पटना, बिहार की राजधानी. बिहार के बारे में लोगों की मानसिकता बहुत अच्छी नहीं है. सब वक्त का खेल है. एक वक्त था जब बिहार का पाटलीपुत्र ही पूरे देश की राजधानी थी और अब इस राज्य का नाम देश के पिछड़े राज्यों में शुमार है. पर आज हम आपको यहां के सुनहरे इतिहास के बारे में नहीं पर यहां के आज के बारे में बताने जा रहे हैं. किसी भी चीज के बारे में मानसिकता बना लेना आसान है और किसी भी चीज के बारे में करीब से जानना उतना ही मुश्किल.
बिहार की राजधानी ‘पटना’ देश की बाकि राजधानियों जैसी नहीं है. यहां के लोगों को मेट्रो या लोकल ट्रेन पकड़ने की हड़बड़ी नहीं होती. यहां डाक बंगलो चौराहे पर लगे जाम में लोग घंटों बिता देते हैं. पान की पिक से रंगी सड़कें छठ के मौके पर घरों से ज्यादा साफ हो जाती हैं. मेट्रो सिटी न होने के बावजूद यह शहर काफी दिलचस्प है. अगर आप कभी पटना जायें और आपके पास ज्यादा वक्त न हो, तो आप पटना के स्थानों पर घूम सकते हैं. इन जगहों से ही आपको शहर की आबोहवा का एहसास हो जाएगा.
1. बुद्ध स्मृति पार्क
पटना रेलवे स्टेशन के पास ही है बुद्ध स्मृति पार्क. जापान, थाईलैंड, श्री लंका, साउथ कोरिया से लाए गए अवशेष यहां संरक्षित कर रखे गए हैं. यहां रोजाना लाइट ऐंड साउंड शो दिखाया जाता है. यहां आकर आपको किसी विहार जैसी शांति का अनुभव होगा. यहां एक संग्रहालय है और यहां ‘पुराने जेल’ की कुछ वस्तुएं भी रखी हैं.
2. एनआईटी घाट पर गंगा आरती
पटना आए और एनआईटी घाट पर बने भागीरथी विहार नहीं गए तो क्या खाक पटना आए? वैसे ऐसी कोई कहावत नहीं है, पर कहने का मतलब यही है कि पटना आकर आपको एनआईटी घाट जाकर गंगा आरती जरूर देखना चाहिए. अगर आपकी किस्मत अच्छी हुई तो आपको डॉल्फीन भी दिख सकते हैं.
3. गोल घर
गांधी मैदान के पश्चिम की तरफ है गोल घर. इसे आजादी से पहले अनाज स्टोर करने के लिए बनवाया गया था. पर इसे कभी पूरा नहीं भरा जा सका. इसकी नक्काशी उस जमाने की कहानी बयां करती है. इसकी स्थापत्यकला बौद्ध स्तूप से मिलती-जुलती है. इसके ऊपर चढ़कर आप शहर और गंगा नदी के नजारे देख सकते हैं. कुछ कपल्स भी नजर आ सकते हैं, तो जरा सतर्क होकर जायें.
4. तारामंडल
तारामंडल एक प्लैनेटोरियम है. यह देश के सबसे पुराने प्लैनेटोरियम में से एक है. इसे इंदिरा गांधी प्लैनेटोरियम के नाम से भी जाना जाता है. यहां समय समय पर सेमिनार और प्रदर्शनियां लगाई जाती हैं.
5. खुदा बख्श नेशनल लाइब्रेरी
दुनिया भर से ऊर्दू प्रेमी यहां आते हैं. यहां ऊर्दू की तकरीबन 2.5 लाख किताबें और 21,000 पांडुलिपियां संरक्षित हैं. 1889 में यह लाइब्रेरी खोली गई थी. यहां मुगल जमाने की किताबें और पेंटिंग भी हैं. इतिहास को छू कर देखना हो तो यहां जरूर जायें.
6. संजय गांधी जैविक उद्यान
संजय गांधी जैविक उद्यान को पटना जू भी कहा जाता है. इस चिड़ियाघर का नाम भी देश के बड़े चिड़ियाघरों में शुमार है. यहां 800 से भी अधिक जानवर रखे गए हैं. टॉय ट्रेन, बैटरी रिक्शा यहां तक की आप हाथी की सवारी कर के भी जू घूम सकते हैं. यहां विभिन्न तरह के पेड़-पौधे भी हैं.
7. जलान म्यूजियम
गंगा किनारे बना है यह संग्रहालय. यहां के कलेक्शन में टीपू सुल्तान की पालकी से लेकर हुमांयु की तलवार तक शामिल हैं. यहां 10,000 से ज्यादा वस्तुएं संरक्षित हैं. पर यह एक प्राइवेट म्यूजियम है और यहां जाने के लिए आपको पहले से परमीशन लेना पड़ेगा.
8. अगम कुआं
इसे सम्राट अशोक ने बनवाया था. पुरातत्व से जुड़ा यह पटना में स्थित सबसे पुरानी संरचना है. लोगों पर जुल्म ढाने के लिए इसे बनवाया गया था. इतिहासकारों का कहना है कि अशोक ने गद्दी पाने के लिए अपने 99 भाईयों को इसी में डूबा कर मारा था.
9. पटना म्यूजियम
शहर के बीचो बीच बसा है पटना संग्रहालय. इसकी स्थापत्यकला मुगलों और राजपूतों से प्रभावित है. यहां 45,000 से भी अधिक वस्तुयें संरक्षित हैं. यहां की अशोक और गुप्तकालिन वस्तुएं भी रखी हैं. यहां एक पेड़ का फोसिल है, जो विश्व का सबसे बड़ा फोसिलाइज्ड पेड़ है.
अब इतना घूम फिर कर थकान तो हो ही गई होगी. तो लिट्टी चोखा का आनंद लें. एक दफा पटना जाकर तो देखिए, बिहार के बारे में आपकी मानसिकता थोड़ी सी जरूर बदल जाएगी.