भारत में कुछ सालों से बच्चे का सुख पाने के लिए पैरेंट्स सरोगेसी का सहारा ले रहे हैं. सरोगेसी बच्चा पैदा करने की एक आधुनिक तकनीक है. इसके जरिए कोई भी कपल या सिंगल पैरेंट बच्चा पैदा करने के लिए किसी महिला की कोख किराए पर ले सकता है. बॉलीवुड में इस तकनीक का फैशन बन गया है सेलेब्रिटीज इस तकनीक का खूब सहारा ले रही है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि क्या होती है सरोगेसी और कब की जानी चाहिए . इस बारे में बता रहीं है,

Dr. Sonu Balhara Ahlawat, Head Unit I, Reproductive Medicine, Artemis Hospital, Gurugram.

क्या होती है सरोगेसी

सरोगेसी के जरिये कोई महिला अपने या फिर डोनर के एग्स के जरिये किसी दूसरे कपल के लिए प्रेगनेंट होती है. जो महिला अपनी कोख में दूसरे का बच्चा पालती है, वो सेरोगेट मदर कहलाती है.

सरोगेसी भी दो तरह की होती है. पहली है ट्रेडिशनल सरोगेसी तो दुसरी जेस्टेशनल सरोगेसी.

ट्रेडिशनल सरोगेसी में होने वाले पिता या डोनर का स्पर्म  सरोगेट महिला के एग्स से मैच कराया जाता है. इस सरोगेसी में सरोगेट मां ही बच्चे की बायोलॉजिकल मां होती है.

वहीं दूसरी तरफ जेस्टेशनल सेरोगेसी में सरोगेट मां का बच्चे से कोई जेनेटिक संबंध नहीं होता है. इस सरोगेसी में सरोगेट मां के एग्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता है और वो बच्चे को जन्म देती हैं. इसमें होने वाले माता पिता के स्पर्म और एग्स का मेल टेस्ट ट्यूब बेबी (ivf तकनीक) के जरिये कराने के बाद इसे सरोगेट मदर के यूट्रस में इम्प्लांट किया जाता है.

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