Guddu Dhanoa : ‘बिच्छू’ और ‘जिद्दी’ फिल्म से सफलता पाने वाले लेखक, निर्माता निर्देशक गुड्डू धनोवा का शुरुआती दौर काफी संघर्ष पूर्ण रहा, लेकिन उन्होंने मेहनत, धीरज और लगन से फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई, उनकी ऐक्शन फिल्में हमेशा ही दर्शकों की पसंद रही है, जिसमें उन्होंने हमेशा नए स्टारकास्ट को प्रमुखता दी है, जिसमें शाहरुख खान को फिल्म दीवाना में लौन्च किया, जो उनकी पहली फिल्म थी. जबकि दिलजीत दोसांझ को फिल्म द लौयन औफ पंजाब में लौन्च किया. आज भी उन्होंने अभिनेत्री पलक तिवारी को ‘रोमियो एस 3’ में परिचय करवाया है. जिसमें दर्शक उनके काम की काफी सराहना कर रहे है. वह बौलीवुड फिल्म स्टार धर्मेंद्र के चचेरे भाई हैं.
उनकी फिल्म ‘रोमियो एस 3’ रिलीज हो चुकी है, जो एक ऐक्शन ड्रामा फिल्म है, जिसे दर्शक पसंद कर रहे है. उन्होंने खास गृहशोभा से अपनी जर्नी और इंडस्ट्री की उतारचढ़ाव के बारें में बात की पेश है कुछ खास अंश.
ऐक्शन फिल्में बनाना पसंद
निर्देशक गुड्डू को हमेशा ऐक्शन वाले मनोरंजन से भरपूर एक्शन फिल्में बनाना पसंद करते है, इसलिए उन्होंने देर से ही सही लेकिन एक अच्छी फिल्म से दर्शकों को परिचित करवाया है. वे कहते है कि मैं कई सालों से एक अच्छी थ्रिलर ऐक्शन फिल्म बनाने के बारें में सोच रहा था, क्योंकि हर फिल्म की एक समय होती है, जब उसे बनना पड़ता है और यही इस फिल्म के साथ भी हुआ है. निर्माता जयंतीलाल गाडा का ये सपना था कि वे अभिनेता ठाकुर अनूप सिंह को हिन्दी फिल्म में लौन्च करेंगे, उन्होंने इस फिल्म की योजना बनाई, ऐसे में मेरे फ्रेंड दीपक शर्मा ने जब इसकी कहानी सुनी, तो उन्होंने मेरा नाम सुझाया और मुझे बुलाया गया. इसकी कहानी नई और अच्छी लगी, क्योंकि मैं काफी समय से ऐसी कहानी ढूंढ रह था, जिसमें एक्शन के साथसाथ मनोरंजन भी हो. इस फिल्म में रोमियो एक औपरेशन है, जिसे हीरो अंजाम तक पहुंचाता है.
नए कलाकारों के साथ काम करना है पसंद
आपने अभिनेत्री पलक तिवारी के साथ अभी काम किया है, नई जेनरेशन के साथ काम करना क्या आसान होता है या मुश्किल?
गुड्डू कहते है कि मैंने हमेशा नए कलाकार के साथ काम किया है, मेरी पहली पिक्चर जिसे मैंने प्रोड्यूस किया था, उसमें मैंने अभिनेता गोविंदा और अभिनेत्री किमी काटकर नएनए थे, इसके बाद डेविड धवन की फिल्म गोला बारूद थी, उसमें चंकी पांडे नया था, फिल्म दीवाना में अभिनेता शाहरुख खान और अभिनेत्री दिव्या भारती बिल्कुल नए थे, इसके बाद अभिनेता अक्षय कुमार के साथ फिल्म एलान किया, वे भी उस समय नए थे.
फिल्म गुंडाराज में अजय देवगन नया था. इस तरह से मेरे जिंदगी में जो बड़ा स्टार आया वे सनी देओल थे, जिनके साथ मैंने फिल्म जिद्दी बनाई. इस तरह मेरा अनुभव हमेशा नए लोगों के साथ काम करने का रहा है और नए लोगों के साथ काम करने और सिखाने में बहुत मज़ा आता है. अगर ये सीखे हुए है तो काम करना और भी अधिक आसान होता है. पलक तिवारी भी नई है, लेकिन बहुत अच्छी सीखी हुई वन टेक आर्टिस्ट है. इसके अभिनेता अनूप सिंह राठौर भी अच्छे आर्टिस्ट है.
स्टार किड्स की फ्लौप फिल्मों की वजह
अभी तक कई नए स्टार किड्स ने फिल्में की, लेकिन फिल्में फ्लौप रही, जिसके जिम्मेदार एक निर्देशक को ही माना जा रहा है. इस बारें में गुड्डू कहते हैं कि एक कलाकार की प्रतिभा को एक निर्देशक ही उसके अंदर से निकाल सकता है. अगर उनके अंदर उतनी प्रतिभा नहीं भी है, तो उन्हे सीखाना और बताना पड़ता है. अभिनेता धर्मेन्द्र ने जब सनी देओल को फिल्म जिद्दी के लिए लॉन्च किया था, तो पूरा ध्यान, टेकनीशियन, सब्जेक्ट, कंटेन्ट, अच्छा डायरेक्टर, म्यूजिक डायरेक्टर आदि पर था. उस फिल्म के गाने भी हिट रहे. हिन्दी फिल्म में अच्छे गानों का होना बहुत जरूरी होता है, जिससे कई फिल्में हिट हो चुकी है.
