समस्या का अंत- भाग 1: बेचारा अंबर करे तो क्या करे

तबादला हो कर इंदौर आने के बाद अंबर ने कई बार हफ्ते भर की छुट्टी लेने का प्रयास किया पर छुट्टी नहीं मिली. इस बार उस के बौस ने छुट्टी मांगते ही दे दी तो अंबर जैसे हवा में उड़ता हुआ इंदौर से ग्वालियर पहुंचा था. सुबह नाश्ता कर अंबर अपने स्कूटर पर मित्रों से भेंट करने निकल पड़ा तो पीछे से मां चिल्ला कर बोली थीं, ‘‘अरे, जल्दी लौटना. तेरी पसंद का खाना बनाऊंगी.’’

अंबर की मित्रमंडली बहुत बड़ी है और उस के सभी दोस्त उसे बहुत पसंद करते हैं. उसे देखते ही सब उछल पडे़. मित्रों ने ऐसा घेरा कि उसे रूपाली को फोन करने का भी मौका नहीं मिला. बड़ी मुश्किल से समय निकाल पाया और फिर एकांत में जा कर रूपाली को फोन किया. उस का फोन पाते ही वह भी उछल पड़ी.

‘‘अरे, अंबर तुम? इंदौर से कब आए?’’

‘‘आज सुबह ही. सुनो, तुम बैंक से छुट्टी ले लो और अपनी पुरानी जगह पर आ जाओ, वहीं बैठते हैं.’’

‘‘ठीक है, तुम पहुंचो, मैं आती हूं.’’

अंबर रेस्तरां की पार्किंग में अपना स्कूटर लौक क र जैसे ही गेट पर पहुंचा उस ने देखा रूपाली आटो से उतर रही है. दूर से ही हाथ हिलाती रूपाली पास आई तो दोनों रेस्तरां के एक केबिन में जा बैठे. बैठते ही रूपाली ने प्रश्न किया, ‘‘और सुनाओ, कितनी गर्लफ्रेंड बनीं?’’

‘‘मान गए तुम को…जवाब नहीं तुम्हारा. इतने दिन कैसे रहा, तबीयत कैसी थी, मन लगा कि नहीं? यह सबकुछ पूछने के बजाय मुंह खुला भी तो गर्लफ्रेंड की खोजखबर करने के लिए. निहाल हो गया मैं तो…’’

रूपाली भी गुस्से में थी.

‘‘मैं ही कौन अच्छी थी यहां,’’ गुस्से में तमक कर रूपाली बोली, ‘‘तुम ने कितनी बार पूछा?’’

‘‘अब तुम्हें कैसे समझाऊं कि इंदौर में जिम्मेदारियों के साथसाथ काम भी बहुत है.’’

‘‘प्रमोशन पर गए हो तो दायित्व ज्यादा होगा ही. वैसे अंबर, तुम्हारे जाने के बाद अब मुझे उस शहर में सबकुछ सूनासूना लगता है.’’

‘‘मुझे भी वहां बहुत अकेलापन महसूस होता है. क्या तुम्हारा ट्रांसफर वहां नहीं हो सकता?’’

‘‘मैं कोशिश कर रही हूं. फिर भी काम बनतेबनते 3-4 महीने तो लग ही जाएंगे,’’ अचानक गंभीर हो कर रूपाली बोली.

‘‘अंबर, हंसबोल कर बहुत समय गुजार लिया. अब कहो, तुम अपनी मां से हमारी शादी के बारे में खुल कर बात करोगे या नहीं?’’

‘‘घुमाफिरा कर मैं कई बार मां से कह चुका हूं पर तुम तो जानती हो कि वह कितनी रूढि़वादी हैं. जातिपांति की बेडि़यां तोड़ने को वह कतई तैयार नहीं हैं.’’

‘‘देखो, अगर तुम अम्मां की आज्ञा न ले पाए तो मेरे लिए बस, 2 ही रास्ते हैं कि या तो सब को ठेंगा दिखा कर मैं तुम को घसीट कर अदालत ले जाऊं और वहीं शादी कर लूं, नहीं तो मेरे घर वाले जिस को भी चुनें उस के साथ फेरे ले लूं.’’

‘‘पर डार्लिंग, संतोष का फल मीठा होता है. अभी ऐसा कुछ मत करो, मैं देखता हूं. मुझे कुछ दिनों की मोहलत और दे दो.’’

‘‘तुम को तो 2 वर्ष हो गए पर आज तक देख ही नहीं पाए कुछ.’’

घूमतेफिरते 7 दिन बीत गए पर चाहते हुए भी अंबर मां से अपनी शादी की बात नहीं कर पाया. उस ने भाभी से बात भी की तो भाभी ने यह कह कर रोक दिया कि तुम्हारे  तबादले से अम्मां का मिजाज बिगड़ा बैठा है. वह फौरन समझेंगी कि ठाकुर की बेटी ने योजना बना कर तुम्हें यहां से हटाया है. इस से रहीसही उम्मीद भी हाथ से जाती रहेगी. 3-4 महीने और गुजरने दो, तब बात करेंगे. वैसे भी देवरजी, प्रेम के मजबूत बंधन इतनी जल्दी नहीं टूटते.

अंबर इंदौर लौट आया. यहां वह अपनी दीदी के घर रहता है पर दीदी की दशा देख कर उसे बड़ी दया आती है. असल में बिन्नी दीदी से उस का लगाव बचपन से है. वह अम्मां की चहेती भतीजी महीनों अपनी बूआ के पास आ कर रहती थी. बड़ा हो कर अंबर जब भी अपने मामा के घर जाता, बिन्नी दीदी उस का खूब ध्यान रखती थीं.

जीजाजी तो बहुत ही अच्छे हैं. दीदी का खयाल भी खूब रखते हैं पर उन की बस, यही कमजोरी है कि अपनी मां व बहन के सामने कुछ बोल नहीं पाते, चाहे वे उन की पत्नी पर कितना भी अत्याचार क्यों न करें.

