गरमगरम चाय की चुसकियों में सेहत भी घुलमिल जाए कुछ ऐसे तो कहने ही क्या...

‘चाय की चुसकियों के साथ

आओ बांट लें फुरसत के पल,

दोस्ती की महक और अपनेपन

की सौंधी रंगत के पल.’

कोई अपना घर आए तो उस की खातिरदारी का बहाना हो या कभी बारिश की बूंदें पड़ें तो पकौड़ों के साथ पीने का बहाना या फिर शरीर की थकान दूर कर ताजगी का एहसास जगाने का बहाना, चाय पीने की वजह ढूंढ़नी नहीं पड़ती. कभी भी कहीं भी चंद खूबसूरत लमहों की साथी बन जाती है चाय की प्याली. तभी तो ढाबा हो या बड़ेबड़े रैस्टोरैंट, चाय हर जगह मौजूद होती है. बस इसे बनाने के तरीके अलगअलग हो सकते हैं. चीन में इसे वैलकम ड्रिंक का नाम दिया जाता है तो जापान में मेहमानों के आने पर ‘टी सेरेमनी’ होती है.

चाय का इतिहास

चाय का इतिहास काफी पुराना है. सब से पहले चीन में चाय पीने की शुरुआत हुई. बाद में छठी शताब्दी में चीन से चाय जापान पहुंची. वहां इसे काफी पसंद किया गया. एशिया में चाय का आगमन 19वीं सदी में हुआ. आज भारत चाय का सब से बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है.

चाय के फायदे

चाय दिल को तंदुरुस्त रखती है. यह ऐंटी इंफ्लैमैटरी, ऐंटी बैक्टीरियल और ऐंटी डायबिटिक जैसे गुणों से पूर्ण है. दांतों के लिए भी अच्छी है. चाय में पोटैशियम सहित अनेक खनिज पदार्थ मौजूद होते हैं. चाय में मौजूद कैटेचिन, पौलीफिनोल और ऐंटीऔक्सिडैंट्स इसे सेहतमंद बनाते हैं. भारत में चाय उत्तर भारत में कौसानी, दक्षिण में नीलगिरी के पठारी क्षेत्र, उत्तरपूर्व में दार्जिलिंग और असम व दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में प्रमुखता से उगाई जाती है.

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