हौलिवुड को कौपी करना पड़ रहा भारी
ऐक्शन फिल्मों के बदलते दौर के बारें में पूछने पर निर्देशक कहते हैं कि मैंने कई एक्शन फिल्में बनाई और मेरी फिल्मों में एक्शन, कहानी के अंदर, परिवार और इमोशन के साथ जुड़ा हुआ होता था, जिसमें भाईबहन, मातापिता सबके चरित्र की अहमियत फिल्म में होती थी, जो आज की फिल्मों में नहीं है, साउथ में आज भी वैसी ही फिल्में बन रही है और फिल्में हिट भी हो रही है. जैसे यशराज ने दीवार, त्रिशूल, घायल, घातक, जिद्दी आदि बनाई थी, जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया. अब वैसी फिल्में बन नहीं रही, क्योंकि अब हिन्दी सिनेमा वाले हौलिवुड स्टाइल, वहां की तकनीक की कौपी कर रहे है और वे ऐसा क्यों कर रहे है, इसे मैं भी समझ नहीं पा रहा. मैँ वैसी सिनेमा को बहुत मिस करता हूं और अगर मैंने कभी फिल्म बनाई, तो वैसी ही फिल्म बनाऊंगा. ये फिल्म तो पहले से लिखी गई थी, लेकिन मैंने इस पर राइटर को बैठाकर बहुत काम किया है.
था बहुत संघर्ष
गुड्डू धनोवा के निर्देशक बनने की पीछे की कहानी भी बहुत दिलचस्प है, वे हंसते हुए कहते है कि मैं डायरेक्टर बनने नहीं आया था, ऐक्टर बनने ही आया था और अभिनेता धर्मेन्द्र मेरे कजिन है. जब मैं इस क्षेत्र में आया तो बहुत संघर्ष रहा, मैं वीरू देवगन के पास फाइटर बनने गया था, जबकि अभिनेत्री जया प्रदा के पास मैं ड्राइवर की नौकरी के लिए भी दो बार गया था. उस दौरान उनकी सेक्रेटरी ने कहा कि मैडम एक तारीख को आएंगी, मैं तब गया फिर पता चल 15 को आएंगी, फिर 15 को गया, लेकिन मैडम नहीं आई और मुझे वहां नौकरी नहीं मिली. फिर मेरी बहन ने मुझे विक्रमजीत फिल्म्स के साथ काम करने का कहा, मैंने वहां काम शुरू किया और वहां कई वर्कशौप किये और पूरी फिल्म मेकिंग सीखा. तब मैंने पहली फिल्म सितमगर बनाई, इसके बाद बेताब फिल्म को प्रोडक्शन मैनेजर के तौर पर काम किया. इसके बाद फिल्म अर्जुन, मेरा लहू को मैंने प्रोड्यूस किया. फिल्म गोलाबारूद को भी मैंने ही प्रोड्यूस किया था, जिसके निर्देशक डेविड धवन थे. इसके बाद मैंने फिल्म दीवाना प्रोड्यूस किया, इस फिल्म के बाद से मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा, लेकिन यहां मुश्किल ये हुई कि फिल्म दीवाना के हिट होते ही उसके डायरेक्टर राज कंवर ने मेरी दूसरी फिल्म को उस तय पारिश्रमिक में करने से मना कर दिया, जबकि उनके साथ दो फिल्मों का कान्टैक्ट था. यहां मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने खुद पिक्चर डायरेक्ट करने की ठान ली और निर्देशक के रूप में मेरी पहली फिल्म एलान बनी.
अच्छी कंटेंट बनाना जरूरी
आज हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री पीछे जा रही है, कई सिनेमा हौल बंद हो चुके है, इसके जिम्मेदार के बारें में पूछने पर गुड्डू धनोवा कहते हैं कि आज दर्शकों के पसंद की चीजें फिल्म मेकर नहीं बना पा रहे हैं और जो भी कुछ थोड़ा दर्शकों को पसंद आ रहा है, वह इतना अधिक मात्रा में बन रहा है कि उसका चार्म अब दर्शकों के बीच में नहीं है, क्योंकि घर बैठे एक अच्छी कहानी दर्शक देख पाते है. मुझे पता है कि मेरी फिल्म भी 8 हफ्ते के बाद में ओटीटी पर आ जाएगी और उन 8 हफ्ते में मेरे पास इतना कंटेन्ट है कि घर बैठे ही मेरा पूरा समय उसी में बीत रहा है, ऐसे में कुछ अलग होने पर ही दर्शक हॉल तक आएंगे वरना नहीं. इसमें बजट भी बड़ी बात होती है. मेरी फिल्म बड़ी बजट की नहीं है, लेकिन मैंने जितना हो सकें, लार्जर देन लाइफ बनाने की कोशिश की है.
ले पूरी ट्रैनिंग
आगे गुड्डू ने ओटीटी प्लेटफौर्म के लिए वेब सीरीज ‘शुभचिंतक’ बनाने की पहल की है, जिसका काम शुरू हो चुका है, ये एक ऐक्शन सहित फुल ड्रामा वाली वेब सीरीज होगी. अपकमिंग कलाकारों के लिए उनका मैसेज है कि जब भी आप इस इंडस्ट्री में आते है, पूरी ट्रैनिंग के साथ आए, दिल से काम करें और एक टाइमबाउंड के साथ आएं, जो 2 से 3 साल तक का ही हो. अगर आप फिल्म इंडस्ट्री में सफल होते है, तो ईमानदारी से काम करें और नहीं तो अपने पेरेंट्स के साथ रहकर दूसरे किसी फील्ड में काम की तलाश करें, यहां रहकर अपना लाइफ खराब न करें.