जीजाजी के 2 भाई और भी हैं. दोनों संपन्न हैं. बडे़बड़े घर हैं दोनों के पास पर उन की पत्नियां बिन्नी दीदी की तरह मुंह बंद कर के सारे अत्याचार नहीं सहतीं. मांबेटी के मुंह खोलते ही उन को उन के स्थान पर खड़ा कर देती हैं. चूंकि बिन्नी दीदी सीधी हैं, रोतीबिलखती हैं, सब सह लेती हैं और जीजाजी भी कुछ नहीं कहते, सो दोनों मांबेटी यहीं डेरा डाले रहती हैं.

मामा ने खाली हाथ बिन्नी का ब्याह नहीं किया था. मोटा दहेज दिया था फिर भी उठतेबैठते उसे ताने और गालियां ही मिलती हैं. दोनों मांबेटी दिन भर बैठी, लेटी टीवी देखती हैं, एक गिलास पानी भी खुद ले कर नहीं पीतीं. बेचारी बिन्नी दीदी काम करतेकरते बेहाल हो जाती हैं. उस पर भी दोनों के हुक्म चलते ही रहते हैं.

बिन्नी दीदी पर अंबर जान छिड़कता है. उन की यह दशा देख वह बौखला उठता है. तब दीदी ही झगड़े के भय से उसे शांत करती हैं. दीदी पर भी उसे गुस्सा आता है कि वह बिना विरोध के सारे अत्याचार क्यों सहन करती हैं. एक दिन सिर उठा दें तो मांबेटी को अपनी जगह का पता चल जाएगा पर दीदी घर में क्लेश के भय से चुप ही रहती हैं.

दीदी की ननद अभी तक कुंआरी बैठी है. एक तो कुरूप उस पर से बनावशृंगार  में सलीके का अभाव, चटकीले कपडे़ और चेहरे की रंगाईपुताई कर के तो वह एकदम चुडै़ल ही लगती है. मोटी, नाटी, स्याह काला रंग. अंबर तो देखते ही जलभुन जाता है.

अचानक अंबर ने महसूस किया कि चुडै़ल अब कुछ ज्यादा ही उस का खयाल रखने लगी है. शाम को काम से लौटते ही चायनाश्ते के साथ खुद भी सजधज कर तैयार मिलती है. अंबर आतंकित हो उठा है क्योंकि इन सब बातों का साफ मतलब है कि वह चुडै़ल अंबर को फंसाना चाहती है.

Festive Special: ये टिप्स अपनाएं और पाएं सैलिब्रिटी लुक

सैलिब्रिटी की तरह नजर आना भला किसे अच्छा नहीं लगता. लेकिन कई बार प्रौपर मेकअप टिप्स न पता होने के कारण लुक में कुछ कमी रह ही जाती है. ऐसे में हाल ही के सैलिब्रिटी लुक को डिफाइन करने के लिए मशहूर कौस्मैटोलौजिस्ट भारती तनेजा कुछ खास टिप्स दे रही हैं:

आयशा लुक

वैसे तो आयशा हर लुक में बहुत स्वीट नजर आती हैं, लेकिन नये लुक में अपनी लैशेज को विस्पी स्पाइडर लुक दे कर बिलकुल जुदा दिखाई दे रही हैं. इस लुक के लिए आईज पर नैचुरल बेस रखें. इनर कौर्नर पर क्रीम और आउटर कौर्नर पर कैरामल शेड लगा कर ब्लैंड कर दें ताकि कोई लाइन न दिखे. लैशेज को लैश जौइनर जौइन कर लें. लैश जौइनर के इस्तेमाल से लैशेज नैचुरली घनी नजर आती हैं, साथ ही आईज की शेप भी डिफाइन होती है. इस के लिए ब्लैक आईशैडो को ऐंग्युलर ब्रश की मदद से पलकों पर लगाएं. अब लैश फाइबर से लैशेज

को पोर्ट कर लें और मसकारा लगा कर स्पाइडर लुक दें. लैशेज को इस्तेमाल करते वक्त फेस पर मेकअप लाइट ही रखें. अगर चाहें तो लिपस्टिक को हाईलाइट कर के फेस पर ग्लो ला सकती हैं.

ऐश लुक

पर्पल लिप कलर के अलावा ऐश का एक और लुक भी कांस फिल्म फैस्टिवल में फेमस हुआ था. इस लुक के लिए ऐश ने बालों में लूज कर्ल्स किए हैं. इस के लिए बालों में मूज लगा कर कर्ल किया है और उन्हें सैट रखने के लिए ऊपर से यूवी प्रोटैक्शन स्प्रे लगाया है. फेस पर इस रैडिऐंट लुक व मैटीफाइंग फिनिश के लिए लिक्विड मूज का इस्तेमाल किया है. पिंक ब्लशऔन से चीकबोंस को हाईलाइट किया है. आईज पर लाइट स्मोकी लुक दिया है, जो इस पर्शियन ब्लू ड्रैस पर बखूबी जंच रहा है. आईब्रोज को डार्क ब्राउन पैंसिल से डिफाइन किया है. अपरलिड व लोअरलिड पर जैल लाइनर और लैशेज पर मसकारा के कोट्स लगा कर आई मेकअप को कंप्लीट किया है. सौफ्ट लुक की सौफ्टनैस बनाए रखने के लिए लिप्स को फ्रैंच रोज शेड से सील किया है, जो इस गाउन को कौंप्लिमेंट भी कर रहा है.

