रेटिंगः तीन स्टार

निर्माताः परेश रावल, स्वरूप संपत रावल, हेमल ठक्कर

निर्देशकः पुश्कर महाबल

कलाकारः कश्मीरा ईरानी, स्वरा थिगले, शशि भूषण, टीना भाटिया, बोलाराम दास, अक्षिता अरोड़ा व अन्य

अवधिः दो घंटे छह मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः सोनी लिव

मशहूर अभिनेता व पूर्व सांसद परेश रावल अपने मित्र हेमल ठक्कर के संग ‘‘प्लेटाइम क्रिएशंस’’के बैनर तले एक मनोवैज्ञानिक रोमांचक फिल्म ‘‘वेलकम होम’’ लेकर आए हैं, जिसमें बाल शोषण, यौन शोषण के साथ ही क्रूरता का कटु चित्रण है. पुश्कर महाबल निर्देशित यह फिल्म बहुत ही ज्यादा डार्क है. कमजोर दिल वालों तथा पूरे परिवार साथ देखी जा सकने वाली फिल्म नही है. वैसे फिल्मकार का दावा है कि यह फिल्म सत्य घटनाओं पर आधारित है.

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कहानीः

फिल्म की कहानी महाराष्ट् के एक देहाती क्षेत्र में अनुजा राव से शुरू होती हैं, जो कि एक स्कूल में अंग्रेजी व भूगोल पढ़ाती है. उसकी शादी तय है और उसका मंगेतर चाहता है कि वह नौकरी छोड़ दे. पर वह नौकरी छोड़ना नहीं चाहती. इसी बीच उसे अपनी सह शिक्षिका (स्वरा थिगले) के साथ जनगणना के काम मंे लगा दिया जता है. जनगणना के दौरान हर कोई मायने रखता है. इस नेक विचार के साथ अनुजा राव (कश्मीरा ईरानी) और उसकी सहकर्मी नेहा (स्वरा थिगले) अपनी सूची में गॉंव के एकमात्र घर के दरवाजे पर दस्तक देती हैं. दरवाजा गर्भवती प्रेरणा (टीना भाटिया) खोलती है. बातचीत में बताती है कि हर बार उसके बच्चे पैदा होते हैं, रोते हैं और फिर मर जाते हैं. इस कथा  व प्रेरणा के शरीर पर खरोंच के निशान अनुजा के मन में कई संदेह पैदा करते है. अनुजा को प्रेरणा की डरावनी दिखने वाली माँ सावित्री(अक्षिता अरोड़ा), पिता (शशि भूषण) और अजीब-सा कुक भोला (बोलाराम दास)भी संदिग्ध नजर आते हैं. अपनी छोटी- छोटी आजादी को महत्व देने वाली अनुजा को प्रेरणा की हालत हिला देती. कुछ दिन बाद अनुजा, नेहा के साथ उसी घर में पुनः प्रेरणा से मिलने आती है, लेकिन इस बार वह दोनों कैद हो जाते हैं और प्रेरण के पिता व भोला के हाथों दोनों को कई ताह की क्रूरतम यातनाओं से गुजरना पड़ता है.

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