Ronit Roy: जिंदगी में हम चाहे कितनी ही तरक्की कर ले, लेकिन वह शख्स हमें हमेशा याद रहता है जो हमारे बुरे वक्त में काम आया होता है. फिर उस शख्स का भले ही हमारे लिए छोटा सा ही योगदान क्यों ना हो, लेकिन वह हमारे दिल से कभी नहीं जाता. तभी तो कहते हैं बुरे वक्त में अच्छे लोगों की पहचान होती है. इस बात से बॉलीवुड के कई एक्टर इत्तेफाक रखते होंगे , जिन्होंने अच्छा खासा बुरा वक्त देखकर कामयाबी हासिल की है.
प्रसिद्ध टीवी और फिल्म एक्टर रोनित रॉय ने ऐसे ही एक बंदे का जिक्र अपनी इंटरव्यू के दौरान किया जिसने रोनित रॉय की उस वक्त मदद की थी जब उनको खाने के लाले पड़े हुए थे, मल्टी टैलेंटेड रोनित रॉय सिर्फ एक्टर ही नहीं है बल्कि उनका सिक्योरिटी का भी काम जोरो पर है, जिसके चलते रोनित रॉय पिछले दिनों सैफ अली खान के ऊपर अटैक हुए हादसे के बाद उनके सिक्यूरिटी गार्ड के रूप में सैफ अली के साथ साए की तरह थे.
आज पैसों में खेल रहे रोनित रॉय का एक समय ऐसा भी था, जब उनके पास इतने पैसे भी नहीं होते थे कि वह दो टाइम का खाना खा सके. इसी वजह से संघर्ष के उन दिनों में रोनित राय सिर्फ रात को ही खाना खाते थे.
अपने इसी संघर्ष भरे सफर के बारे में एक इंटरव्यू में बताते हुए रोनित रॉय ने उस बंदे का जिक्र किया जिसने बिना किसी स्वार्थ के रोनित रॉय को खाना खिलाया था, इस बात का जिक्र करते हुए रोनित रॉय की आंखों में आंसू भर आए, भीगी आंखों को पोछते हुए रोनित रॉय ने बताया , कि संघर्ष के दिनों में जबकि उनके पास सिर्फ चार-पांच हजार रुपए महीने के होते थे उस दौरान अपनी भूख शांत करने के लिए बांद्रा स्टेशन के पास एक ढाबा में जो वहां का प्रसिद्ध ढाबा है रात को खाना खाने जाया करते थे.
रोनित रॉय के अनुसार मैं रोज रात को वहां खाना खाने जाता था क्योंकि दिन में खाने के लिए पैसे नहीं होते थे. इसलिए सिर्फ एक टाइम रात को ही खाना खाता था . जिसमें मै काली मसूर दाल दो रोटी और पालक पनीर दो रोटी मैं अल्टरनेट डेज में खाया करता था. एक दिन मेरे पास पैसे कम थे तो मैंने आर्डर लेने आए बंदे से कहा कि वह मुझे दो रोटी थोड़ा प्याज दे दे, वो बंदा दो रोटी लेकर वापस आया तो साथ में काली दाल भी ले कर आया, तो मैंने उससे कहा मैंने दाल तो नहीं मंगवाई, तो उस बंदे ने कहा दाल मेरी तरफ से आप खा लो, क्योंकि आज आपका दाल और रोटी का दिन है.
उस की बात सुनकर मेरा दिल भर आया, क्योंकि वह जमीन से जुड़ा हुआ बंदा आसमान को छूने वाली सोच रखता था. उसने बिना किसी लालच के मुझे जो काली दाल रोटी के साथ रोटी खिलाई वो मुझे आज भी याद है. मैं अपने आप को खुशनसीब मानता हूं कि मेरी जिंदगी में ऐसे जमीन से जुड़े सच्चे लोगों का बहुत बड़ा योगदान रहा है जिसकी वजह से ही आज मैं इस मुकाम पर खड़ा हूं.