गौरी लुक

गौरी खान खुद भी डिजाइनर हैं. इसी कारण उन का ड्रैसिंग स्टाइल ऐक्ट्रैस न होते हुए भी बिलकुल जुदा व ग्लैमरस है. अगर बात करें फेस की तो ऐसे वैल्वेटी फिनिश के लिए बेस के तौर पर टिंटिड मूज लगाएं. यह पोर्स को बंद रखने के साथसाथ स्किन पर स्मूद फिनिश भी देगा. आईज पर न्यूट्रल जैसे बेज या फिर वैनिला शेड का आईशैडो लगाएं और ब्लैक जैल लाइनर से आईज को कैट आई लुक दें. यह आसानी से स्मज होता है और वाटरप्रूफ होने के कारण फैलता भी नहीं है. आईब्रोज पर बालों की तरफ स्ट्रोक देते हुए ब्राउन पैंसिल का इस्तेमाल करें. ऐसा करने से आईब्रोज बोल्ड नजर आएंगी. वाटरलाइन पर काजल और लैशेज पर मसकारा के कोट्स से आई मेकअप को कंप्लीट करें. चीक्स और लिप्स पर ऐसे रैडिऐंट लुक के लिए लिप ऐंड चीक स्टेन का इस्तेमाल करें. यह एक टू इन वन प्रोडक्ट है. यह जैल बेस्ड होता है और चेहरे को बेहद लाइट पिंकिश लुक देता है.

गौरी खान जैसी बीची वैव्स के लिए सब से पहले बालों को 4 पार्ट्स में डिवाइड कर लें और फिर हर सैक्शन को टैग की मदद से कर्ल कर लें. लेकिन ऐसा करने से पहले बालों में हीट प्रोटैक्शन स्प्रे जरूर लगाएं ताकि हीट का असर बालों पर न हो. इस के बाद वाइड कौंब को पूरे बालों पर फिराएं. ऐसा करने से कर्ल्स खुल जाएंगे. अब इन लूज कर्ल्स को फिक्स करने के लिए उन पर हेयर फिक्सिंग स्प्रे जरूर लगाएं.

सोनम लुक

फैशनेबल सोनम के इस लुक में पिंक बहुत ही ज्यादा हाईलाइट है. पिंक चीक्स व पिंक ग्लौसी लिप्स के साथ सोनम बिलकुल गर्लिश लुक में नजर आ रही हैं. हैवी ड्रैस को अपना स्टाइल स्टेटमैंट बनाया है इसलिए मेकअप को लाइट ही रखा है. पोनी इन दिनों फैशन में है. इसीलिए अपने हेयरस्टाइल को ट्रैंडी व फैशनेबल दिखाने के लिए सोनम ने पोनी बनाई है और माथे की फ्लिक को टक किया है. आईब्रोज को पैंसिल की मदद से स्ट्रौंग लुक दिया है और आईज को विंग्ड लाइनर से डिफाइन किया है.

-भारती तनेजा

डायरैक्टर औफ एल्पस ब्यूटी क्लीनिक ऐंड ऐकैडमी

कहीं आप डिप्रेस्ड तो नहीं?

डिप्रेशन एक आम बिमारी बन गई है. कुछ लोग समझते हैं कि एक सीमित वर्ग के लोग ही डिप्रेस्ड होते हैं.  पर पहले की तुलना में अब कहीं ज्यादा लोग डिप्रेशन के बारे में जानते हैं. कुछ समय पहले तक तो लोग इस बीमारी के बारे में जानते तक नहीं थे. डिप्रेशन को अक्सर पागलपन से जोड़कर देखा जाता था लेकिन अब इसके प्रति लोग काफी जागरुक हो गए हैं.

डिप्रेशन भले ही एक मानसिक स्थिति है लेकिन इसके कुछ शारीरिक लक्षण भी होते हैं. मानसिक लक्षणों के साथ-साथ अगर इन शारीरिक लक्षणों पर भी ध्यान दिया जाए तो डिप्रेशन की पहचान करना और इसका इलाज करना काफी आसान हो जाएगा.

डिप्रेशन से जूझ रहा शख्स अक्सर उदास रहता है, निराश रहता है और नकारात्मक सोच रखने लगता है. हॉर्मोन्स का संतुलन बिगड़ना, आनुवांशिकता, काम का दबाव, रिश्तों का तनाव, खराब माहौल और अकेलापन इसके प्रमुख कारण हो सकते हैं.

अगर डिप्रेशन की पहचान शुरुआती समय में ही कर ली जाए तो इससे छुटकारा पाना आसान है लेकिन अगर इसे लंबे समय से इग्नोर किया जा रहा है तो यह खतरनाक भी हो सकता है. डिप्रेशन से जूझ रहे शख्स की पहचान उसकी मानसिक स्थिति के आधार पर तो की ही जा सकती है, इसके अलावा कुछ शारीरिक लक्षण भी होते हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

1. थकान

डिप्रेशन से जूझ रहा रहा शख्स हर समय थकान का अनुभव करता है. ऐसे इंसान को न तो किसी काम को करने में मन लगता है. अवसादग्रसीत व्यक्ति फीजिकली फिट फील नहीं करता.

2. सरदर्द और बदन दर्द

अवसादग्रसीत व्यक्ति के सिर में दर्द रहता है. अकेलेपन के अंधेरों के कारण ऐसे व्यक्ति को शारीरिक पीड़ा होती है.

3. वजन का घटना-बढ़ना

डिप्रेशन से जूझ रहे शख्स के वजन पर इसका साफ असर नजर आता है. कई बार तो ऐसे लोगों का वजन बहुत कम हो जाता है तो कई बार बहुत अधिक बढ़ जाता है.

5. भूख न लगना

डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति को भूख भी नहीं लगती. चाहे उसकी पसंद की चीज ही क्यों न हो.

6. नींद न आना

डिप्रेस्ड व्यक्ति को नींद भी नहीं आती. अकेलेपन और बेचैनी से वो इमोश्नली कमजोर हो जाता है.

