आज हर दस में से एक व्‍यक्ति प्रजनन संबंधी समस्‍या का सामना कर रहा है, और किसी भी कार्यस्‍थल पर यह एक बहुत संवेदनशील मामला हो गया है. इनफर्टिलिटी के दौर से गुजर रहे लोगों को काफी तनाव एवं चिंता का सामना करना पड़ता है. जब इसके साथ-साथ व्‍यक्ति फर्टिलिटी का उपचार कराने से होने वाले शारीरिक दबाव को भी झेलता है तो उसकी उत्‍पादकता, ऊर्जा, और मानसिक सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है.

डॉ डायना दिव्या क्रैस्टा,  मुख्य मनोवैज्ञानिक, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी सेंटर की बता रही हैं ऎसे उपाय जो इनफर्टिलिटी के दौर से गुजर रहे अपने सहकर्मी को सपोर्ट कर सके.

डायना दिव्या क्रैस्टा का कहना है कि -सांस्‍कृतिक रूप से, इनफर्टिलिटी और प्रेग्‍नेंसी लॉस को लेकर काफी वर्जनाएँ हैं. दुर्भाग्‍यवश, कपल्‍स जिस पीड़ा को सहते हैं, वह सामाजिक स्‍तर पर वास्‍तविक ‘लॉस’ के तौर पर वाकई प्रमाणित नहीं है. लेकिन यदि कोई आपके बेहद करीब है, जैसे कि आपका दोस्‍त या सहकर्मी जो कुछ इसी तरह के दौर से गुजर रहा है, तो हमें नीचे दी गई कुछ बातें ध्‍यान में रखनी चाहिए :

ध्यान दें और धैर्यपूर्वक सुनें-

सबसे पहले उनकी बात सुनें, उन्‍हें गले लगायें और उनके दिमाग में क्‍या चल रहा है, उसे आपके साथ शेयर करने का मौका दें.  खुली बातचीत सहयोगी एवं समावेशी कार्यस्‍थल की नींव है. अपने वर्कफोर्स को उन चिकित्‍सा स्थितियों को समझने पर जोर देने और सहयोग देने के लिए प्रोत्‍साहित करें जिनकी वजह से नियोक्‍ताओं को अधिक लचीलापन या अनुकूलन का अवसर प्रदान करने की जरूरत पड़ सकती है. कर्मचारियों पर ध्‍यान देने वाली संस्‍कृ‍ति का निर्माण करें जहाँ कर्मचारी प्रजनन संबंधी समस्‍याओं के बारे में खुलकर बातचीत और अपने दुख-दर्द आपस में साझा कर सकें.

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