रेटिंगः डेढ़ स्टार

निर्माताःजी स्टूडियो, कलर येलो प्रोडक्शन और अलका हीरानंदानी

निर्देशकः आनंद एल राय

लेखकः कनिका ढिल्लों और हिमांशु शर्मा

कलाकारः अक्षय कुमार, भूमि पेडणेकर, सहजमीन कौर, साहिल मेहता, दीपिका खन्ना, सदिया खतीब,  स्मृति श्रीकांत, सीमा पाहवा, नीरज सूद व अन्य.

अवधिः एक घंटा पचास मिनट

बौलीवुड में आनंद एल राय की गिनती सुलझे हुए, बेहतरीन व समझदार निर्देशक के रूप में होती है.  ‘तनु वेड्स मनु’,  ‘रांझणा’, ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न’जैसी सफलतम फिल्मों के निर्देशन के बाद वह फिल्म निर्माण में व्यस्त हो गए. आनंद एल राय ने ‘निल बटे सन्नाटा’, ‘हैप्पी भाग जएगी’’,  ‘शुभ मंगल सावधान’ व तुम्बाड़’जैसी बेहतारीन व सफल फिल्मों का निर्माण किया. इसके बाद उनके अंदर अजीबोगरीग परिवर्तन नजर आने लगा. और पूरे तीन वर्ष बाद जब बतौर निर्माता व निर्देशक ‘जीरो’ लेकर आए, तो यह फिल्म बाक्स आफिस पर भी ‘जीरो’ ही साबित हुई. इसके बाद फिल्मकार के तौर पर उनका पतन ही नजर आता रहा है. बतौर निर्देशक उनकी पिछली फिल्म ‘अतरंगी रे’’ भी नही चली थी. अब बतौर निर्माता व निर्देशक उनकी उनकी नई फिल्म ‘‘रक्षाबंधन’’ 11 अगस्त को सिनेमाघरों में पहुंची है. इस फिल्म से भी अच्छी उम्मीद करना बेकार ही है. सच यही है कि ‘तनु वेड्स मनु’ या ‘रांझणा’ का फिल्मकार कहीं गायब हो चुका है. मजेदार बात यह है कि फिल्म ‘‘रक्षाबंधन’’ के ट्ेलर को दिल्ली में आधिारिक रूप से रिलीज करने से एक दिन पहले मुंबई में ट्ेलर दिखाकर अनौपचारिक रूप से जब अनंद एल राय ने हमसे बातें की थी, तो उस दिन उन्होने काफी समझदारी वाली बातें की थी. हमें लगा था कि उनके अंदर सुधार आ गया है. मगर दिल्ली में ट्रेलर रिलीज कर वापस आते ही वह एकदम बदल चुके थे. फिर उन्होने  अपनी फिल्म को लंदन व दुबई में जाकर प्रमोट किया. दिल्ली,  इंदौर,  लखनउ,  चंडीगढ़,  जयपुर, कलकत्ता,  पुणे,  अहमदाबाद,  वडोदरा सहित भारत के कई शहरों में ‘रक्षाबंधन’’ के प्रमोशन के लिए सभी कलाकारांे के साथ घूमते रहे. कलाकारों के लिए बंधानी साड़ी से जेवर तक खरीदते रहे. हर इंवेंअ पर लाखों लोगों का जुड़ा देख खुश होेते रहे. पर अब उन्हे ख्ुाद सोचना होगा कि हर शहर में जितनी भीड़ उन्हे देखने आ रही थी, उसमें से कितने प्रतिशत लोगों ने उनकी फिल्म देखने की जहमत उठायी. लोग सिनेमाघर मे अपनी गाढ़ी व मेहनत की कमाई से टिकट खरीदने के बेहतरीन कहानी देखते हुए मनोरंजन के लिए जाता है. जिसे ‘रक्षाबध्ंान’ पूरा नहीं करती. फिल्म का नाम ‘रक्षाबंध्न’ है, मगर इसमें न तो भाई बहन का प्यार उभर कर आया और न ही दहेज जैसी कुप्रथा पर कुठाराघाट ही हुआ.

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