कहने को आधुनिक हैं

घिसेपिटे सदियों पुराने रीतिरिवाजों को ढ़ोना भारतीयों के लिए एक नया तरीका बन गया है और जो लोग अच्छेखासे ताॢकक और वैज्ञानिक हैं, वे भी केवल अपनी जड़ें दर्शाने के लिए आधे आधुनिक पर आधे पुरातनवादी बने रहते हैं, एक उदाहरण हुआ है 2 लड़कियों की विशुद्ध तमिल ब्राह्मïण स्टाइल की घटी का. इस में एक तमिल ब्राह्मïण है और एक बांगलादेशी और दोनों कनाड़ा के शहर कैलगरी में रहती है जहां उन की एक एप पर मुलाकात हुई.

6 साल तक साथ रहने के बाद दोनों ने शादी करने का फैसला किया पर लेस्बियन शादी जो भारत में तो अवैध है, हुई ब्राह्मïण स्टाइल में जिस में पिता गोदी में बेटी को बैठा कर पिता की गोदी में ही बैठे पति के हवाले करता है. कन्यादान की यह परंपरा नितांत पौराणिक है और इसे लेस्बियन शादी में कनाड़ा में अपनाना नितांत स्टूपिडी ही है.

विदेशों में बसे भारतीय यदि ब्राह्मïण या वैश्य हो तो अपना महत्व दर्शाने के लिए बाजेगाजे, दोस्तों के साथ ये पारंपरिक नाटक करके ढोल पीटते हैं कि देखे हमारी संस्कृति कितनी महान है. वे यह भूल जाते हैं कि वे लोग इस महान संस्कृति वाले भारत की गंदगी, बदबू, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, लालफीता शाही और अवसरों की कमी के कारण गोरों के देश में पहुंचे थे पर वहां सफलता पाते ही वे नाटकों पर उतर आते हैं क्योंकि आईडैंटिटी दिखाने के लिए ये स्टंट बड़े काम के हैं.

सुबिश्रा और टीना की शादी में बेटी को वर को उसी तरह सौंपा गया जैसे कूर्मपुराण के अध्याय 8 में वॢणत कथा में दक्ष प्रजापति ने पत्नी प्रसूति से 24 कन्याओं को पैदा किया जिन में से 13 को धर्म च्यवन ऋषि ने ग्रहण किया और 11 छोटी अवस्था वाली कन्याएं भृगु, मरीची, अंगिरा, पुलस्त्य पुलह क्रतु, अत्रि व वशिष्ठ मुनियों को दे दी गईं.

इसी दान को कनाडा में तमिल ब्राह्मण परिवार ने लेस्बियन शादी में अपना कर कौन सी महानता का उदाहरण दिया है, यह समय से परे है, पौराणिक ग्रंथ तरहतरह की कपोल कल्पित कथाओं से भरे हैं पर उन को आज अपनाना वैज्ञानिक व तार्किक ज्ञान का माखौल उड़ाना है. यह कनाडा की महानता है कि वे इस तरह के चटकों को बेवकूफी भी नहीं कहते और दोनों के देशी विदेशी दोस्त इस अवसर पर मौजूद रह कर तालियां बजा कर समर्थन करते रहे हैं.

इसी तरह के पुराणों में बारबार नारायण के मुंह से कहलवाया गया है कि वर्ष व आश्रम धर्म का पालन करने से ही मोक्ष मिलता है. अपनी जाति की श्रेष्ठता के कनाडा में भी एस्टैब्लिश करने के इस तरह की नौटंकी आजकल विदेशों में भारतीय जम कर रहे हैं. इस कैलगरी के परिवार के अंधविश्वास पर गर्व करने की कोई नहीं है.

TV स्क्रीन साफ करने के 10 टिप्स

अनीता की टी वी स्क्रीन पर कुछ समय से एक खड़ी लाइन नजर आ रही थी …इस बाबत जब उसने कम्पनी मेकेनिक को बुलाया तो उसने बताया कि स्क्रीन की सफाई करते समय टी वी पर सीधे पानी के स्प्रे करने के कारण आयी नमी के कारण अक्सर खड़ी या आड़ी लाइनें आ जातीं हैं. टी वी आज हर घर में मौजूद है. इस पर जमी धूल मिट्टी को हम सभी अपने अपने तरीके से साफ करते हैं पर साफ करने के बाद अक्सर टीवी स्क्रीन पर पानी की अनेकों लाइनें या धब्बे नजर आने लगते हैं. आज हम आपको टी वी साफ करने के कुछ टिप्स बता रहे हैं जो निस्संदेह आपके लिए मददगार साबित होंगे-

1. टी वी साफ करने के लिए 1 टेबलस्पून तरल सोप को 1/2 कप पानी में मिलाएं अब इस घोल में कपड़े को डुबोकर निचोड़ दें फिर टी वी स्क्रीन को साफ करें अब सूखे  माइक्रोफाइबर कपड़े से हल्के हाथ से पोंछ दें.

2. डिटर्जेंट घोल के अलावा आप बाजार में उपलब्ध कोलीन का भी प्रयोग भी कर सकतीं हैं.

3. एल सी डी, एल ई डी और ओलेड टी वी स्क्रीन को टिश्यू या टॉवल के स्थान पर सॉफ्ट माइक्रोफाइबर कपड़े से हल्के हाथ से साफ करना चाहिए.

4. किसी भी क्लीनिंग सॉल्यूशन को सीधे टी वी पर डालने की अपेक्षा पहले सॉल्यूशन को कपड़े पर लगाएं फिर स्क्रीन को साफ करें. सॉल्यूशन को सीधे स्प्रे करने पर टीवी पर दाग लग जाते हैं.

5. टी वी की सफाई करते समय टी वी को स्विच ऑफ कर दें ताकि किसी भी प्रकार की इलेक्ट्रिक गड़बड़ी न हो सके.

6. स्क्रीन को पहली बार सीधा य आड़ा एक ही दिशा में पोंछे और पुनः उल्टी दिशा में पोछें इससे स्क्रीन पर किसी भी प्रकार के दाग धब्बे नहीं पड़ेंगे.

7. टी वी साफ करने से पूर्व सुनिश्चित कर लें कि कपड़ा पूरी तरह सूखा और साफ हो अन्यथा यह साफ टी वी को और अधिक गन्दा कर देगा.

