अस्थमा एक गंभीर बीमारी बनती जा रही है. प्रदूषण के कारण बच्चों से लिए बुजुर्गों में ये बीमारी आम हो गई है. ऐसे में डाक्टरों और दवाइयों पर लोगों की निर्भरता तेजी से बढ़ रही है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि मछली का इस्तेमाल कर आप कैसे इस रोग से छुटकारा पा सकती हैं.

बच्चों में बढ़ रही अस्थमा की बीमारी के बाबत एक महत्वपूर्ण बात सामने आई है. एक शोध में या बात सामने आई कि सैमन, ट्राउट और सार्डाइन जैसी मछलियों को अपने आहार में शामिल करने से बच्चों में अस्थमा के लक्षण में कमी आ सकती है.

औस्ट्रेलिया में हुए एक शोध में ये पता चला है कि अस्थमा से ग्रसित बच्चों के भोजन में जब 6 महीने तक वसा युक्त मछलियों से भरपूर पौष्टिक समुद्री भोजन को शामिल किया गया, तब उनके फेफड़े की कार्यप्रणाली में सुधार पाया गया.

इस अध्ययन को ‘ह्यूमन न्यूट्रिशन ऐंड डायटेटिक्स’ में हाल ही में प्रकाशित किया गया है. इस शोध में कहा गया कि पौष्टिक आहार, बच्चों में अस्थमा का संभावित इलाज हो सकता है.

कई जानकारों का मानना है कि जाहिरतौर पर वसा, चीनी, नमक बच्चों में अस्थमा के बढ़ने को प्रभावित करता है. पर पौष्टिक भोजन से अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करना संभव है.

आपको बता दें कि वसा युक्त मछलियों में ओमेगा-3 फैटी ऐसिड होता है जिनमें रोग को रोकने में सक्षम गुण होते हैं. सप्ताह में दो बार या ज्यादा मछली खाने से अस्थमा से पीड़ित बच्चों के फेफड़े के सूजन में कमी आ सकती है.

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