Emraan Hashmi : किसी ने सच ही कहा है कल क्या होगा किसको पता अभी जिंदगी का ले लो मजा, आज के हालात कुछ ऐसे ही है जहां पर कोई भी कहीं भी सुरक्षित नहीं है. 22 अप्रैल2025 को आतंकवादियों द्वारा कश्मीर में घूमने आए कई शहरों के भारतीयों के साथ आतंकवादियों द्वारा जो नरसंहार हुआ वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था. अगर फिल्मी कहानी की बात करें तो ऐसा ही कुछ 25 अप्रैल को रिलीज हुई फिल्म ग्राउंड ज़ीरो की कहानी भी कुछ ऐसी ही कहानी कहती है जो कश्मीर में रहने वाले और वहां छिपे आतंकवादी की कहानी को दर्शाती है.

कश्मीर में आतंकवाद की दहशत काफी समय से चली आ रही है और इसी विषय पर कई फिल्में भी बनी है लेकिन इमरान हाशमी अभिनीत ग्राउंड जीरो की कहानी के अलावा फिल्म की मेकिंग डायरेक्शन और कलाकारों का अभिनय फिर को बेहतर बनाने के लिए मुख्य भूमिका निभाता है. चुंबन बौय की इमेज से ग्रस्त प्रभावशाली एक्टर इमरान हाशमी को फिर मैं अपनी कला और अभिनय दिखाने का पूरा मौका मिला है. इमरान ने अपने किरदार के साथ पूरी तरह न्याय किया है. ऐसा लगा जैसे वह कमांडर नरेंद्र नाथ धर दुबे के किरदार को इस फिल्म में चरितार्थ करने में बेहद सुकून महसूस कर रहे है. शायद इसीलिए इमरान हाशमी कमांडर के रोल में हर सीन में नेचुरल नजर आए हैं.

ग्राउंड जीरो में भारतीय सेना के एक मिशन की असली कहानी को दिखाया गया है. जिसमें गाजी बाबा नाम के आतंकी को पकड़ने के लिए मिलिट्री कमांडोज की बहादुरी, देशभक्ति, आतंकवादियों को मुंह तोड़ जवाब देकर खुद भी शहीद होने की कहानी को बहुत ही निडरता और खूबसूरती से पेश किया गया है.
2001 के संसद हमले के मास्टर माइंड गाजी बाबा को मौत के घाट उतारने में भारत के सीमा सुरक्षा बल बीएसएफ के महत्वपूर्ण औपरेशन की सच्ची कहानी को दर्शाती है. 2003 में बीएसएफ के एक सीनियर ऑफिसर नरेंद्र नाथ धर दुबे के नेतृत्व में एक सटीक और जोखिम वाला ऑपरेशन अंजाम दिया गया जिसमें गाजी बाबा का खत्मा किया गया.

एक्सेल इंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी फिल्म ग्राउंड जीरो में इमरान हाशमी बीएसएफ कमांडर नरेंद्र नाथ धर दुबे के किरदार में नजर आए है, जिनके जीवन पर आधारित इस फिल्म की कहानी केंद्रित है. सई ताम्हणकर इमरान हाशमी की पत्नी के रूप में नजर आई है जबकि जोया हुसैन और रजत कपूर अन्य कमांडर की भूमिका में है. फिल्म की कहानी के मुताबिक सभी ने अपने किरदार के साथ पूरी तरह न्याय किया है. कई सालों से भारत में कश्मीर, आतंकवाद ,पाकिस्तान, जिहाद, पैसों का लालच देकर नवयुवकों को आतंकवादी बनाना और उनसे जघन्य अपराध कराने का सिलसिला बरसों से चला आ रहा है.

ना असल जिंदगी में यह खत्म हो रहा है और ना ही इस पर फिल्में बननी बंद हो रही है. ग्राउंड जीरो की कहानी भी बीएसएफ के कमांडर और आतंकवाद पर केंद्रित है. लेकिन इस फिल्म की खासियत यह है कि यह सच्ची घटना पर आधारित है और फिल्म के डायरेक्टर तेजस प्रभा विजय देओस्कर जो कि मराठी फिल्मों के प्रसिद्ध डायरेक्टर हैं और हिंदी में यह उनकी पहली फिल्म है, उन्होंने फिल्म के हर सीन में बारीकी से काम किया है  और फिल्म की स्क्रिप्ट पर भी कड़ी मेहनत की है. जिसके चलते पूरी फिल्म दर्शकों को बांधे रखती है. फिल्म में कई सारे ऐसे सीन हैं, जो आक्रमक भावुक करने वाले दिल दहलाने वाले सीन है. डायरेक्टर ने फिल्म को पूरी तरह से बांधे रखा है, बस फिल्म की लंबाई थोड़ी लंबी हो गई. आज के नाजुक माहौल में ग्राउंड जीरो का प्रदर्शन, इमरान हाशमी का सशक्त अभिनय, और डायरेक्टर की बेहतरीन मेकिंग दर्शकों को सिनेमा घर तक खींचने में कामयाब रहेगी.

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