8. टी वी को केवल सामने की तरफ से ही नहीं बल्कि पीछे की तरफ लगे पैनल और टीवी को भी अच्छी तरह साफ करें.

9. टी वी के साथ साथ रिमोट को भी भली भांति साफ करें क्योंकि रिमोट को घर के सदस्य अक्सर भोजन करते समय भी प्रयोग करते हैं जिससे उस पर लगी धूल मिट्टी और कीटाणु भी भोजन के साथ पेट में चले जाते हैं.

10. आप सफेद सिरके और पानी को समान मात्रा में मिलाकर बनाये गए घोल अथवा पेट्रोलियम जेली का प्रयोग भी साफ करने के लिए कर सकतीं हैं.

सुलगते सवाल: क्या बेटी निम्मी के सवालों का जवाब दे पाई गार्गी

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Festive Special: यूं बनाएं मूंग दाल का हलवा

मूंग दाल का हलवा उत्तर भारत की मशहूर मिठाईयों में से एक है. इसे सभी बड़े चाव से खाते है. खाना खानें के बाद कुछ मीठा खानें को मिल जाए तो मुंह से सिर्फ यही बात निकलती है कि वाह क्या बात है.

मूंग दाल का हलवा खानें में बहुत ही स्वादिष्ट होता है. यह एक ऐसा हलवा है जिसे ठंडा कर आप फ्रीज में 7-8 दिनों तर स्टोर कर सकती है. जानिए मूंग की दाल का हलवा बनाने का तरीका.

सामग्री

1. एक कप मूंग की धुली दाल

2. एक कप घी

3. एक कप मावा

4. एक चौथाई कप चीनी

5. छोटे-छोटे टुकडें में 20-25 काजू

6. 5-6 बारीक काटा हुए बादाम

7. 15-20 किशमिश

8. आधा चम्मच इलाइची पाउडर

9. बारीक काटा हुआ पिस्ता

यूं बनाए मूंग दाल का हलवा

– सबसे पहलें हलवा बनाने के 3-4 घंटे पहले दाल को पानी में भिगो दे. इसके बाद इसे थोडा सा पानी के साथ दरदरा करके पीस लें, फिर इस दाल को एक पतलें कपड़े में डालकर 1 घंटे के लिए लटका दे जिससे कि इसका पानी निकल जाए.

– एक घंटे बाद गैस में एक कढाई रखें और उसमें घी डाले. गर्म हो जाने के बाद इसमें पीसी दाल डाल दे और गैस की धीमी आंच करके गोल्डन ब्राउन होने तक फ्राई करिए. इसके बाद इसे एक बाउल में निकाल लें.

– एक पैन में चाशनी बनानें के लिए पानी लें औक उसमें चीनी डालें फिर इसे उबलनें दे. 3-4 मिनट बाद जब यह चाशनी बन जाए तो गैस बंद कर दे.

– अब दूसरी कढाई में मावा डालकर भूनें फिर इसमें भूनी हुई दाल डाल दें. इसके बाद इसमें पहलें से बनाई चाशनी को डाल कर मिला साथ में इसमें किशमिश और काजू डाल दें और धीमी आंच में इसे लगभग 10 मिनट तक भूनें.

– जब हलवा घी छोड़नें लगे तब गैस बंद कर इसमें इलायची पाउडर डालें, फिर इसे एक बाउल में निकाल लें और कतरी हुई बादाम डालकर सर्व करें.

लिव इन रिलेशन: क्या करें जब हो जाए ब्रेकअप

राखी कुछ दिनों से बेहद परेशान दिख रही थी. दफ्तर के काम में भी उस का मन नहीं लग रहा था. वह एक जिम्मेदार पद पर कार्यरत थी. ऐसे में बौस का उस पर झल्लाना लाजिम था. यह सब उस की सहकर्मी नीलिमा से न देखा गया और एक दिन लंच टाइम में उस ने राखी के मन को कुरेदा तो वह फफक उठी, ‘‘नीलिमा, मैं और मिहिर 1 साल से लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे थे. मैं ने तो अपने मातापिता को भी मना लिया था शादी के लिए, लेकिन अब वह कह रहा है कि वह इस रिश्ते से ऊब चुका है. उसे स्पेस चाहिए. कुछ हफ्तों से हम एक छत के नीचे रह कर भी अजनबियों की तरह रह रहे हैं. 3 दिन से वह मुझे मिला भी नहीं है. न कौल, न मैसेज. कुछ भी रिप्लाई नहीं कर रहा,’’ और फिर वह फूटफूट कर रोने लगी.

नीलिमा ने राखी को जी भर कर रोने दिया. फिर दफ्तर के बाद उसे अपने घर ले गई. नीलिमा अपने मम्मीपापा और भैयाभाभी के साथ रहती थी. राखी को एक परिवार का भावनात्मक सहारा मिला और अपनी एक सहेली का हौसला, जिस से उस का मनोबल मजबूत हुआ और वह आगे की जिंदगी हंसतेहंसते बिता पाई. राखी जैसी न जाने कितनी लड़कियों को सहजीवन या लिव इन रिलेशनशिप ने अपने मकड़जाल में फंसाया हुआ है, जिस से निकलतेनिकलते वे टूट कर पूरी तरह बिखर जाती हैं और हाथ लगती है सिर्फ हताशा और मानसिक अवसाद. कुछ वर्षों पहले जब सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता दी थी तब युवावर्ग खुशी से झूम उठा था मानो खुले आसमान के साथसाथ अब उन्हें सुनहरे पंख भी मिल गए हों. मगर अब इस रिश्ते की स्वच्छंदता बहुतों को घायल कर रही है, जिन में महिलाएं, लड़कियां ज्यादा हैं.

