स्कूल में आदिमानव और उनके रहन-सहन के बारे में तो सबने पढ़ा होगा. इतिहास के सबसे मनपसंद टॉपिक में से एक आदिकाल का टॉपिक हर बार हमारी उत्सुकता को बढ़ा देता है, क्योंकि आखिरकार ये जुड़ा ही है हमारे पुराने जीवन से. आदिमानव के जीवन से जुड़े आश्रय स्थल आज भी भारत की कई जगहों पर स्थित हैं जहां से हमें पुराने अवशेषों के चिन्ह मिलते हैं.
आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध भीमबेटका भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त के रायसेन जिले में स्थित एक पुरापाषाणिक आवासीय पुरास्थल है. ये गुफाएं भोपाल से 46 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में मौजूद है. गुफाएं चारों तरफ से विंध्य पर्वतमालाओं से घिरी हुईं हैं, और इसके दक्षिण में सतपुड़ा की पहाड़ियां आरम्भ हो जाती हैं. इनका सीधा संबंध ‘नव पाषाण काल’ से है.
भीमबेटका को सन 2003 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित कर दिया था. अन्य पुरावशेषों में प्राचीन किले की दीवार, लघुस्तूप, पाषाण निर्मित भवन, शुंग-गुप्त कालीन अभिलेख, शंख अभिलेख और परमार कालीन मंदिर के अवशेष भी यहां मिले हैं. ये भारत में मानव जीवन के प्राचीनतम चिह्न हैं.
भीमबेटका का इतिहास
इन गुफाओं की खोज सन् 1957-1958 में डाक्टर विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा की गई थी. ऐसा माना जाता है कि यह स्थान महाभारत के पांडव भाइयों में दूसरे भाई भीम से सम्बंधित है एवं इसी से इसका नाम भीमबेटका पड़ा. इसे भीम का निवास स्थान भी कहते हैं. पूर्व पाषाण काल से मध्य ऐतिहासिक काल तक यह स्थान मानव गतिविधियों का केंद्र रहा है.
भीमबेटका की शैलकला और वास्तुकला
भीमबेटका में 750 शैलाश्रय हैं जिनमें 500 शैलाश्रय चित्रों द्वारा सज्जित हैं. भीमबेटका क्षेत्र में प्रवेश करते हुए शिलाओं पर लिखी कई जानकारियां मिलती हैं. यहां के शैल चित्रों के विषय मुख्यत: सामूहिक नृत्य, रेखांकित मानवाकृति, शिकार, पशु-पक्षी, युद्ध और प्राचीन मानव जीवन के दैनिक क्रियाकलापों से जुड़े हैं. चित्रों में प्रयोग किये गए खनिज रंगों में मुख्य रूप से गेरुआ, लाल और सफेद हैं और कहीं-कहीं पीला और हरा रंग भी प्रयोग हुआ है.
मानव विकास का आरंभिक स्थान होने की वजह से यह स्थान पर्यटकों के बीच सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र है. यहां बनायीं गयी और उकेरी गयीं चित्रशैलियों से मानव के आरंभिक जीवन का काल आपके सामने उभरता है. यहां की दीवारें धार्मिक संकेतों से सजी हुई है, जो पूर्व ऐतिहासिक कलाकारों के बीच लोकप्रिय थे.
भीमबेटका पहुंचें कैसे?
सड़क द्वारा: भीमबेटका मध्यप्रदेश के अन्य मुख्य शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. कई बस और टैक्सी सुविधाएं यहां तक के लिए आपको आसानी से मिल जाएंगी.
रेल द्वारा: भीमबेटका का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल है. भोपाल रेलवे स्टेशन देश के अन्य रेलवे लाइन्स से अच्छी तरह से जुड़ी हुई है.
हवाईजहाज द्वारा: भीमबेटका पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा भोपाल का राजा भोज हवाई अड्डा है.
भीमबेटका के समीप अन्य पुरातात्विक पर्यटक स्थल
रायगढ़ जिले के सिंघनपुर के निकट कबरा पहाड़ की गुफाएं, होशंगाबाद के निकट आदमगढ़ में, छतरपुर जिले के बिजावर के निकटस्थ पहाड़ियों पर तथा रायसेन जिले में बरेली तहसील के पाटनी गांव में मृगेंद्रनाथ की गुफाएं भीमबेटका के समीप ही अपने शैलचित्रों के लिए विख्यात अन्य पुरातात्विक पर्यटक स्थलों में से एक हैं.