बॉलीवुड में हीरोइनें अपने फैशन को ले कर काफी सतर्क रहती हैं. हर इवेंट या अवार्ड शो में बेहतर दिखने की उन में चाहत होती है. लेकिन बेहतर दिखने की इस चाहत में उन का खूबसूरत लिबास कई बार उन्हें ऐसा धोखा देता है कि वे ऊप्स मोमैंट्स का शिकार हो जाती हैं.
बॉलीवुड से ले कर हॉलीवुड तक की खूबसूरत हीरोइनें अधिकतर वार्डरोब मालफंक्शन का शिकार होती रहती हैं. लेकिन कई बार तो वे खुद ही अपनी खूबसूरती को अपने ट्रांसपैरेंट कपड़ों के जरीए दिखा कर खुद को सुर्खियों में शामिल कर लेती हैं.
हाल ही में कैटरीना कैफ ने भी कुछ ऐसा किया कि मीडिया ने उन्हें सुर्खियों में शामिल कर लिया. दरअसल,हाल ही में कैटरीना कैफ एअरपोर्ट गईं. वहां उन के ब्लैक ट्रांसपैरेंट टौप के नीचे से उन की शाइन करती लिंजरी नजर आई.
इसी तरह अभिनेत्री आलिया भट्ट भी एक इवेंट में ऊप्स मोमेंट का शिकार हो चुकी हैं. उस इवेंट में हिस्सा लेने पहुंची सेक्सी आलिया ने व्हाइट तंग ड्रैस पहन रखी थी, जिसकी वजह से वे काफी असहज नजर आ रही थीं और इसी असहजता में आलिया के वे कपड़े भी दिख गए, जो नहीं दिखने चाहिए थे. लेकिन जब तक वे अपनेआप को संभालतीं तब तक काफी देर हो चुकी थी.
पिछले दिनों भारत की यात्रा पर आए ब्रिटेन के शाही दंपती प्रिंस विलियम और उन की पत्नी केट मिडलटन जब इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि देने गए, तो श्रद्धांजलि देने के दौरान तेज हवा के झोंकों ने केट की ड्रैस हवा में उछाल दी. शर्मिंदगी से बचने के लिए केट ने फौरन स्कर्ट संभालने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहीं. बस फिर क्या था. वहां मौजूद मीडिया के कैमरों ने इसे कैद कर लिया और सोशल मीडिया पर यह तसवीर वायरल हो गई. इस मोमेंट को मर्लिन मुनरो मोमेंट का नाम दे दिया गया.
कांस बना फैशन शो
फ्रांस के कांस में होने वाले फिल्म फेस्टिवल में दुनिया भर की सिनेतारिकाएं शिरकत करती हैं और उन में ग्लैमरस दिखने की होड़ रहती है. लेकिन ग्लैमरस दिखने की यह होड़ उन्हें कई बार ऐसी स्थिति में पहुंचा देती है कि उन की खूब जगहंसाई होती है.
कांस फिल्म फैस्टिवल के दौरान माईवेन ली बेस्को भी वार्डरोब मालफंक्शन का शिकार हो चुकी हैं. जरमनी में ‘मैन इन ब्लैक-3’ फिल्म के प्रीमियर के मौके पर मिकेला शैफर भी वार्डरोब मालफंक्शन का शिकार हुईं.
हाल ही में हिंदी सिनेमा की मंझी हुई अदाकारा शबाना आजमी ने फ्रांस के कांस फिल्म फेस्टिवल को फैशन इवेंट की तरह इस्तेमाल करने पर नाराजगी जताई. उन्होंने ट्विटर को अपनी भावनाएं व्यक्त करने का जरिया बनाया और ट्वीट किया कि कांस का दूसरा दिन लग रहा था जैसे कपड़ों की परेड हो. यह एक गंभीर फिल्म समारोह है, न कि फैशन इवेंट.
वे कहती हैं कि महिलाओं को आजादी के नाम पर कपड़ों से आजाद करने की रणनीति हकीकत में पुरुषवादी सोच का नतीजा है. यह महिलाओं को हर दिन पुरुषों के ऐशोआराम की चीज बनाते हुए उन्हें गुलामी की ओर ले जा रही है. समाज में महिलाओं की भूमिका बदलने के साथसाथ विज्ञापनों में भी उन की छवि बदली है. आधुनिक विज्ञापनों में महिलाओं को सेक्स सिंबल के रूप में दिखाया जा रहा है.
दुनिया भर में अंगप्रदर्शन के मामले में भारतीय फिल्में सब से आगे हैं, यह बात संयुक्त राष्ट्र महिला एवं रौकेफेलर फाउंडेशन, जिनेवा के एक अध्ययन में साबित हुई है. अपनी फिल्मों में महिलाओं को आकर्षक तरीके से पेश करने के मामले में भारत की गिनती शीर्ष देशों में होती है.
अंगप्रदर्शन में बॉलीवुड शीर्ष पर
भारतीय फिल्मों की 35 फीसदी महिला कलाकार अंगप्रदर्शन करती हैं. यहां फिल्मों में महिला किरदारों को हॉट और सेक्सी दिखाया जाता है. सर्वे ने महिलाओं के साथ होने वाले पक्षपात, उन के प्रति व्यापक रूढ़िवादी सोच, उन के प्रति कामुक नजरिए और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उद्योग द्वारा उन्हें प्रभावशाली भूमिकाओं में कमतर रूप से पेश करने की प्रवृत्ति को उजागर किया गया है.
भारत में महिला निर्माता निर्देशकों और लेखकों की संख्या भी ज्यादा नहीं है. भारत में महिला निर्माताओं की संख्या केवल 15.2 फीसदी है, जबकि विश्व में यह औसत 22.7 फीसदी है. सर्वे में पाया गया कि भारतीय फिल्मों में महिलाओं को एक सेक्स औब्जैक्ट की तरह ही पेश किया जाता है.
देह के मामले में आज के दौर में एक ही नियम लागू होता है. इफ यू हैव इट, फ्लौंट इट यानी आप के पास दिखाने लायक शरीर है, तो उसे दिखाइए. पूरा का पूरा फैशन उद्योग स्त्री के इस देहसौंदर्य को कैसे उभारना है, किस अंग को कितना छिपाना व कितना दिखाना है, पर ही टिका है. फैशन की इस होड़ में सभी बराबर के भागीदार हैं.