नैंसी के साथ तो बहुत ही बुरा हुआ. 6 महीने तक प्रकाश के साथ सहजीवन में रहने के बाद अचानक एक हादसे में प्रकाश की मौत हो गई. किसी तरह वह इस सदमे से खुद को उबारती है तो पता चलता है कि वह मां बनने वाली है और अब गर्भपात की समयसीमा भी निकल चुकी है. ऐसे में वह जीवन से हताश हो कर आत्महत्या जैसा गलत कदम उठा लेती है और पीछे छोड़ जाती है अपना रोताबिलखता परिवार और उन के अनमोल सपने जो कभी उन्होंने नैंसी के लिए देखे थे.

महानगरों में ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे. अब सवाल यह उठता है कि यदि विवाह संस्था बंधन और लिव इन आजादी है, तो फिर इस आजादी में इतनी तकलीफ क्यों सहन करनी पड़ रही है लड़कियों को? इस का जवाब है समाज की दोयमदर्जे की मानसिकता. भारतीय महिलाओं के लिए संबंधों को तोड़ पाना अभी भी आसान नहीं है. सामाजिक ही नहीं भावनात्मक स्तर पर भी. पुरुष तो ऐसे रिश्तों से अलग हो कर शादी भी कर लेता है और समाज स्वीकार भी लेता है, परंतु वही समाज महिला के चरित्र पर उंगली उठाता है.

ऐसी स्थिति में क्यों न हम कुछ बातों का खयाल रखते हुए एक सुकून भरी जिंदगी जीएं. लिव इन रिश्ते के टूटने पर पलायनवादी होने से अच्छा है कि हम इसे अपना अनुभव समझते हुए सबक लें. यह सच है कि महिलाओं के लिए साथी के साथ को भूलना और जीवन के आगामी संघर्षों से मुकाबला करना आसान नहीं होता. लेकिन जिंदगी रुकने का नहीं, निरंतर चलने का नाम है. बस जरूरत है तो इस रिश्ते से जुड़े कुछ पहलुओं पर गौर करने की ताकि लिव इन रिलेशनशिप से टूट कर न बिखरें. खुद को रखें व्यस्त: यदि आप नौकरी करती हैं, तो आप के लिए खुद को व्यस्त रखना थोड़ा आसान होगा. अपने औफिशियल टारगेट को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करें. हर वक्त यह न सोचती रहें कि अपने पार्टनर को कैसे मनाया जाए क्योंकि आप के पार्टनर ने मानसिक तैयारी के साथ ही आप को छोड़ा है, इसलिए वह तो आने से रहा.

नौकरी न करने वाली लड़कियों को भी चाहिए कि वे ज्यादा से ज्यादा समय परिवार के साथ बिताएं और साथ ही अपने अंदर के किसी हुनर को पहचानते हुए उसे निकालने का प्रयास करें. वे सारे कार्य करें जो कभी आप समय की कमी के कारण नहीं कर पाती थीं. कभीकभी अपनी भावनाओं को डायरी के पन्नों में भी ढालने का प्रयास करें. मन की तकलीफ कुछ कम हो जाएगी.

कुछ तो लोग कहेंगे:

जब आप ने लिव इन रिलेशनशिप में रहने का फैसला किया होगा तब अवश्य ही लोगों की बातों को नजरअंदाज किया होगा. लोग क्या कहेंगे, इस वाक्य को कई बार सिरे से खारिज किया होगा. तो बस अभी वही करते रहिए. शांति से उन की नकारात्मक बातों को अनसुना कीजिए. कभी भी अपनी तरफ से सफाई देने या अपना पक्ष रखने की कोशिश न कीजिए, क्योंकि आप ने कोई अपराध नहीं किया है.

हीनभावना न पनपने दें:

आप केवल दोस्ती के एक रिश्ते से अलग हुए हैं. अत: स्वयं को तलाकशुदा न समझें. आप ने कोई अपराध नहीं किया है. यौन शुचिता के तराजू पर भी खुद को न तौलें. शारीरिक संबंध बनाना एक प्राकृतिक क्रिया है. इसे लेकर अपने मन में हीनभावना न पालें. साथी के साथ बिताए सुखद पलों को ही जीवन में स्थान दें. साथी के प्रति मन में नफरत का भाव न रखें. आमनेसामने होने पर भी दोस्ताना व्यवहार करें और किसी भी प्रकार का ताना या उलाहना न दें. कानून है आप के साथ: यदि आप लंबे समय से लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं और आप का बच्चा भी है तो ऐसे में यदि आप का साथी आप को आप की मरजी के खिलाफ छोड़ना चाहता है तो आप कानून का सहारा ले सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में यह फैसला सुनाया है कि लिव इन के कारण पैदा हुए बच्चे नाजायज नहीं कहे जाएंगे. आप सीआरपीसी की धारा 125 के तहत बच्चे के गुजाराभत्ते के लिए अर्जी दाखिल कर सकती हैं, क्योंकि अधिक समय तक लिव इन रिश्ते में रहने के कारण आप को कानूनन पत्नी का दर्जा मिलता है.

साथी के द्वारा मारपीट या जबरदस्ती करने पर भी आप न्यायालय से घरेलू हिंसा कानून के तहत इंसाफ एवं गुजाराभत्ते की मांग कर सकती हैं या हिंदू अडौप्शन ऐंड मैंटनैंस एक्ट की धारा 18 के तहत भी अर्जी दाखिल कर सकती हैं. न छिपाएं होने वाले जीवनसाथी से: टूटे रिश्ते के गम से बाहर निकलने के लिए शादी एक बेहतर विकल्प है, पर इतना याद रखें कि शादी

से पहले आप अपने भावी जीवनसाथी को अपने लिव इन रिलेशनशिप के बारे में अवश्य बताएं, साथ ही उन्हें यह आश्वस्त करें कि आप अपने पुराने रिश्ते को नए रिश्ते पर कभी हावी नहीं होने देंगी.

