तेजपत्ता हल्का, तीखा व मीठा होता है. इसकी प्रकृति गर्म होती है. सर्दियों के समय यह मशाला आप के व्यंजन का स्वाद बढ़ाने के साथ ही आपको सर्दी जुखाम से बचाता है. सर्दियों के समय तेजपात हम सभी के लिए उपयोगी होता है, सर्दियों में थोड़ी से लापरवाही हुई नही कि आप सर्दी जुखाम के शिकार हो गये. तेजपात  कफ रोगों के लिए उपयोगी मसाला है.  इसे पिप्पली चूर्ण की एक ग्राम मात्रा में शहद के साथ लेने पर खाँसी-जुकाम में फायदा होता है.  आप सर्दियों में चाय के साथ इसे उबाल कर सेवन कर सकते है.

तेजपात गरम मसाले का प्रमुख अंग है. इसे सुखा कर प्रयोग में लाया जाता है. छौंक के समय खड़े गरम मसाले की तरह जीरे और बड़ी इलायची के साथ इसको तेल या घी में डालना चाहिए. हर तरह के शोरबेदार शाकाहारी या मांसाहारी व्यंजन में, प्याज़ अदरख लहसुन के मसाले वाली करी में और सूप व दाल के छौंक में तेजपात का स्वाद करारा अहसास देता है.

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यह वातानुलोमक, मस्तिष्क (दिमाग) को शक्ति देने वाला, पेशाब को साफ करने वाला तथा आमाशय को शक्ति देने वाला होता है. तेजपत्ता में दर्दनाशक तथा एंटी-ऑक्सीडेंड गुण पाए जाते हैं. इसे हिंदी और  बंगाली में तेजपात और तेजपता , संस्कृत, मराठी और पंजाबी में तमालपत्र, गुजराती में लमालपत्र , तैलगु दिरसेनामु और अंग्रेजी में  इंडियन चाईनामोन के नाम से  जाना जाता है. इसका प्रयोग बहुत-सी दवाइयों में भी पाया जाता है. कई सुगंधित तेलों में भी यह प्रयोग होता है. साथ ही कई रोगी में यह औषधी के रूप में काम करता है. सिर में दर्द, गर्मी या ठण्ड लगने से हो रहा हो तो तेजपात की डंठल व 3-4 पत्तों को पानी में पीसकर जरा गर्म कर लें. इसका लेप सिर दर्द क खत्म करता है. 2-3 बार इसका लेप करें. जिससे आपका आराम मिलता है .

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