कैल्शियम एक महत्त्वपूर्ण मिनरल है जो कि मानव शरीर में प्रचुरता में पाया जाता है. उस में से भी लगभग 99% कैल्शियम दांतों और हड्डियों में मौजूद रहता है ताकि वे मजबूत बने रह सकें. कैल्शियम का बाकी हिस्सा सेल सिग्नलिंग, ब्लड क्लौटिंग, मसल्स कौंट्रेक्शन और नर्व फंक्शन में अहम भूमिका निभाता है.

अत: प्रतिदिन मैक्रो एवं ट्रेस मिनरल का सेवन महत्त्वपूर्ण है. मगर यह मुख्य रूप से हमारी खानपान की आदतों पर निर्भर करता है. एक अच्छी संतुलित डाइट में शरीर के लिए आवश्यक मिनरल्स उचित मात्रा में मौजूद होते हैं मगर हम अकसर अपनी व्यस्त जीवन शैली की वजह से ऐसी डाइट नहीं ले पाते.

ऐसा पाया गया है कि भारत के लोग प्रतिदिन जरूरत से कम मात्रा में कैल्शियम लेते हैं यानी प्रतिदिन 400 मिलीग्राम से भी कम. इस के अलावा कुल भारतीय आबादी के 70% से ज्यादा लोग प्रतिदिन सेहत के लिए जरूरी पोषक तत्त्वों का 50% से भी कम लेते हैं. ऐसे में रोज सही मात्रा में कैल्शियम और दूसरे मिनरल्स के सप्लीमेंट्स लेना जरूरी है.

कैल्शियम के प्राकृतिक स्रोत

कैल्शियम हरी सागसब्जियों, मांस और डेयरी व पोल्ट्री उत्पादों जैसे दूधअंडों इत्यादि में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. समुद्र में कोरल पाया जाता है जो कि प्राकृतिक कैल्शियम के साथ जिंक आयरन, गोल्ड, सिल्वर सेलिनियम जैसे 70+ ट्रेस मिनरल्स का महत्त्वपूर्ण स्रोत है. हड्डियों में मौजूद ज्यादातर एलिमेंट्स अलग अलग रूप में मूंगे में पाए जाते हैं. ऐसे में कैल्शियम और ट्रेस मिनरल्स की कमी कोरल कैल्शियम सप्लीमेंट्स के जरिए पूरी करने में मदद मिलती है.

शोधों में पाया गया है कि  जिन लोगों ने कैल्शियम ट्रेस मिनरल्स के साथ लिया है उन में बोन लौस की संभावना उन लोगों की तुलना में कम रहती है जो सिर्फ कैल्शियम सप्लीमेंट लेते हैं. इस से पता चलता है कि शरीर के लिए कोरल कैल्शियम कितना जरूरी और महत्त्वपूर्ण है.

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