पुरुष भी दें ध्यान:

यह सही है कि सहजीवन से अलग होने का परिणाम सब से ज्यादा लड़कियों को ही भुगतना पड़ता है, परंतु कुछ समय संवेदनशील पुरुष भी प्रभावित होते हैं, इस बात को नकारा नहीं जा सकता. जयंत की पार्टनर ने उसे छोड़ने के बाद उस के खिलाफ शादी का झांसा दे कर बलात्कार करने का इलजाम लगा दिया था. काफी मुश्किलें झेलने के बाद वह इस से छुटकारा पा सका.

ऐसे पुरुषों के लिए ही दिल्ली हाईकोर्ट ने ऐसे मामलों में पुलिस को बलात्कार के बजाय विश्वास भंग (क्रिमिनल ब्रीच औफ ट्रस्ट)का मुकदमा दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया है, ताकि पुरुषों को भी न्याय मिल सके.

क्या शादी से पहले रिलेशन के बारे में मेरे पति को पता लग सकता है?

सवाल-

सुना है यदि विवाहपूर्व किसी युवती ने सैक्स संबंध बनाए हों तो उस के पति को इस बारे में पता चल जाता है. मैं जानना चाहती हूं कि यदि किसी युवती ने 2 बार किसी से सैक्स किया हो तो क्या कोई ऐसा उपाय है, जिस से सुहागरात को उस के पति को इस की भनक न लगे? क्या यौनांग में पहले जैसा कसाव रहता है?

जवाब-

1-2 बार शारीरिक संबंध बनाने से यौनांग में ढीलापन नहीं आता. जब तक आप स्वयं अपने मुंह से यह स्वीकार नहीं करेंगी कि पहले किसी से अवैध संबंध बना चुकी हैं तब तक पति पर यह बात जाहिर नहीं होगी. आप विवाह बाद पति से प्यार करेंगी तो वे इस फालतू बात को कभी कोई महत्त्व नहीं देंगे.

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अलकायदा के पूर्व प्रमुख ओसामा बिन लादेन की सब से बड़ी पत्नी ने दावा किया है कि ओसामा की सब से छोटी पत्नी चौबीसों घंटों सैक्स करना चाहती थी. द सन के अनुसार खैरियाह ने कहा कि अमल हमेशा ओसामा के साथ सोने के लिए झगड़ा करती थी. मुझे ओसामा के पास नहीं जाने देती थी.

क्या कहता है सर्वे

अमेरिका ने भी सैक्स की लत को 2012 में मानसिक विकृति करार दिया और इस काम को लास एंजिल्स की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अंजाम दिया है. भारत में यह समस्या अभी शुरुआती दौर में है. लेकिन एक ओर मीडिया और इंटरनैट पर मौजूद तमाम उत्तेजना फैलाने वाली सामग्री की मौजूदगी तो दूसरी ओर यौन जागरूकता और उपचार की कमी के चलते वह दिन दूर नहीं जब सैक्स की लत महामारी बन कर खड़ी होगी. क्याआप को फिल्म ‘सात खून माफ’ के इरफान खान का किरदार याद है या फिर फिल्म ‘मर्डर-2’ देखी है? फिल्म ‘सात खून माफ’ में इरफान ने ऐसे शायर का किरदार निभाया है, जो सैक्स के समय बहुत हिंसक हो जाता है. इसी तरह ‘मर्डर-2’ में फिल्म का खलनायक भी मानसिक रोग से पीडि़त होता है. फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ में भी नाना पाटेकर प्रौब्लमैटिक बिहेवियर से पीडि़त होता है. इसे न सिर्फ सैक्सुअल बीमारी के रूप में देखना चाहिए, बल्कि यह गंभीर मानसिक रोग भी हो सकता है.

सैक्सोलौजिस्ट डाक्टर बीर सिंह, डाक्टर एम.के. मजूमदार और मनोचिकित्सक डाक्टर स्मिता देशपांडे से बातचीत के आधार पर जानें कि सैक्सुअल मानसिक रोग कैसेकैसे होते हैं:

पूरी खबर पढ़ने के लिए- जब अजीब हो सैक्सुअल व्यवहार

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

इस वजह से नेपोटिज्म का शिकार नहीं हुईं एक्ट्रेस शिखा तलसानिया

भाई-भतीजावाद को लेकर हमेशा कुछ न कुछ चलता है, लेकिन अगर आपमें प्रतिभा एक्टिंग की है, तो अवश्य सफल होंगे, क्योंकि इससे एक मौका मिल सकता है, लेकिन प्रतिभा न होने पर आप कही भी नहीं दिखते, क्योंकि इंडस्ट्री फिल्मों के ज़रिये व्यवसाय करती है और हानि कोई व्यापारी झेलना नहीं चाहता, हंसती हुई कहती है शिखा तलसानिया, जो मशहूर कॉमेडियन टिकू तलसानिया की बेटी है और फिल्म ‘जहां चार यार’ में एक मैरिड महिला की भूमिका निभा रही है.

शिखा की मां दीप्ती तल्सानिया है, जो एक क्लासिकल डांसर और थियेटर आर्टिस्ट है. शिखा का एक भाईरोहन तल्सानिया है. शिखा ने अपनीपढ़ाई पुणे और मुंबई में  रहकर पूरी की है. शिखा ने अपने कैरियर की शुरुआत पर्दे के पीछे रहकर फ्लोर प्रोड्यूसर, लाइन प्रोड्यूसर की किया.इसके अलावा वह एक बेहतरीन थियेटर आर्टिस्ट भी है.

नेपोटिज्म से रहती हूं दूर

एक्ट्रेस शिखा तलसानिया ने भी फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म को लेकर कई बार अपनी प्रतिक्रिया दी है, एक्ट्रेस का मानना है कि फिल्म उद्योग में सभी का अलग-अलग एक्सीपीरियंस होता है. जब उन्होंने इंडस्ट्री जॉइन की थी तब उनके बारे में लोगों को ये भी नहीं पता था कि वह एक्टर टीकू तलसानिया की बेटी हैं. उनके पिता ने भी हिंदी फिल्मों में रोल पाने के लिए उनकी तरफ से कभी कोई फोन नहीं किया. वह इंडस्ट्री में अपनी जर्नी खुद करना चाहती थी, यही वजह है कि उन्होंने अपने पिता से मदद नहीं मांगने का फैसला किया. फिल्मों में रोल पाने के लिए वह आउटसाइडर्स की ही तरह ऑडिशन और स्क्रीन टेस्ट देती थी.

