टीबी बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है जो हवा के जरिये एक इंसान से दूसरे में फैलती है और इसका बैक्टीरिया शरीर के जिस भी हिस्से में फैलता वहां के टिश्यू को पूरी तरह नष्ट कर देता है. समय पर इलाज कराने से बैक्टीरिया को फैलने से रोका जा सकता है और टीबी से बचा जा सकता है. एचआईवी पॉजिटिव लोगों में बार-बार टीबी होने की संभावना अधिक होती है. एड्स रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण उनका शरीर टीबी के बैक्टीरिया के वार को नहीं सह पाता है, जिस कारण वो टीबी से ग्रसित हो जाते हैं.

टीबी मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया से होता है. यह बैक्टीरिया हवा के द्वारा श्वासनली में प्रवेश करता है. टीबी के फैलने के कई अन्य कारण भी हैं जैसे कि छिंकना, खांसना, खुले में थूकना. आम तौर पर यह बीमारी फेफड़ों से शुरू होती है. यह बैक्टीरिया फेफड़ों के टिश्यू को नष्ट कर देता है. सही वक्त पर इलाज कराने से टीबी से निजात पाया जा सकता है.

एचआईवी पॉजिटिव लोगों के लिए टीबी ज्यादा खतरनाक है. अगर किसी एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को एक बार टीबी हो जाता है, तो ठीक होने के बाद भी बार बार टीबी होने का खतरा रहता है.

लगातार चेकउप करवाने के बाद ही टीबी के बैक्टीरिया का पता लगाया जा सकता है. एचआईवी पॉजिटिव व्यक्तियों को टीबी होने पर उनके बचने की गुंजाइश भी कम हो जाती है. वैदिकग्राम के डॉक्टर दीपक कुमार का कहना है कि “टीबी फैलने वाली बीमारी है. इसके बैक्टीरिया को फैलने से रोकने के लिये साफ-सफाई का खासा ध्यान रखना चाहिए. इसके साथ ही हाइजिन का भी ख्याल रखना जरुरी है. हाइजिन का ख्याल ना रखने की वहज से ही निचले तबके के लोगों में इस बीमारी के होने का खतरा ज्यादा रहता है. एड्स रोगियों को टीबी से मिलते-जुलते किसी भी लक्षण के दिखने पर तुरंत जांच करानी चाहिये क्योंकि थोड़ी भी देर होने पर यह जानलेवा हो जाता है.” 

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