भले ही फिल्म ‘सुल्तान’ के अभिनेता सलमान खान द्वारा दिए गए विवादित इंटरव्यू के बाद लोंगों का गुस्सा सलमान पर था, लेकिन फिल्म का मिजाज़ इमोशनल और एक्शन से भरपूर होने की वजह से फिल्म मनोरंजक बनी है. सलमान ने इस फिल्म में अपनी इमेज से निकलकर दंगल के दांव-पेंच, स्फूर्ति, चतुराई सभी को बखूबी निभाया है. उम्र के इस पड़ाव में आकर अगर अभिनेता इतना अच्छा परफोर्मेंस दे, तो ज़ाहिर है कि नए कलाकारों के लिए यह चुनौती होगी.
सलमान के साथ अनुष्का शर्मा ने पूरा तालमेल बिठाया है. निर्देशक अली अब्बास ज़फर ने सही जोड़ी को पर्दे पर उतारा है. पूरी फिल्म सलमान के कन्धों पर है और सलमान ने अभिनय के द्वारा उसे जीवंत किया है, फिल्म में बाकी चरित्र कि भूमिका भले ही कम हो, पर सबका काम असर छोड़ने में सफल रहे. फिर चाहे वह दादी हो, दोस्त गोविन्द हो, अमित साध या रणदीप हुडा.
फिल्म में सुल्तान अली खान (सलमान खान) हरियाणा के रेवाड़ी जिले के बुरोली गाँव का एक नौजवान है, जिसे पतंग लूटने और मौज-मस्ती करने में मजा आता है. अचानक एक दिन सुल्तान की मुलाकात स्टेट चैंपियन रेसलर आरफा (अनुष्का शर्मा) से होती है. इधर आरफा के पिता की इच्छा है कि वह अपने देश के लिए ओलंपिक का स्वर्ण मेडल लेकर आये. आरफा भी उसी दिशा में आगे बढ़ रही थी कि सुल्तान उससे अपने प्यार का इज़हार कर देता है.
आरफा अपने एटीट्युड से उसे मना कर देती है और उसे कुछ बनकर दिखाने को कहती है. ऐसे में सुल्तान भी अखाड़े में उतर कर आरफा के पिता का शागिर्द बन जाता है. सुल्तान की कुश्ती से प्रभावित होकर आरफा उसकी दोस्त बन जाती है. इस बार सुल्तान का दोस्त उसे होने वाली भाभी कहकर बुलाता है तो वह गुस्सा हो जाती है, तभी सुल्तान उसे शादी का प्रस्ताव देता है और आरफा उसे थप्पड जड़ देती है.
यहीं से सुल्तान का मकसद बदल जाता है. स्टेट चैंपियन के बाद वह वर्ल्ड चैंपियन बन जाता है. आरफा और सुल्तान की अब शादी हो जाती है. लेकिन उनकी जिंदगी में कुछ ऐसा होता है कि एक बार फिर दोनों अलग हो जाते हैं. आरफा अपने पिता के पास रहने चली जाती है. सुल्तान रेसलिंग छोड़ सरकारी नौकरी करने लगता है.
तभी सुल्तान की जिंदगी में आकाश ओबेरॉय (अमित साध) की एंट्री होती है जो दिल्ली में कुश्ती चैंपियनशिप करवा रहा है और एक अच्छे रेसलर की जरूरत है. यहाँ से सुल्तान एक बार फिर अपनी कुश्ती की दुनिया में लौटकर अपने प्यार को वापस पाता है.
फिल्म में हरियाणवी भाषा का अच्छी तरह प्रयोग हुआ है सलमान और अनुष्का भी इसे सही तरह से बोलने में सफल रहे. अनुष्का ने अपने अभिनय को पूरी तरह समझकर काम किया है. फिल्म की शुरूआती भाग थोड़ा धीमा है, पर बाद में रफ़्तार सही रही. फिल्म में एक जगह सलमान की उम्र 30 साल बताई गयी जबकि उसका चेहरा उम्र को छुपाने में असफल रहा. विशाल शेखर के गीत दृश्य के अनुरूप है. बहरहाल फिल्म देखने योग्य है इसे थ्री स्टार दिया जा सकता है.