 

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परफॉर्म करना है पसंद

बचपन से ही अभिनय के माहौल को देखती हुई शिखा हमेशा से एक्टिंग करना पसंद करती थी. वह कहती है कि अगर मेरे पेरेंट्स एक्ट्रेस न भी होते, तब भी मैं एक्ट्रेस ही बनती,क्योंकि मुझे परफॉर्म करना बहुत पसंद है. मुझे सब डायरेक्टर के साथ काम करना पसंद है, लेकिन मेरी ड्रीम है कि मुझे एक ऐसी कहानी कहने को मिले,जिसे करने के लिए किसी प्रकार की खास रंग,रूप या शारीरिक बनावट जरुरी न हो. मैं जैसी हूं, वैसी ही कहानी में मैं सही बैठूं और मैं उसका ही इंतजार करती हूं.

 

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ठहर जाती है जिंदगी

अभिनेत्री शिखा आगे कहती है कि फिल्म ‘जहाँ चार यार’ की कहानी मुझे बहुत पसंद आई, ये लखनऊ शहर की कहानी है,जिनकी शादियाँ तो हो चुकी है, पर उनकी जिंदगी बहुत ही ठहरी हुई है, लेकिन उससे वे निकल नहीं पाती. ये कहानी सिर्फ दोस्ती के बारें में नहीं है, इसमें एक ट्विस्ट है, जो कहानी को पूरी तरह से बदल देती है, जिसमे एक औरत शादी के बाद कैसे घर से निकल कर अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीती है. ये अलग कहानी है, मैंने अर्बन लड़की की भूमिका की है. पहले ऐसी भूमिका कभी नहीं की, इसलिए बहुत उत्साहित हूं. मेरी भूमिका में मैं अपने पेरेंट्स, पति, बच्चे और सास-ससुर सबसे खुद को आइसोलेट कर रखती है. सबकुछ अपने अंदर समेटकर रखती है. दोस्ती जो चार यारो में दिखाया गया है, उससे मैं बहुत अधिक रिलेट कर सकती हूं, क्योंकि रियल में भी जब महिला खुद अपनी समस्या की वजह नहीं समझ सकती, तब एक दोस्त ही उसे उसकी गलती का एहसास करा  सकता है.

नहीं भूली सहेलियों को

शिखा का कहना है किशादी के बाद लड़कियां अधिकतर अपनी सहेलियों को भूल जाती है, इस बात से मैं सहमत रखती हूं, जबकि सबसे जरुरी दोस्त है,इस फिल्म में उन महिलाओं को एक आइना दिखने की कोशिश की गई है, जो अपने दोस्तों को भूल जाती है. फ्रेंड्स ऐसे होने चाहिए, जो आपकी नजर से समस्याओं को देख सकें, जज न करें और उसका हल बताएं. आप छोटे या बड़े किसी भी शहर में कहीं भी रहे, आपका रिश्ता सभी से जुड़ता है,मसलन आप किसी की बेटी, पत्नी, माँ, दादी या नानी होते है. महिला को सबसे एडजस्ट कर जीवन बितानी पड़ती है. उन्हें हमेशा सभी को समझ कर काम करना पड़ता है. उनके जीवन में एक सही दोस्त ही ऐसी होती है, जो उन्हें शादी से पहले और बाद में देखा हो. यही दोस्त उनकी परेशानियों का हल समझकर उन्हें प्यार की एक झप्पी दें.मेरी दो-तीन बहुत ही अच्छी सहेलियां है, जिनसे मैं अपनी उतार-चढ़ाव और उनकी अप्स एंड डाउन्स को एक दूसरे  से शेयर करती हूं. इंडस्ट्री में सोहा अली खान मेरी सबसे अच्छी दोस्त है, जिनसे मैं सबकुछ शेयर कर सकती हूं.

नहीं होता प्रेशर

शिखा तलसानिया प्रसिद्ध कामेडियन टिकू तलसानिया की बेटी होने की वजह से उन्हें किसी प्रकार का प्रेशर महसूस नहीं होता. शिखा कहती है कि मुझे प्रेशर नहीं होता,लेकिन अच्छे इंसान बनने का प्रेशर अवश्य होता है. मैं एक ऐसे माहौल में पैदा हुईहूं, जहाँ माता-पिता दोनों ही एक्टर्स है. मेरे दोस्त मुझे कहते है कि मैं अपने पिता की तरह ही दिखती हूं. ये बातें मुझे अच्छा अनुभव कराती है. लाइफ में दुःख,सुख, हंसी मजाक, सीरियस बातें आदि सब होता है. मैंने अपने पिता से मेहनत से काम करना, अच्छे वर्ताव, साहसी होना आदि को जीवन में उतारने की कोशिश की है.

संघर्ष है जीवन

शिखा कहती है कि संघर्ष हमेशा होता है, लेकिन स्टार किड्स को थोड़ा कम होता है, क्योंकि उन्हें इंडस्ट्री कैसे काम करती है,उसकी जानकारी होती है, जो आउटसाइडर को नहीं होता. इसके अलावा मौका जल्दी मिल सकता है, लेकिन प्रतिभा होने पर ही व्यक्ति सफल होता है. मेरे माता – पिता और मैंने अपना रास्ता खुद बनाया है. देखा जाय, सभी को किसी न किसी रूप में संघर्ष करता है, ये सब्जेक्टिव काम है, जिसे कोई कलाकार कभीख़राब करना नहीं चाहता.

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