बारिश के साथ ही मौसम की फिजा में घुल जाती है ठंडक और चारों तरफ हरियाली अपनी छटा बिखेर देती है. इस मौसम में हम अपने घरों की छोटी सी बगिया को भी नए पौधों से सजाते हैं  आजकल फ्लैट कल्चर प्रचलन में है जहां पर अपने बागवानी के शौक को पूरा करने के लिए हमारे पास केवलबालकनी होती है. इसीलिए आजकल जमीन की अपेक्षा गमलों में ही पौधे लगाए जा सकते हैं.

आजकल बाजार में मिट्टी, सिरेमिक, सीमेंट और प्लास्टिक के विविध डिजाइन्स में गमले मौजूद हैं. पौधे लगाने से पूर्व प्रत्येक प्रकार के गमले की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है ताकि आप अपनी आवश्यकतानुसार गमले खरीद सकें.

मिट्टी के गमले

इनमें पानी की निकासी सुगमता से होती है इसलिए ये सभी प्रकार के पौधों के लिए उपयुक्त होते हैं. चूंकि ये पानी अधिक सोखते हैं इसलिए गर्मियों में इन्हें अधिक पानी की आवश्यकता होती है.

सीमेंट के गमले

पानी की निकासी तो आसानी से होती ही है परन्तु वजन में भारी होने के कारण इन्हें शिफ्ट करना मुश्किल होता है. छत के लिए ये गमले उपयुक्त नहीं होते.

प्लास्टिक के गमले

आजकल बाजार में इनकी भरमार है, ये भांति भांति के डिजाइन और रंगों में उपलब्ध हैं. वजन में हल्का होने के कारण इन्हें कहीं भी टांगा या रखा जा सकता है. अक्सर पानी की समुचित निकासी न हो पाने से पौधा सड़ने लग जाता है इसलिए इन्हें प्रयोग करने से पूर्व इनमें नीचे छेद करना उचित रहता हैं.

सिरेमिक और पीतल के गमले

इन्हें आमतौर पर कम रोशनी वाले इंडोर पौधों के लिए प्रयोग किया जाता है. इन्हें अधिक देखभाल और पर्याप्त सफाई की आवश्यकता होती है. मिट्टी और सीमेंट के गमलों की अपेक्षा इनकी कीमत अधिक होती है.

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