Seasonal Depression: यह एक तरह का डिप्रैशन है, जो मौसमी बदलाव से शुरू होता है और आमतौर पर ठंड के मौसम में होता है. इस दौरान व्यक्ति के अंदर कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक लक्षण नजर आते हैं. इस मौसम में धूप कम होती है. धूप की कमी से दिमाग में ‘सेरोटोनिन’ नामक न्यूरोट्रांसमीटर घट जाता है.
दरअसल, सिरेटोनिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है. शरीर में इस का स्तर कम होने का असर व्यक्ति के मूड पर पड़ता है. साथ ही विटामिन डी शरीर में सिरेटोनिन के उत्पादन में मुख्य भूमिका निभाता है.
विटामिन डी की कमी से शरीर में सिरेटोनिन का स्तर गिरता है. इस से व्यक्ति दिन में कम एनर्जी और सुस्ती महसूस करता है. यह वह सुपर हार्मोन है जो मूड को कंट्रोल करता है. अंधेरा और ठंड बढ़ने पर शरीर ज्यादा मेलाटोनिन बनाता है, जिस से नींद ज्यादा आती है और एनर्जी घट जाती है. सर्केडियन रिदम बिगड़ जाता है. यह अचानक बदलते मौसम से प्रभावित होता है, तो नींद और जागने का पैटर्न बिगड़ जाता है.
कैसे पहचानें सीजनल डिप्रैशन
-किसी भी चीज में मन नहीं लगना.
-खुद को उदास और डिप्रैस महसूस करना.
-खाना खा लेने पर भी भूख लगना.
-वजन का बढ़ना.
-देर तक सोते रहना और उठने का मन न करना.
-दिनभर कुछ न करने की इच्छा होना और बिस्तर पर पड़े रहना.
-सामान्य रोजमर्रा की गतिविधियों में रुचि न लेना और खुशी न महसूस करना.
-किसी काम को करते समय फोकस न कर पाना.
-लोगों के साथ मिलने का मन न करना.
-चिड़चिड़ापन बने रहना वगैरह.
निदान
खुद को अकेले कमरे में बंद करने के बजाय वह सब करें जो आप को पसंद है. जिन से बात कर के या फिर जिन के साथ टाइम स्पैंड कर के आप बेहतर महसूस करते हैं उन लोगों से मिलें.
इस मौसम में अगर आप को बारबार भूख लगती है और कुछ खाने का मन करता है तो ओवर इटिंग न करें. बल्कि कुछ हैल्दी औप्शन ट्राई करें. एक ही बार में ज्यादा खाने के बजाय थोड़ीथोड़ी देर में कुछ खाते रहें.
सुबह या शाम वाक करने जरूर जाएं. इस से मूड फ्रैश होगा और आलस्य में भी कमी आएगी.
बुक रीडिंग की आदत डालें. इस से आप सारा डिप्रैशन भूल जाएंगे. जब आप किताब पढ़ने में लग जाएंगे तो उस में आप को इतना मजा आने लगेगा कि समय मिलते ही आप को सोने से ज्यादा किताब पढ़ने का चसका लग जाएगा.
जिम जौइन करें या फिर अपनी पसंद का कोई काम जैसे सिलाई, कढ़ाई, बुनाई करें, आचार डालें, पैंटिंग करें. जो भी काम आप को पसंद हो वह करेंगे तो उस में इतना बिजी हो जाएंगे कि अपनी बीमारी को भूल जाएंगे.
अपना एक शैड्यूल बनाएं, जैसे समय पर सोना और जागना. इस से आप को वर्क प्रेशर भी फील नहीं होगा और साथ ही मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा.
विटामिन डी की कमी डिप्रैशन के लक्षणों को ज्यादा बढ़ा देती है. इसलिए रोजाना 10-15 मिनट सुबह की कुनकुनी धूप में बैठें और विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें.
किसी विषय को ले कर आप को बारबार चिंता सता रही है तो ऐसे में आप उस विषय पर अपने करीबियों और घर के लोगोंं के साथ बात कर सकते हैं. लोगों के साथ बात शेयर करने से आप का डिप्रैशन कम होगा और आप को आराम मिलेगा.
डाक्टर से कब मिलें
-अगर लगातार कईकई दिनों तक आप का मूड लो है.
-खानापीना बिलकुल बंद हो गया है.
-वजन कम होने लगे.
-अगर किसी काम में मन न लगे.
-कईकई रातों तक नींद न आए.
कई लोगों के लिए सीजनल इफैक्टिव डिसऔर्डर, यह टर्म नया होगा, लेकिन ऐसा होता है. बदलते मौसम का असर सिर्फ बाहर के माहौल पर नहीं, बल्कि हमारे दिमाग और भावनाओं पर भी पड़ता है. इसलिए अगर आप या आप के आसपास कोई इन लक्षणों से गुजर रहा हो तो इसे हलके में न लें. समय रहते कदम उठाना ही इस समस्या से बचाव का सब से आसान तरीका है.
Seasonal Depression
