भारतीय सिनेमा के इतिहास में सफलतम फिल्मों में से एक है ‘शोले’. यह पहली भारतीय फिल्म थी जिसे 70mm के बड़े पर्दे पर दिखाया गया था. लगभग 42 साल पहले रमेश सिप्पी के निर्देशन में बनी यह फिल्म आज भी सदाबहार है. आज भी इसके संवाद उतने ही लोकप्रिय हैं जितने कल थे.

फिल्म में अमिताभ ने जय का किरदार निभाया था, वहीं धर्मेंद्र को वीरू के किरदार में देखा गया था. इसके अलावा फिल्म में हेमा मालिनी, जया बच्चन, संजीव कुमार और अमजद खान भी मुख्य भूमिकामें थे. फिल्म में प्यार, दोस्ती और बदले की कहानी को दर्शाया गया है. इस फिल्म के बाद जय-वीरू की दोस्ती आज भी दोस्ती की मिसाल के तौर पर याद की जाती है. वहीं अमजद खान ने गब्बर सिंह के किरदार से एक अलग पहचान बनाई थी.

इस फिल्म के रिलीज के बाद से पक्के दोस्तों को जय-वीरू कहा जाने लगा था तो बक-बक करने वाली लड़कियों को बसंती की उपमा दी जाने लगी. जानें कितनी मांओं ने अपने बच्चे को गब्बर का डर दिखाकर सुलाया. आपको बताते चलें कि इस फिल्म को थ्री डी में परिवर्तित कर 2013 में एक बार फिर रिलीज किया गया था.

'कितने आदमी थे', 'तेरा क्या होगा कालिया', 'पहले नमक खाया, ले अब गोली खा', 'कब-कब है होली', 'अरे ओ सांभा' और 'ये हाथ नहीं फांसी का फंदा है गब्बर' या 'ये हाथ हमको दे दे ठाकुर' या फिर 'चल धन्नो आज तेरी बसन्ती की इज्जत का सवाल है'- सलीम-जावेद द्वारा लिखे गए इन डायलॉग के बारे में कोई नहीं सोच सकता था कि ये इतने लोकप्रिय होंगे.

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