ही आने लगे और मैं करता गया.

रियल लाइफ में जॉन

आपने विलेन की भूमिका निभाई है, लेकिन रियल लाइफ में विलेन से हीरों कैसे बन गए ? पूछने पर हंसते हुए जॉन कहते है कि मेरी पत्नी पूजा को मेरे किसी भी विलेन वाली फिल्म को नहीं देखती, क्योंकि उसे फिल्मों में मार खाना,स्क्रीन पर मर जाना बिल्कुल भी पसंद नहीं है. हमारी मुलाकात एक जिम में हुई थी, जहां हमारी पसंद, नापसंद सब धीरे-धीरे मैच होते गए, फिर हम दोनों ने साथ रहने का निर्णय लिया और शादी की. अभी मैं एक बेटे का पिता भी हूँ.

पसंद नई भूमिका

जॉन को आगे अधिक से अधिक हिंदी फिल्मों में अलग-अलग भूमिका निभाने का ड्रीम है. वे कहते है कि मैं एक कलाकार हूँ और हर चुनौतीपूर्ण भूमिका निभाना चाहता हूं. जब से मैं अभिनय के क्षेत्र में गया हूं,हिंदी फिल्मों में अभिनय की इच्छा है, क्योंकि मैं मुंबई में पला और बड़ा हुआ हूँ और मुंबई हमेशा मेरी पहली पसंद रही है.

अंदाज है अलग

साउथ की फिल्में और हिंदी फिल्मों की एक्टिंग में अंतर के बारें में जॉन बताते है कि साउथ की फिल्में बहुत लाउड होती है, एक विलेन के पीछे 50 गाड़ियाँ आती है,100 गुंडे खड़े रहते है, जबकि हिंदी सिनेमा थोड़ी रीयलिस्टिक और थमी हुई होती है. दोनों का अंदाज अलग है.

विलेन है पसंद

जॉन ने विलेन की भूमिका से शुरू कर अब एक रोमांटिक साउथ फिल्म कर रहे हैं, जिसके डायरेक्टर कृतिका उदयनिधि है. हिंदी फिल्मों में नीरज पाण्डेय,संजय गुप्ता, साजिद नाडियाडवाला, रोहित शेट्टी, जोया अख्तर, रीमा आदि डायरेक्टर के साथ जॉन काम करने की इच्छा रखते हैं. फिल्मों में बढ़ते वायलेंस के बारें में जॉन कहते है कि आज फिल्मों तकनीक का अधिक प्रयोग होता है, समय के साथ सबको चलना पड़ता है. इसकेअलावा पहले के दर्शक हीरो, जो अच्छे काम करते थे, उन्हें पसंद करते थे. आज के दर्शक को हीरो होनेके साथ-साथ, जो विलेन जैसा काम करता हो,पसंद आता है. दर्शकों की पसंद बदल चुकी है, लेकिन अंत में फिल्मों में मनोरंजन पहले भी था, अभी भी है और आगे भी रहेगा. जब तक दर्शकों का मनोरंजन हो रहा है, वह चलेगा.

संभालना पड़ता है खुद को

विलेन की भूमिका निभाने की वजह सेजॉन को कई बार असहजता का भी सामना करना पड़ता है. जब वे बाहर निकलते हैं, तो लोग उन्हें देखकर कानाफूसी करते है,कुछ लोग डर कर सामने आकर बात करते है. स्क्रीन की इमेज का सामना हमेशा करना पड़ता है. हीरो और विलेन साथ जाने पर लोग हीरो से ही बात करते है, साथ में पिक्चर खिचवाते है,वो मेरे साथ नहीं हो सकता.

हूं इन्ट्रोवर्ट

अपने बारें में जॉन कहते हैं कि मैं रियल लाइफ में शांत रहने वाला व्यक्ति हूं, अधिक पार्टी पसंद नहीं करता, शूट नहीं करने पर मैं परिवार के साथ समय बिताना, ट्रेवल करना, जिम जाना, योगा आदि करता हूँ. मैं इंत्रोवर्ट किस्म का व्यक्ति हूँ.

न करें वेस्ट

इस साल मेरी सोच यह है कि आने वाले प्रोजेक्ट में सभी को अच्छा काम मिले, क्योंकि किसी एक भूमिका को किसी एक कलाकार को जब मिलता है, तो दूसरे का काम जाता है. मैं किसी भी नए कलाकार को अभिनय के लिए सही कास्टिंग डायरेक्टर या डायरेक्टर से हमेशा मिलवाने की कोशिश इस साल भी पहले की तरह करता रहूँगा. पर्यावरण की सुरक्षा मैने शुरू कर दी है,प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करता,पानी वेस्ट नहीं करता, जरुरत पड़ने पर गाड़ी निकालता हूँ. मैं सभी से कहना चाहता हूँ कि पानी, बिजली या प्लास्टिक हो, किसी भी चीज को वेस्ट न करें, जितना जरुरत हो उतना ही उपयोग करें, क्योंकि ये सभी चीजे बहुमूल्य है,बहुत कम को इसका लाभ मिल पाता है.

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