बंटी और रोशनी कुछ समय पहले ही दोस्त बने थे. हर मुलाकात के दौरान रोशनी को बंटी का व्यक्तित्व और साथ बहुत भला लगता. हर मुलाकात में बंटी वैलडै्रस्ड दिखता, जिस से रोशनी बहुत प्रभावित होती. धीरेधीरे दोनों का प्रेम परवान चढ़ा और फिर उन के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए. बंटी हमेशा रोशनी से स्त्रीपुरुष समानता की बातें करता. अंतत: रोशनी ने बंटी से शादी करने का फैसला कर लिया.

शादी हुए साल भर भी नहीं बीता था कि रोशनी के सामने बंटी की कई बुरी आदतें उजागर होने लगीं. उसे पता चला कि बंटी तो रोज नहाता भी नहीं है और जब नहाता है, तो नहाने के बाद गीले तौलिए को कभी दीवान पर तो कभी सोफे पर फेंक देता है. रात को सोते समय ब्रश भी नहीं करता है. रोशनी को बंटी से ज्यादा फोन करने की भी शिकायत रहने लगी. अब बंटी की स्त्रीपुरुष समानता की बातें भी हवा हो गईं. शादी के तीसरे ही साल दोनों अलग हो गए.

जब भी लव मैरिज की बात होती है तो उस के समर्थन में सब से बड़ा और ठोस तर्क यही दिया जाता है कि इस में दोनों पक्ष यानी लड़कालड़की एकदूसरे को अच्छी तरह जान लेते हैं. लेकिन क्या हकीकत में ऐसा हो पाता है? वास्तव में दूर रह कर यानी अलगअलग रह कर किया जाने वाला प्रेम बनावटी, अधूरा और भ्रमित करने वाला हो सकता है. ऐसा प्रेम करना किसी भी युवा के लिए काफी आसान होता है, क्योंकि इस में उसे अपने व्यक्तित्व का हर पक्ष नहीं दिखाना पड़ता. वह बड़ी आसानी से अपनी बुरी आदतें छिपा सकता है. इस प्रकार के प्रेम में ज्यादातर मुलाकातें पहले से तय होती हैं और घर से बाहर होती हैं, इसलिए दोनों ही पक्षों के पास तैयारी करने और दूसरे को प्रभावित करने का काफी समय होता है.

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