बात करें साल 2018 की तो पूरे भारत में करीब 42 मिलियन भारतीयों में अलग-अलग प्रकार के थायराइड डिसऔर्डर पाए जा चुके हैं. भारत में थायराइड की समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं और खासकर महिलाओं में. इसका कारण यह है कि पुरुषों की तुलना में एक महिला के शरीर में हार्मोन असंतुलन की संभावना अधिक होती. महिलाएं हार्मोन संबंधी बदलावों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं

थायराइड डिसऔर्डर

यह बीमरी आमतौर पर थायराइड ग्रंथि(Gland)  की अधिक सक्रियता या फिर कम सक्रियता से होते हैं. सर्वाधिक पाए जाने वाले थायराइड डिसऔर्डर हैं - हायपरथायरौइडिज्‍म (थायराइड गतिविधि में असाधारण वृद्धि), हाइपोथायरौइडिज्‍म (थायराइड गतिविधि में असाधारण गिरावट), थायरौइडाइटिस (थायराइड ग्रंथि में सूजन), गोइटर और थायराइड कैंसर. थायराइड की बीमारियों की जांच और इलाज बेहद आसान है.

ये भी पढ़ें- क्या आप जानते है सेहत से जुड़े ये 5 मिथ का सच

 “प्राथमिक उपचार”

अगर थायराइड ग्रंथि (Gland) में थोड़ी सी भी सूजन नज़र आती है तो बिना किसी लापरवाही के इसकी तुरंत जांच करानी चाहिए. जब भी इसके संकेत देखने को मिलें तो तत्काल डॉक्टर की सलाह लेनी ज़रूरी है. थायराइड पर नियंत्रण के लिए इसकी जल्द पहचान और इलाज दोनों ही महत्वपूर्ण है.

गर्भवती महिलाओं को ज्यादा खतरा”

एक गर्भवती महिला को थायराइड डिसऔर्डर का खतरा अधिक होता है, खासकर तब जब उसके शरीर में थायराइड गतिविधि असाधारण रूप से अधिक या कम हो जाती है. महिला के शरीर में हार्मोन स्तर असंतुलित होने से विभिन्न प्रभाव देखने मिलते हैं, जैसे असामान्य माहवारी(Menstruation), असंतुलित या गैर-मौजूद ओव्युलेशन चक्र (Ovulation cycle),मिसकैरेज,समय पूर्व प्रसव,गर्भ में मृत शिशु की डिलीवरी,प्रसव के बाद रक्तस्राव और जल्द रजोनिवृत्ति(Menopause) की शुरुआत भी हो सकती है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...