मार्च 2020 में जब कोरोना का पदार्पण हुआ तो पहली बार लॉक डाउन, क्वारन्टीन,  और आइसोलेशन जैसे अनेकों नवीन शब्दों से हम सबका परिचय हुआ. लॉक डाउन के अनलॉक होते होते मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ आम जनता की जिंदगी भी पटरी पर आने लगी. नववर्ष 2021 में देश में पॉजिटिव  केसेज की संख्या भी कम होने लगी थी और मानो जेहन से कोरोना का भय जाने सा लगा था कि तभी मार्च के अंतिम सप्ताह में मेरी युवा बेटी को मामूली से बुखार ने आ घेरा, चूंकि वर्ष भर से कोरोना से सम्बंधित सभी नियमों का पालन ईमानदारी से किया जा रहा था इसलिए इसे महज सीजनल मानकर प्रारम्भिक उपचार किया परन्तु जब दो दिन तक बुखार ने बार बार अपना प्रकोप दिखाया तो कोरोना टेस्ट करवाया आश्चर्यजनक रूप से बेटी की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी थी.

हम सबके पैरों तले जमीन खिसक गई….सम्पूर्ण वर्ष जिस कोरोना से बचने के लिए लाख जतन किये वे सभी फेल हो गए थे….खैर आनन फानन में बेटी को आइसोलेट करके उपचार प्रारम्भ कर दिया परन्तु शीघ्र ही हम बचे परिवार के तीन सदस्यों के सारे प्रयास निष्फल साबित हुए और एक सप्ताह के अंदर ही हम परिवार के चारों सदस्य कोरोना की चपेट में आ चुके थे. सरकारी चिकित्सा तंत्र नदारद था तो परिचित डॉक्टर मजबूत सम्बल बने और उनकी देखरेख में हम चारों ने इलाज लेना प्रारंभ किया पर जिंदगी की असली समस्याएं अभी आनी शेष थीं जिनका हम सबने सामना किया-

-बच्चे हो गए बड़े

हम पति पत्नी के पॉजिटिव होते ही युवा बच्चे जो अक्सर अपनी दुनिया और पढ़ाई में व्यस्त रहते थे, वे अचानक से बड़े बन गए और ऑनलाइन दवाइयां व खाद्य सामग्री मंगाने की व्यवस्था की पर मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रहीं थीं. ऑनलाइन फ़ूड जहां से एक दिन ऑर्डर किया वहां भी कोरोना पॉजिटिव केस आने से वह बंद हो गया. बच्चे 5 वें 6 वें दिन तक ठीक हो गए थे ऐसे में मेरे द्वारा बेटा बेटी को समान रूप से दी गयी कुकिंग की ट्रेनिंग काम आयी और घर का खाना नसीब होने लगा. इस समय एक दूसरे का तापमान और ऑक्सीजन लेवल पूछकर हम परिवार के चारों सदस्य ही एक दूसरे के सम्बल बने हुए थे.

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-मित्र नदारद और पड़ोसी मददगार

अक्सर परिवार और घनिष्ठ मित्रों के सामने पड़ोसियों को नजरंदाज कर दिया जाता है परन्तु कोरोना जैसी महामारी में पड़ोसी ही सबसे बड़े मददगार हुए. हमारे पड़ोसियों ने भी खाना से लेकर सभी जरूरत की सामग्री उपलब्ध कराई जो निस्संदेह मन को सुकून दे गया. साथ ही हर दिन फोन से “हम हैं कोई चिंता मत करना” जैसे जादुई शब्द बोलकर हम सबको मोरल सपोर्ट दिया.

-सुख के साथी कर गए किनारा

जिन पारिवारिक मित्रों के साथ हम अक्सर पार्टियां करते, मिलते जुलते थे उनका असल रूप इस समय सामने आ गया. फोन पर औपचारिक हालचाल पूछने के अलावा उन्होंने कोई भी मदद करना आवश्यक नहीं समझा. वहीं कुछ ऐसे मित्रों ने भरपूर मदद करने का प्रयास किया जिनसे हमारे महज औपचारिक सम्बंध थे. प्रगाढ़ मित्रता का दम्भ भरने वाले कुछ ऐसे मित्र भी थे जिन्होंने फोन तो क्या मेसेज से भी हाल पूछना उचित नहीं समझा.

-सहायक बने बड़े मददगार

अक्सर अपने यहां काम करने वालों को हम फ़ॉर ग्रान्टेड लेते हैं परन्तु कोरोना ने इस छोटे बड़े, अमीर गरीब का सारा भेद खत्म कर दिया. हमारे ड्राइवर, काम वाले सबने हमारे बिना बोले ही आवश्यकताएं समझकर भरपूर मदद की. एक तरह से उनका विशाल हिर्दय सामने आया.

-तकनीक आयी काम

अक्सर पुरानी पीढ़ी नई तकनीक और नवीन पीढ़ी को कोसती रहती है परन्तु कोरोना के इस काल में यह नवीन तकनीक ही कारगर साबित हुई. दवाइयों आवश्यक सामग्री को ऑनलाइन खरीदने के साथ साथ डॉक्टर को भी ऑनलाइन पेमेंट किया.

-दे गया अनेकों सबक

यद्यपि अब तक हम सभी कोरोना से अपनी जंग जीत चुके हैं परन्तु वे 15 दिन कुछ जरूरी सबक सिखा गए.

डॉक्टरी सलाह है जरूरी

कोरोना से पूर्व जहां हल्के फुल्के शारीरिक तकलीफों को नजरंदाज करने की सलाह दी जाती थी वहीं इस कोरोना काल में मामूली से बुखार होने पर भी तुरन्त टेस्ट और डॉक्टरी सलाह जरूरी है.

स्वास्थ्य है सबसे अहम

अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत और गम्भीर होने का समय है. स्वयं को फिट रखने के लिए आवश्यक व्यायाम और योग आदि को किया जाना आवश्यक है. वर्ष में एक बार सम्पूर्ण बॉडी चेकअप भी अत्यंत आवश्यक है ताकि शरीर में होने वाले परिवर्तनों पर नजर रखी जा सके और रिपोर्ट के अनुसार आवश्यक कदम उठाए जा सकें. इसके अतिरिक्त अपने परिवार का एक फेमिली डॉक्टर अवश्य निर्धारित करें ताकि आवश्यकता पड़ने पर वह आपको फोन पर ही समुचित इलाज दे सके.

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घरेलू कामों में ट्रेंड हों बच्चे

अपने बच्चों को साफ सफाई और कुकिंग जैसे आवश्यक कार्यो की ट्रेनिंग बाल्यावस्था से ही दें ताकि वक़्त पड़ने पर वे काम कर सकें. पहले जहां माताएं बच्चों को हॉस्टल के लिए तैयार करतीं थीं वहीं अब बच्चों को कोरोना के लिए तैयार करने का वक़्त है.

घर हो मेडिकली फिट

प्रत्येक घर को थर्मामीटर, ऑक्सीमीटर, स्टीमर, नेबुलाइजर जैसे आवश्यक उपकरणों से लैस रखने का वक़्त आ चुका है.

बच्चे हों मजबूत

बच्चों को मजबूत बनाना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि वे जब मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत होंगे तभी घर परिवार पर आई मुसीबतों का सामना कर पाएंगे.

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